सरकार ने बताया, देश की जेलों में बंद कुल कैदियों में 65 फीसद SC-ST और OBC

सरकार ने बताया, देश की जेलों में बंद कुल कैदियों में 65 फीसद SC-ST और OBC

केंद्र सरकार ने बताया है कि देश की जेलों में बंद कैदियों में सबसे अधिक एससी, एसटी और ओबीसी समूदाय की है। इनकी संख्या कुल कैदियों का 65 प्रतिशत है। बुधवार को केंद्र सराकर ने बताया कि देश की जेलों में बंद 478,600 कैदियों में से 315,409 (कुल 65.90 फीसदी) कैदी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के हैं।

राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने यह जानकारी दी। गृह राज्य मंत्री ने बताया कि ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का ओर से 31 दिसंबर 2019 तक अपडेट किए गए आंकड़ों के संकलन पर आधारित हैं।

रेड्डी ने बताया कि देश की जेलों में बंद 478,600 कैदियों में से 315,409 कैदी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणियों के हैं। बाकी के 126,393 कैदी अन्य समूहों से हैं।

सरकार ने बताया, देश की जेलों में बंद कुल कैदियों में 65 फीसद SC-ST और OBC

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सरकार की तरफ से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, 162,800 कैदी (34.01 प्रतिशत) अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। वहीं 99,273 कैदी (20.74 प्रतिशत) अनुसूचित जाति से और 53,336 कैदी (11.14 प्रतिशत) अनुसूचित जनजाति से हैं। गृह राज्य मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि कुल 478,600 कैदियों में से 458,687 कैदी (95.83 प्रतिशत) पुरुष और 19,913 कैदी (4.16 प्रतिशत) महिलाएं हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, कुल 19,913 महिला कैदी हैं जिसमें से 6,360 (31.93 फीसदी) ओबीसी जाति से हैं, जबकि 4,467 (22.43 फीसद) अनुसूचित जाति की महिलाएं हैं। वहीं 2,281 (11.45 फीसद) अनुसूचित जनजाति की और 5,176 (26.29 फीसद) अन्य श्रेणियों की हैं।

सरकारी आंकड़ों मुताबिक, मध्य प्रदेश (44,603) और बिहार (39,814), उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों में कैदियों की कुल संख्या 101,297 (देश की कुल जेल कैदियों की 21.16 प्रतिशत) हैं। जबकि उत्तर प्रदेश की जेलों में ओबीसी, एससी और ‘अन्य’ श्रेणियों के कैदियों की अधिकतम संख्या है, जबकि मध्य प्रदेश की जेलों में एसटी समुदाय की।

सरकार ने बताया, देश की जेलों में बंद कुल कैदियों में 65 फीसद SC-ST और OBC

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2018-2019 के जेल के आंकड़े पश्चिम बंगाल ने नहीं दिया है, इसलिए 2017 के आंकड़ों को शामिल किया गया है। जबकि महाराष्ट्र ने श्रेणी-वार आंकड़े नहीं दिया है। दरअसल, राज्यसभा सदस्य सैय्यद नासिर हुसैन ने केंद्र सरकार से सवाल किया था कि क्या देश की जेलों में अधिकांश कैदी दलित और मुस्लिम हैं, उनकी संख्या पर एक श्रेणीवार ब्योरा, सरकार उन्हें पुनर्वास और शिक्षित करने के लिए क्या-क्या प्रयास कर रही है?

गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कैदियों के शिक्षा और पुनर्वास को लेकर किए गए सवाल पर कहा, “जेलों और हिरासत में लिए गए लोगों का पुनर्वास और प्रबंधन संबंधित राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।”

उल्लेखनीय है कि अगस्त 2019 में एनसीआरबी की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों से पता चला था कि जेलों में बंद कुल कैदियों में दलित, आदिवासी, मुस्लिमों की संख्या देश में उनकी आबादी के अनुपात से अधिक है। साथ ही साल 2019 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देश की जेलों में बंद विचाराधीन मुस्लिम कैदियों की संख्या दोषी ठहराए गए मुस्लिम कैदियों से अधिक है।

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