किसान आंदोलन के दौरान अब तक 10 व्यक्तियों की मौत, ठंड लगने से गई कई लोगों की जान

किसान आंदोलन के दौरान अब तक 10 व्यक्तियों की मौत, ठंड लगने से गई कई लोगों की जान

नई दिल्ली: किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बीते 14 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कल किसानों ने शांतिपूर्ण भारत बंद का आह्वान कर इस काननू के खिलाफ प्रदर्शन किए। लेकिन इस दौरान तीन किसानों की मौत की सूचना सामने आई है।

दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर मंगलवार को धरने के लिए आए एक किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इस बात की जानकारी पुलिस ने दी। सोनीपत के थाना कुंडली प्रभारी रवि कुमार ने बताया, “हमें सूचना मिली थी कि टीडीआई के सामने बरोदा के रहने वाले 32 वर्षीय किसान अजय सिंह की मौत हो गई है।” पुलिस ने बताया कि बीते कुछ दिनों से अजय सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरने में शामिल थे।

प्रभारी रवि कुमार ने कहा, “सात दिसंबर की देर रात खाना खाकर अपनी ट्राली के नीचे सो रहे थे, लेकिन सुबह जब उसके साथियों ने उन्हें उठाया तो वह नहीं उठे। किसानों ने इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को दी। स्वास्थ्यकर्मियों ने मौके पर जाकर जांच की तो वह दम तोड़ चुके थे।”

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बताया जा रहा है कि इस हादसे की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और फिर पोस्टमॉर्टम के लिए सोनीपत के एक अस्पताल में भिजवा दिया। इस संबंध में पुलिस ने कहा, “प्रथम दृष्टया ठंड से मौत का मामला लग रहा है, हालांकि पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा हो पाएगा की मौत कैसे हुई।”

वहीं दूसरी तरफ खबरों के मुताबिक, मंगलवार को ही किसान आंदोलन के दौरान बीबी गुरमैल कौर की मौत हो गई है। वह धरने में शामिल किसानों के लिए रोजाना रोटियां बना रही थीं।वहीं, हरियाणा के जींद में धरने पर बैठे एक किसान की हृदय गति रुकने से मौत हो गई। इस मामले की गढ़ी थाना पुलिस जांच कर रही है।

इन तीनों की मौत के अलावा भी और कई किसानों की मौत बीते मंगलवार को हुई है। मंगलवार की सुबह गांव उझाना के निवासी 60 वर्षीय किसान किताब सिंह गांव के निकट गढ़ी मार्ग पर चल रहे धरने की अगुवाई कर रहे थे। लेकिन दोपहर को किताब सिंह की तबीयत खराब हो गई और वह बेसुध होकर गिर पड़ें। साथी किसान सिंह को उपचार के लिए नरवाना अस्पताल लेकर गए। वहां चिकित्सकों ने सिंह को मृत घोषित कर दिया।

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किताब सिंह के बेटे जितेंद्र ने बताया, “मेरे पिता धरने के लिए पहुंचे थे वहां दोपहर को हृदय गति रुकने से उनकी मौत हो गई।” पुलिस सूत्रों के मुताबिक, घटना की सूचना पाकर गढ़ी थाना प्रभारी नरवाना जनरल अस्पताल पहुंचे और हालात का जायजा लिया। फिलहाल गढ़ी थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते 7 दिसंबर को पंजाब के एक 49 वर्षीय किसान की दिल्ली के टिकरी बॉर्डर में मृत्यु हो गई थी। उस वक्त पुलिस ने कहा था कि अभी मौत के कारणों का पता नहीं चला है। झज्जर पुलिस अधिकारियों के अनुसार, मृतक किसान की पहचान पंजाब के मोगा जिले के मेवा सिंह के रूप में हुई थी।

बहादुरगढ़ के डीएसपी पवन कुमार ने कहा था, “उसकी तबियत बिगड़ने के बाद बहादुरगढ़ जनरल अस्पताल ले जाया गया था, जहां उसे मृत घोषित कर दिया। मौत के कारण स्पष्ट नहीं है। उनके साथियों ने कहा है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है।”

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बता दें कि किसान आंदोलन के दौरान अलग-अलग कारणों से कम-से-कम छह लोगों की मौत हो चुकी है। बीते तीन दिसंबर को टिकरी बॉर्डर पर हो रहे प्रदर्शन में शामिल एक किसान की मौत कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी। मृतक की पहचान बठिंडा के रहने वाले लखवीर सिंह के रूप में हुई थी। बताया गया था कि वह बीते 28 नवंबर को दिल्ली आए थे और टिकरी बॉर्डर पर लंगर सेवा में ड्यूटी कर रहे थे।

इसके बाद खबर आई थी बीते 2 नवंबर की। 2 नवंबर की सुबह पंजाब के मानसा जिले कि 60 वर्षीय गुरजंत सिंह की मौत हो गयी थी। वे भी टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल हुए थे। वह मानसा जिले के बछोअना गांव के रहने वाले थे। 1 दिसंबर की देर रात वह अचानक बीमार हो गए। फिर उन्हें एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

इसी तरह कुरुक्षेत्र में बीते 1 दिसंबर को देर रात 32 वर्षीय बलजिंदर सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। वे दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन स्थल से वापस लौट रहे थे। बलजिंदर लुधियाना के झम्मत गांव के रहने वाले थे।

एक और मौत हुई बीते 29 नवंबर को। लुधियाना के रहने वाले 55 वर्षीय किसान गज्जन सिंह की। उनकी मौत बहादुरगढ़ के पास दिल्ली बॉर्डर पर हो गई थी। उनके साथ के किसानों ने बताया था कि हार्ट अटैक के चलते उनकी मृत्यु हुई है। उसी 29 नवंबर को ही 55 वर्षीय मैकेनिक जनकराज अग्रवाल की मौत एक गाड़ी में आग लगने के चलते हो गई। अग्रवाल गाड़ी में आराम कर रहे थे।

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जनकराज पंजाब के बरनाला जिले के धनौला में मैकेनिक का काम करते थे। जनक ट्रैक्टर ठीक करने वाले तीन अन्य लोगों के साथ आंदोलन में शामिल किसानों के ट्रैक्टर और ट्रकों को रिपेयर करने के लिए टिकरी बॉर्डर आए थे।

‘दिल्ली चलो’ प्रदर्शन के दौरान सबसे पहली मौत किसान की हुई थी वो थे धन्ना सिंह की। वे 45 वर्ष के थे। वे पंजाब के मानसा जिले के रहने वाले थे। उनकी मौत बीते 27 नवंबर को हरियाणा के भिवानी में एक सड़क दुर्घटना में हो गई थी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और अन्य क्षेत्रों के हजारों किसान दिल्ली की सिंधु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन पिछले 14 दिनों से हो रही है। इसकी शुरुआत 26 नवंबर को हुई थी। उस वक्त किसानों पर नवंबर की ठंड में पानी की बौछार, तो कभी लाठी चार्ज तो कभी आंसू गैस छोड़े गए।

लेकिन किसानों के हौसले के सामने उनको रोकने का कोई भी प्रयास काम नहीं आया। और अंत में उन्हें आंदोलन करने के लिए जगह दी गई। इस आंदोलन को लेकर किसानों का कहना है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए दिल्ली आए हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होगी तब तक उनका विरोध प्रदर्शन ऐसे ही जारी रहेगा।

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