दिल्ली हिंसा पीड़ितों के वकील महमूद प्राचा के खिलाफ अब FIR दर्ज

दिल्ली हिंसा पीड़ितों के वकील महमूद प्राचा के खिलाफ अब FIR दर्ज

नई दिल्लीः दिल्ली हिंसा पीड़ितों के वकील महमूद प्राचा के खिलाफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट ने एफआईआर दर्ज की है। दो दिन पहले प्राचा और उनके सहयोगियों के ऑफिस पर स्पेशल सेल ने छापेमारी की थी। प्राचा के निजामुद्दीन ईस्ट स्थित ऑफिस में बीते गुरुवार को छापेमारी की थी।

उनके खिलाफ सरकारी काम में बांधा पहुंचाने और ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगा है। स्पेशल सेल के तरफ से ये कार्रवाई उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों से जुड़े मामलों के न्यायिक रिकॉर्ड में कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने के सिलसिले में की गई थी।

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की काउंटर इंटेलीजेंस यूनिट ने आईपीसी की धारा 353 (पब्लिक सर्वेंट को ड्यूटी से रोकने के लिए आपराधिक बल या हमला) और 186 (पब्लिस सर्वेंट को रोकना) के तहत प्राचा के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

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दरअसल, प्राचा की फर्म लीगल एक्सिस यूएपीए आरोपी गुलशिफा फातिमा का केस देख रहे हैं। साथ ही उनकी लीगल टीम कई दूसरे दिल्ली दंगों के पीड़ितों का केस भी देख रही है। पुलिस की इस तलाशी को कानूनी क्षेत्र से जुड़े कई लोगों ने अटॉर्नी-मुवक्किल विशेषाधिकार और कानूनी प्रतिनिधित्व के मौलिक अधिकार पर हमला बताया है।

वहीं, पुलिस का कहना है कि अगस्त महीने में स्पेशल सेल दर्ज एफआईआर की जांच के लिए प्राचा के ऑफिस गई थी। एफआईआर में बताया गया था कि दिल्ली दंगे मालमे में गिरफ्तार एक आरोपी की जमानत के लिए झूठे साक्ष्यों और फर्जी नोटरी स्टैंप का इस्तेमाल किया गया था।

पुलिस का आरोप है कि जमानत लेने के लिए इस मामले में इस्तेमाल किया गया शिकायती पत्र प्राचा के ऑफिस के कंप्यूटर से भेजा गया था। हालांकि, शिकायती पत्र के बारे में प्राचा ने फिलहाल कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है। उन्होंने जारी सर्च वॉरंट पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए शुक्रवार (25 दिसंबर) को अदालत का रुख किया था।

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प्राचा ने 24 दिसंबर को अपने ऑफिस पर छापेमारी के बाद कहा था, “मैंने सभी कंप्यूटर अनलॉक कर दिए थे और तलाशी के लिए ऑफिस पुलिस को सौंप दिया था लेकिन फिर भी पुलिसकर्मी ने हमें खुद ही सब कुछ दिखाने को कहा और ऐसा नहीं करने पर उन्होंने हमारे कंप्यूटर ले जाने की धमकी दी।”

उन्होंने आगे कहा था, “तलाशी सुबह तीन बजे खत्म हुई, लेकिन फिर भी उन्हें कुछ नहीं मिला। पुलिस हमारी ओर से दुर्व्यवहार का आरोप लगा रही है। उन्होंने हर चीज की वीडियोग्राफी की थी और इसी वीडियो से पूरी दुनिया को पता चलेगा कि क्या हुआ था।”

एफआईआर में जांच अधिकारी ने कहा है कि 24 दिसंबर को वे अपने स्टाफ, वीडियोग्राफर और गवाहों के साथ सुबह 11:45 बजे प्राचा के ऑफिस गए थे। एफआईआर में कहा गया है, “मौके पर पहुंचने पर हमने वीडियोग्राफी शुरू की और प्राचा को सर्च वॉरंट दिखाया। हमने उनसे लिखित अनुरोध किया था कि वह यह पता लगाने में हमारा सहयोग करें कि किन कंप्यूटरों में महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं ताकि ऑफिस को पूरा खंघालने में लगने वाले समय से बचा जा सके।”

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एफआईआर में दर्ज अधिकारी के मुताबिक, “हमने धैर्यतापूर्वक दो घंटे तक इंतजार किया। इसके बाद उन्होंने (प्राचा) हमें एक और फिर दूसरे संदर्भ में प्रताड़ित करना शुरू कर दिया और वह धीरे-धीरे आक्रामक होने लगे और अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगे।” पुलिस ने हालांकि, ये भी कहा है कि प्राचा ने बाद में सहयोग करने की हामी भरी और हमारी टीम को वह कंप्यूटर सिस्टम दिखाया, जिससे ईमेल भेजे गए थे।

एफआईआर में लिखा गया है कि, “वह हमें अपने ऑफिस टेबल के कंप्यूटर के पास ले गए और कहा कि हम जिस ईमेल के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं, वह इस कंप्यूटर के ईमेल आउटबॉक्स में हो सकता है।” इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि शिकायती पत्र जिसे प्राचा के ऑफिस में तैयार किया गया था, उसका पता लगा लिया गया है।

प्राचा के ऑफिस से मामले की जांच कर रहे अधिकारी को एक और कंप्यूटर सिस्टम मिला, जिसके बारे में उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है। उन्होंने एफआईआर में कहा है, “इस सिस्टम से एक संदिग्ध पाथवे का पता चला इसलिए मैंने आवश्यक सबूतों को इकट्ठा करने के लिए उस कंप्यूटर की हार्ड डिस्क जब्त कर ली। इस पर प्राचा और उनके सहयोगियों ने शोर करना शुरू कर दिया और कंप्यूटर सिस्टम को हटाने की कोशिश की।” पुलिस की टीम ने प्राचा और उनके सहयोगियों से इसके बाद हार्ड डिस्क के लिए लिखित में अनुरोध किया।

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पुलिस के मुताबिक, उनकी तरफ से अनुरोध करने के बाद प्राचा ने जांच अधिकारियों के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया और हंगामा करने लगे। हालांकि, प्राचा के सहयोगियों का कहना है कि अपने साथ पुलिस टीम दो लैपटॉप और एक प्रिंटर लेकर आई थी। कथित तौर पर उन्होंने प्राचा के कंप्यूटर को हैक किया और यह आशंका है कि यह छापेमारी सभी रिकॉर्ड और दस्तावेज नष्ट करने का प्रयास था।

बता दें कि महमूद प्राचा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के खिलाफ दिसंबर 2019 में जब पुलिस ने कार्रवाई की थी तब प्राचा उन वकीलों में से एक थे जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इतना ही नहीं प्राचा ने सीएए आंदोलन के दौरान दिल्ली की जामा मस्जिद पर विरोध करने आए भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर की गिरफ्तारी के बाद उनका केस लड़ा था।

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