औलाद नहीं होने को लेकर क्या सोचते थे दिलीप कुमार और सायरा बानो?

औलाद नहीं होने को लेकर क्या सोचते थे दिलीप कुमार और सायरा बानो?

बॉलीवुड के लिजेंड अभिनेता दिलीप कुमार बीते दिनों दुनिया-ए-फ़ानी को अलविदा कह गए। ट्रेजेडी किंग के जुड़ी हजारों कहानियां हैं जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। अक्सर दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी की चर्चा होती है। पर पत्नी सायरा बानो ने जिस तरह से उनके जीवन में साथ दिया है वह किसी प्रेम और त्याग के कहीं बढ़कर है।

उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी और इसके आखिरी लम्हे भी पत्नी सायरा बानो के साथ बिताए। सभी लोग जानते हैं दिलीप कुमार को कोई औलाद नहीं था। लेकिन बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि अपने बच्चे नहीं होने को लेकर दोनों पति-पत्नी क्या सोचते थे।

औलाद नहीं होने को लेकर क्या सोचते थे दिलीप कुमार और सायरा बानो?

औलाद नहीं होने लेकर दिलीप कुमार का एक बार कहा था कि उन्हें बच्चे नहीं होने को लेकर कोई मलाल नहीं है। हालांकि, वो ये भी मानते हैं कि अगर अपने बच्चे होते तो बहुत अच्छा होता। उन्होंने अपने और सायरा बानो के जिंदगी में औलाद के ‘अधूरेपन’ पर बात करते हुए बताया था कि किस तरह दोनों ही अपने बड़े से परिवार में खुशियां खोज लेते हैं।

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उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, “बहुत अच्छा होता अगर हमारे अपने बच्चे होते, लेकिन हमें किसी बात का मलाल नहीं है। हम दोनों ही खुदा के बंदे हैं। जहां तक अधूरेपन की बात है तो मैं आपको बता दूं कि मैं और सायरा दोनों ही संतुष्ट हैं और कोई शिकायत नहीं है। हमारे लिए इतना ही काफी है कि हमारे पास अपनी खुशियां और छोटे दुख बांटने के लिए परिवार हैं। मेरी काफी बड़ी फैमिली है जिसमें 30 बच्चे हैं।”

औलाद नहीं होने को लेकर क्या सोचते थे दिलीप कुमार और सायरा बानो?

ट्रेजेडी किंग ने आगे बताया, “सायरा का भी एक छोटा-सा परिवार है, जिसमें उनका भाई सुल्तान है, उसके बच्चे हैं और उसके पोते-पोतियां हैं। हम खुशकिस्मत हैं कि हम उनके साथ जरूरत के वक्त पर हमेशा खड़े रहते हैं।”

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इसके बाद दिलीप कुमार ने अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के सवाल पर कहा, “मैं आज भी कई एक्टर्स को देखता हूं जो मेरे द्वारा स्थापित किए गए काम को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक नजर आते हैं। जब कोई जवान एक्टर मेरे पास आता है और कहता है- सर मैं आपके काम को फॉलो करना चाहता हूं और आपके दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता हूं। ये बातें सुनकर मैं ईश्वर के प्रति आभार से भर जाता हूं।”

औलाद नहीं होने को लेकर क्या सोचते थे दिलीप कुमार और सायरा बानो?

दिलीप कुमार का असल नाम मोहम्मद युसूफ खान था। 11 दिसंबर 1922 को उनका जन्म हुआ था। उन्हें बॉलीवुड सिनेमा में द फर्स्ट खान के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी सिनेमा में मेथड एक्टिंग का श्रेय उन्हें ही जाता है।

दिलीप कुमार ने 1944 में फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से अपने अभिनय की शुरुआत की थी, इसे बॉम्बे टॉकीज ने प्रोड्यूस किया था। लगभग पांच दशक के अभिनय करियर में 65 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ फिल्में हैं- ‘अंदाज’ (1949), ‘आन’ (1952), ‘दाग’ (1952), ‘देवदास’ (1955), ‘आजाद’ (1955), ‘मुगल-ए-आजम’ (1960), ‘गंगा-जमुना’ (1961), ‘राम और श्याम’ (1967) जैसी फिल्मों में नज़र आए।

1976 में दिलीप कुमार ने काम से करीब 5 साल का ब्रेक लिया। उसके बाद 1981 में उन्होंने क्रांति फिल्म से फिर वापसी की। इसके बाद वो ‘शक्ति’ (1982), ‘मशाल’ (1984), ‘कर्मा’ (1986), ‘सौदागर’ (1991)। उनकी अंतिम फिल्म किला थी जो 1998 में रिलीज हुई।


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