नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने किसानों को कृषि कानून संशोधन प्रस्ताव भेज दिया गया है। अब इस पर किसान विचार-विमर्श करने के लिए दोपहर 1 बजे सिंघु बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर) पर एक बैठक करेंगे। कल भारत बंद के बाद किसानों नेताओं और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बैठक हुई थी, जो असफल रही थी।
किसान नेताओं ने अमित शाह के साथ बैठक के बाद कृषि कानून में सशोधन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। किसान नेताओं कहना है कि मोदी सरकार संशोधन का प्रस्ताव भेजती है तो वे तैयार नहीं होंगे। वहीं अमित शाह ने किसान नेताओं से कहा था कि सरकार की ओर से किसानों को बुधवार यानी आज एक संशोधन प्रस्ताव भेजा जाएगा।
बताया जा रहा है कि सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में एमपीएमसी कानून के तहत आने वाली मंडियों को और सशक्त बनाने का जिक्र है। किसान की मांग रही है कि जिन व्यापारियों को प्राइवेट मंडियों में व्यापार करने की इजाजत मिले उनका रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। जबकि नए कृषि कानून में उनके पास केवल पैन कार्ड होना अनिवार्य बनाया गया है।
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किसानों के बीच फूट के आसार
उधर, कुछ किसानों का कहना है कि सरकार किसानों के बीच दो फाड़ करना चाहती है। कुछ किसान नेताओं का मानना है कि सरकार किसान नेताओं और संगठनों के बीच फूट पैदा कर रही है। खासकर ये बात कल अमित शाह के साथ 13 किसान नेताओं की मीटिंग के बाद उठाया जा रहा है। कुछ किसानों का कहना है कि सरकार के तरफ से उन्हें निमंत्रण नहीं भेजा गया। कुछ नेता वहां गए और बात किया, जो सही नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कल एक वीडियो बयान जारी कर कहा कि कुछ नेताओं को अकेले अमित शाह की बैठक में नहीं जाना चाहिए था, इससे किसान संगठनों की एकता को लेकर शंकाएं खड़ी हो सकती हैं। पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन उगराहां के नेता कल की बातचीत में शामिल नहीं हुए थे। ऐसे में इस बात की आशंका जताई जा रही है कि किसान संगठनों में विभाजन हो सकता है।
हड़बड़ाहट में है केंद्र सरकार
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के किसान नेता सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा है, “सरकार इस समय हड़बड़ाहट में है, कल शाम बुलाई गई बैठक बेफायदा थी। प्रस्ताव भेजना था तो 6 या 7 दिसंबर को भेजते। अगर प्रस्ताव में संशोधन की बात आती है तो उससे बात नहीं बनेगी।”
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वहीं, अमित शाह के साथ हुई बैठक पर ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हनन मुल्ला कहा, ”सरकार ने हमें कुछ लिखित में भेजने के लिए कहा है। हमने उनसे कहा था कि अगर वे कुछ लिखित में देते हैं तो हम विचार करेंगे। आज 12 बजे दिन में हमलोग की बैठक है। हम सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। अगर लिखित आश्वासन में संशोधन की बात होगी तो हमारा रुख स्पष्ट है। बिना कानून को रद्द किए हम नहीं मानेंगे। अगर सरकार के पत्र में कुछ सकारात्मक रहा तो हम अगली बैठक के लिए तैयार होंगे।”
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बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह और 13 किसान नेताओं की बातचीत मंगलवार को भारत बंद के बाद दिल्ली स्थित आईसीएआर के गेस्ट हाउस में तकरीबन दो घंटे तक हुई थी। इस बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, बलवीर सिंह राजेवाल, रुलदू सिंह मानसा, मंजीत सिंह राय, हनन मुला, शिव कुमार कक्का जी, बूटा सिंह, हरिंदर सिंह लखोवाल, दर्शन पाल, कुलवंत सिंह संधू, बोध सिंह मानसा और जगजीत सिंह ढलेवाल शामिल थे।
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