वैज्ञानिकों की चेतावनी, वैक्सीन के बावजूद 2021 में नहीं हासिल होगा हर्ड इम्युनिटी

वैज्ञानिकों की चेतावनी, वैक्सीन के बावजूद 2021 में नहीं हासिल होगा हर्ड इम्युनिटी

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की प्रमुख वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि भले ही दुनियाभर में कोविड-19 वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है लेकिन साल 2021 में हर्ड इम्युनिटी हासिल हो पाना मुश्किल है। इसकी वजहों को लेकर संस्था ने कहा है कि कई देशों में सोशल डिस्टेंसिंग और आबादी के बीच का अनुपात इतना असंतुलित है कि वहां पर हर्ड इम्युनिटी आने में ज्यादा समय लगेगा। वहीं, अलग-अलग देशों में एक तरह का वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं होना भी इसके प्रमुख कारणों में से एक है।

डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन का मानना है कि 2021 में टीकाकरण शुरू हो जाने के बाद भी दुनिया हर्ड इम्युनिटी हासिल नहीं कर सकेगी। उन्होंने इसके लिए तीन कारण बताए: पहला- विकासशील देशों में पूरी जनता तक टीके का न पहुंचना, दूसरा, बड़ी संख्या में लोगों का टीके पर विश्वास न करना और तीसरा- वायरस की किस्म का बदलना।

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दुनिया के अधिकतर विकसित देशों में पहले दौर की वैक्सीन लगनी शुरू हो गई। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर और यूरोप के कुछ देश शामिल हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, हर्ड इम्युनिटी तभी बनती है जब जनता में इतनी बड़ी संख्या में लोगों में इम्युनिटी पैदा हो जाए कि यह बीमारी के संक्रमण को रोक सके। यानी एक व्यक्ति जब वायरस से संक्रमित होता है और उसके संपर्क में कोई आता है तो आने वाले व्यक्ति के अंदर इतनी क्षमता हो की वह वायरस से संक्रमित न हो पाए। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि जब 60 फीसदी आबादी को टीका लग जाएगा तभी हर्ड इम्युनिटी विकसित की जा सकती है।

एक बैठक के दौरान सौम्या स्वामीनाथन ने सोमवार को कहा, “2021 में हम किसी भी तरह की हर्ड इम्युनिटी हासिल नहीं कर सकेंगे। इस साल भी सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाना और लगातार हाथ धोते रहना जरूरी होगा।” कम समय में टीका तैयार करने के लिए उन्होंने वैज्ञानिकों की खूब तारीफ भी की। गौरतलब है कि इस वक्त बायोनटेक फाइजर, एस्ट्रा जेनेका और मॉडेर्ना की वैक्सीन सबसे अधिक इस्तेमाल की जा रही हैं।

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स्वामीनाथन ने लोगों से कहा कि वे धैर्य रखें। उन्होंने कहा कि सब तक टीका पहुंचाने में वक्त लगेगा ही क्योंकि यहां अरबों डोज की बात हो रही है और कंपनियों को भी इतनी मात्रा में वैक्सीन त तैयार में वक्त लगेगा। उन्होंने कहा, “वैक्सीन आएंगी। सब देशों तक पहुंचेंगी। लेकिन इस दौरान हमें साफ सफाई के मानकों को नहीं भूलना चाहिए।”

वहीं डब्ल्यूएचओ के इमरजेंसी चीफ डॉ. माइकल रयान ने कहा, “वैरिएंट्स की वजह से कोरोना मामलों तेजी नहीं आई है। ये आई है लोगों द्वारा कोरोना से संबंधित नियमों का पालन न करने से। वैरिएंट के आने से कुछ नियमों में बदलाव हो सकता है लेकिन उसे मानना या न मानना तो उस देश के लोगों पर निर्भर करता है।

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माइकल ने आगे कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वैरिएंट कौन-सा है। फर्क इससे पड़ता है कि किस देश के लोग कोरोना से संबंधित नियमों को कितना मान रहे हैं। नहीं मानेंगे तो कोरोना की लहर आती रहेगी। चाहे कितनी भी वैक्सीन लगा लें। आप तब तक सुरक्षित नहीं रह सकते जब तक आप खुद को सुरक्षित रखना नहीं चाहते।”

जबकि डब्ल्यूएचओ के आउटब्रेक अलर्ट एंड रिस्पॉन्स नेटवर्क के अध्यक्ष डेल फिशर ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि निकट भविष्य में ‘सामान्य जीवन’ में लौटना संभव नहीं होगा। फिशर ने कहा, “हम जानते हैं कि हमें हर्ड इम्युनिटी तक पहुंचना है और हम यह भी जानते हैं कि हमें ज्यादा से ज्यादा देशों में यह लक्ष्य हासिल करना है। इसलिए 2021 में तो हम ऐसा देख सकेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि कुछ देश हर्ड इम्युनिटी हासिल करने में सफल हो जाएं पर बावजूद इसके जीवन ‘नॉर्मल’ नहीं हो सकेगा। क्योंकि बॉर्डर कंट्रोल के लिहाज से यह पेचीदा विषय है।

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