शिरोमणि अकाली दल के बाद अब RLP ने दिया NDA को झटका, हुई गठबंधन से अलग

शिरोमणि अकाली दल के बाद अब RLP ने दिया NDA को झटका, हुई गठबंधन से अलग

नई दिल्ली: कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलनों का आंदोलन जारी है। इसको लेकर आज किसानों और सरकार के बाच अगले दौर की वार्ता होने वाली है। लेकिन इसी बीच बीजेपी की एक और सहयोगी दल ने कृषि कानून को लेकर एनडीए से बगावत कर दी है। शिरोमणि अकाली दल के बाद अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है।

आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने बीते दिनों एलान किया था कि केंद्र सरकार किसान की मांगों को माने नहीं वरना उनकी पार्टी खुद को एनडीए से अलग कर लेगी। बेनीवाल ने कल शनिवार को एनडीए छोड़ने का ऐलान किया।

हालांकि, हनुमान बेनीवाल ने एनडीए छोड़ने के ऐलान के साथ ही ये भी साफ किया है कि वो कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि वो सिर्फ किसानों के समर्थन में एनडीए से अलग हुए हैं।

ये भी पढ़ें: ब्रिटेन के बाद अब फ्रांस और जापान में सामने आया कोविड-19 का नया स्ट्रेन

हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट किया है, “देश के अन्नदाताओं के सम्मान में आज @RLPINDIAorg ने एनडीए से अलग होने का निर्णय लिया,कृषि से जुड़े 3 बिल किसान विरोधी है!”

बेनीवाल ने कहा, “इससे पहले मैंने लोकसभा की कमेटी से इस्तीफा दिया, लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ तो अब एनडीए छोड़ दिया। अगर जरूरत पड़ी तो मैं लोकसभा की सदस्यता भी छोड़ दूंगा। उन्होंने आगे कहा, “अगर मैं संसद में रहा और किसानों को लेकर ऐसे बिल आए तो मैं उन्हें सबके सामने फाड़ दूंगा। कानून पास होने के वक्त मैं संसद में नहीं था।

उल्लेखनीय है कि एनडीए की सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल ने इससे पहले किसानों का जोरदार समर्थन करते हुए खुद को एनडीए से अलग कर लिया था। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री पद से पार्टी नेता हरसिमरत कौर ने इस्तीफा भी दे दिया था।

ये भी पढ़ें: गौहर खान और जैद दरबार का वेडिंग एलबम आया सामने, फैंस दे रहे हैं जमकर बधाई

अकाली दल और आरएलपी के एनडीए से अलग होने के बाद अब हरियाणा में बीजेपी को समर्थन देने वाली दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी पूरी तरह से दबाव में आ गई है। देखा जाए तो जेजेपी पार्टी के कोर वोटर भी किसान हैं, इसीलिए किसान लगातार उनसे बीजेपी का साथ छोड़ने की मांग कर रहे हैं।

कई दिनों से चौटाला के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी हो रहे हैं। जिसके बाद चौटाला को आखिरकार कहना पड़ा है कि कृषि कानूनों में खामियां हैं और संशोधनों की जरूरत है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे सरकार से बातचीत करें, ताकि कोई उचित सामाधान निकल सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published.