राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद विपक्षी दलों ने कहा- किसान हिंदुस्तान है, हम उनके साथ हैं

राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद विपक्षी दलों ने कहा-  किसान हिंदुस्तान है, हम उनके साथ हैं

नई दिल्ली: देशभर के किसान केंद्र सरकार के कृषि बिल के खिलाफ 14 दिनों से आंदोलन पर हैं। बीते मंगलवार को किसानों ने भारत बंद बुलाया था जो सफल रहा है। इसके बाद आज कृषि कानून को लेकर विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुलाकात के बाद कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि तीनों किसान विरोधी कानूनों को तुरंत वापस लिया जाए।

राष्ट्रपति कोविंद से पांच विपक्षी नेताओं ने मुलाकात कर उन्हें एक मेमोरेंडम सौंपा। मेमोरेंडम में उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंड बिल और कृषि कानूनों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। क्योंकि ये कानून लोकतंत्र के खिलाफ हैं।”

राहुल गांधी ने कहा, “सरकार को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान डर जाएंगे या हट जाएंगे। हिंदुस्तान का किसान डरेगा भी नहीं और हटेगा भी नहीं। जब तक ये कानून रद्द नहीं कर दिए जाते हैं।” उन्होंने ने किसानों से कहा कि देश की जनता और सभी राजनीतिक दल उनके साथ हैं और उन्हें कोई पीछे नहीं हटा सकता है।

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन के दौरान अब तक 10 व्यक्तियों की मौत, ठंड लगने से गई कई लोगों की जान

कांग्रेस नेता ने कहा, “देश का किसान समझ गया है कि मोदी सरकार ने उन्हें धोखा दिया है और अब वो पीछे नहीं हटने वाला क्योंकि वो जानता है कि अगर आज समझौता कर लिया तो उसका भविष्य नहीं बचेगा। किसान हिंदुस्तान है! हम सब किसान के साथ हैं, डटे रहिए।”

वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा, “सभी विपक्षी दलों ने इन कानूनों को लेकर सरकार से कहा था कि इन पर चर्चा जरूरी है और इन्हें सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहिए। लेकिन विपक्ष के किसी भी सुझाव को नहीं माना गया और जल्दबाजी में सरकार ने इन बिलों को पास कर दिया। इस सर्दी में किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, अपना विरोध जता रहे हैं, अब ये सरकार की जिम्मेदारी है कि इस मुद्दे को सुलझाएं।”

दूसरी तरफ माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, “हमने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन दिया है। हमने उनसे कृषि कानून और बिजली संशोधन बिल को रद्द करने की मांग की है जिसे बिना किसी उचित विचार-विमर्श और सलाह के अलोकतांत्रिक तरीके से पास किया गया था।”

ये भी पढ़ें: संशोधन प्रस्ताव खारिज, किसान बोलें- अगर सरकार जिद्द पर अड़ी है तो हम भी अड़े हैं

उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा, “तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को 25 से अधिक विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दिया है। ये कानून भारत के हक में नहीं हैं और यह हमारी खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरा है।”

उधर, कृषि कानूनों का पिछले 14 दिनों से विरोध कर रहे किसानों ने आज सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कांफ्रेंस किया और सरकार की तरफ से भेजे गए लिखित प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कृषि कानूनों में संशोधन की बजाय उन्हें निरस्त करने की मांग पर अड़े किसानों ने आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है।

किसानों ने 14 दिसंबर को पूरे देश में प्रदर्शन करने और बीजेपी दफ्तरों का घेराव करने की बात कही है। उनकी तरफ से 12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा हाईवे को बंद करने की घोषणा की गई है। यह भी कहा गया है कि उस दिन सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे।

ये भी पढ़ें: सोनू सूद ने अपनी 2 दुकान और 6 फ्लैट्स गिरवी रख लोगों को घर पहुंचाया

क्रांति किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्र सरकार के प्रस्तावों को किसान संगठनों ने किया खारिज कर दिया है। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार अगर दूसरा प्रस्ताव भेजती हो तो उस पर विचार किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published.