भीमा कोरेगांव मामले में बुधवार 10 फरवरी को बॉम्बे हाई कोर्ट में आरोपी रोना विल्सन ने अर्जी लगाई है। उन्होंने कोर्ट से कहा है कि उनके कंप्यूटर में डॉक्यूमेंट्स को कथित तौर प्लांट करने के मामले की जांच की जाए। उनके और दूसरे एक्टिविस्ट्स के खिलाफ इन्हीं डॉक्यूमेंट्स के आधार पर केस बनाए गए हैं।
रोना विल्सन की ओर से ये याचिका अमेरिका की डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग की रिपोर्ट के बाद दायर की गई है। इस अमेरिकी फर्म से विल्सन के वकील ने कहा था कि वह उनके मुवक्किल के लैपटॉप की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी की जांच करे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब दो साल तक विल्सन के लैपटॉप में मालवेयर, यानी वायरस के जरिए कम-से-कम दस संदिग्ध डॉक्यूमेंट्स रखे गए थे। जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
अपनी नई याचिका में विल्सन ने हाई कोर्ट से कहा कि अदालत उन पर मुकदमा चलाने के आदेश को रद्द करे। उनके खिलाफ तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी।
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उन्होंने इसके अलावा कहा है कि इस अवधि के दौरान पीड़ा, उत्पीड़न, मौलिक अधिकारों के उल्लंघन, मानहानि, प्रतिष्ठा को नुकसान, जेल में बंद करने, अमानवीय व्यवहार के लिए हर्जाना दिया जाए। इसके अलावा उन्होंने कोर्ट से कहा है कि चार्ज शीट की सभी कार्यवाहियों पर स्टे दिया जाए और उन्हें जेल से तुरंत रिहा किया जाए।
विल्सन ने जांच एजेंसियों की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा है, “यह पता लगाना आवश्यक है कि क्या जांच एजेंसी इस मामले में उलझी हुई या उसने लापरवाही बरती है और इसलिए दस्तावेजों को प्लांट करने के मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल बनाया जाए। इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है।”
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट
अमेरिकी अखबार ‘द वॉशिंगटन पोस्ट‘ ने दो दिन पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित किया था। अखबार ने आर्सेनल कंसल्टिंग के रिपोर्ट के आधार पर खुलासा किया था कि भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों के खिलाफ सूबतों को मालवेयर के सहारे लैपटॉप में प्लांट किया गया था। यही लैपटॉप बाद में पुलिस ने सीज किए थे।
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आर्सेनल कंसल्टिंग ने अपनी जांच में कहा है कि एक्टिविस्ट रोना विल्सन की गिरफ्तारी के पहले ही अटैकर्स ने उनके लैपटॉप में मालवेयर के जरिए छेड़छाड़ की और कम-से-कम 10 डॉक्यूमेंट्स हिडेन फाइल बनाकर सेव कर दिए। पुलिस ने इसके बाद जब ये लैपटॉप सीज किया तो इसमें मिलने वाले इन डॉक्यूमेंट को भीमा कोरेगांव केस में चार्जशीट के प्राथमिक सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया गया।
This is one of many "process trees" Arsenal built from recovered application execution data on Rona Wilson's computer in the Bhima Koregaon case. You can see a NetWire RAT launch, delivery of a crucial document into a hidden folder, & creation of a new "Key Logger" file. #DFIR pic.twitter.com/vAG4IGz9wA
— Arsenal Consulting (@ArsenalArmed) February 10, 2021
इन्हीं 10 डॉक्यूमेंट्स में वह लेटर भी शामिल है जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया है कि विल्सन ने यह लेटर माओवादी मिलिटेंट्स को लिखा था। और उन्होंने प्रतिबंधित संगठन से निवेदन किया था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या कर दें। इतना ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विल्सन के लैपटॉप में चुंकि ये लेटर हिडेन फोल्डर में सेव किए गए थे इसलिए उन्होंने उसे कभी खोला तक नहीं था।
आर्सेनल ने क्या कहा?
हालांकि, रिपोर्ट में ये बात का अभी खुलासा नहीं हुआ है कि सेंधमारी करने वाले अटैकर कौन था। पर यह बात पुख्ता तौर पर सामने आई है कि इस तरह के अटैक के शिकार सिर्फ विल्सन ही नहीं थे। इसी तरह के सर्वर्स और आईपी एड्रेस को अटैकर ने मामले से जुड़े दूसरे आरोपियों तक पहुंचाए थे। और यब सब कुछ 4 साल तक होता रहा। भारत के दूसरे हाईप्रोफाइल मामलों में भी आरोपियों को इसी तरह से टारगेट किए गए।
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रिपोर्ट के मुताबिक, विल्सन के लैपटॉप में तकरीबन 22 महीनों तक सेंधमारी होती रही। अटैकर्स का प्राथमिक लक्ष्य था कि लैपटॉप का सर्विलांस किया जाए और कुछ डॉक्यूमेंट को सेव किया जाए। आर्सेनल कंसल्टिंग फर्म का कहना है कि टेंपरिंग के जितने भी मामलों का फर्म ने अध्ययन किया है, उसमें से ये अब तक का सबसे गंभीर केस था।
आर्सेनल को लैपटॉप कैसे मिला?
लेकिन सवाल उठता है कि जब विल्सट के लैपटॉप को पुलिस ने जब्त किए थे तो फिर आर्सेनल कंसल्टिंग को उनके लैपटॉप कैसे मिले और उन्होंने कैसे इसकी जांच-पड़ताल की। दरअसल, विल्सन के वकील के निवेदन पर लैपटॉप की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी मिली थी। आर्सेनल ने इसके बाद इसका विश्लेषण किया।
विल्सन के वकील ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में इस रिपोर्ट को शामिल किया और निवेदन किया कि उनके क्लाइंट के खिलाफ मामलों को निरस्त किया जाए और तत्काल रिहा किया जाए। वॉशिंगटन पोस्ट से बातचीत में विल्सन के वकील सुदीप पासबोला ने कहा है कि आर्सेनल की रिपोर्ट से साबित होता है कि उनके क्लाइंट निर्दोष हैं।
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हालांकि, ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ से भारतीय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रवक्ता ने कहा है कि विल्सन के लैपटॉप की जो फॉरेंसिक जांच एजेंसी ने करवाई है उसमें किसी वायरस के होने के सबूत नहीं मिले हैं। एनआईए का कहना है कि इस मामले में जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनके खिलाफ पर्याप्त मौखिक और दस्तावेजी सबूत हैं।
भीमा कोरेगांव हिंसा
उल्लेखनीय है महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को तब हिंसा हुई थी तब ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़े दलित योद्धाओं की याद में वहां मौजूद युद्ध स्मारक पर हजारों लोग जुटे थे। वहां भारी-पथराव और आगजनी हुआ था।
इसके बाद पुणे पुलिस ने हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में देश के अलग-अलग हिस्सों से वामपंथी विचारक गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था।
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पुणे पुलिस के मुताबिक, 31 दिसंबर 2017 को पुणे में यलगार परिषद की सभा के दौरान इन सभी ने भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके चलते जिले में अगले दिन (1 जनवरी 2018) को भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक पर जातीय हिंसा भड़की।
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