ओमिक्रॉन से निपटने के लिए WHO ने दी एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को चेतावनी

ओमिक्रॉन से निपटने के लिए WHO ने दी एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को चेतावनी

कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को चेतावनी दी है। WHO ने शुक्रवार को कहा है कि इन देशों को कोरोना के नए संक्रमण से खुद को बचाने के लिए अपना स्वास्थ्य ढांचा मजबूत करने के साथ-साथ पूर्ण टीकाकरण पर जोर देना चाहिए।

WHO के पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक ताकेशी कासेई ने कहा, “लोगों को केवल यात्रा प्रतिबंधों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। सबसे अहम चीज ये है कि कैसे तेजी से फैलने वाले इन संक्रमणों से बचाने के उपाय किए जाएं। अब तक उपलब्ध जानकारी से पता चलता है कि हमें अपना नजरिया बदलने की जरूरत नहीं है।”

WHO ने पिछले हफ्ते बताया था कि उसे दक्षिण अफ्रीका से एक नए वेरिएंट के मिलने की खबर मिली है जो तेजी से संक्रमित करता है। उसके बाद दुनिया के कई देश दक्षिण अफ्रीका और उसके कई पड़ोसी देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने का धड़ाधड़ एलान करने लगे।

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WHO ने एक बार फिर से कहा है कि सभी देशों को दक्षिण अफ्रीका के विमानों पर लगे यात्रा प्रतिबंधों के बारे में दोबारा सोचना चाहिए। क्योंकि अब तक करीब दो दर्जन देशों में ओमिक्रॉन के मरीज मिल चुके हैं। उनका कहना है कि हमें अब तक ये नहीं मालूम कि आखिर कहां ये वेरिएंट विकसित हुआ।

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WHO ने आगे कहा कि इस तरह के यात्रा प्रतिबंध लगाकर 65 करोड़ की आबादी वाला एशिया-प्रशांत क्षेत्र संक्रमण के फैलाव को केवल धीमा कर सकता है। यात्रा के तमाम प्रतिबंधों के बावजूद धीरे-धीरे दुनिया के कई देशों से ओमिक्रॉन के क्लस्टर संक्रमण देखने को मिल रहे हैं।

अब इनमें अमेरिका के पाँच राज्यों के बाद ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हो गया है। भारत, जापान, मलेशिया, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया में भी इसके मरीज मिलने के साथ इस हफ्ते इसने एशिया में भी पैर जमाना शुरू कर दिया है।

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संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने मंगलवार को जिनीवा में SARS-CoV-2 (कोरोना वायरस) के नए वैरिएण्ट ओमिक्रॉन के सम्बन्ध में बुलाए गए एक सत्र को सम्बोधित किया।

सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक कार्रवाई को संयमित, समन्वित व सुसंगत बनाना होगा, और इस क्रम में, अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामकों को भी ध्यान में रखा जाना होगा। उन्होंने कहा कि यूएन एजेंसी कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के उभरने को बेहद गम्भीरता से ले रही है और सदस्य देशों को भी यही करना होगा।

घेबरेयेसस ने कहा, “मगर, हमें हैरान नहीं होना चाहिए। वायरस यही करते हैं। और जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूं, हम वैश्विक महामारी को जितना लम्बा खिंचने देते हैं। वैक्सीन विषमता को दूर करने या सार्वजनिक स्वास्थ्य व सामाजिक उपायों को एक लक्षित व सुसंगत ढंग से लागू करने में विफल रहते हैं; तो वायरस को ऐसे नए रूपों में बदलने का अवसर होगा, जिनका हम अनुमान नहीं लगा सकते या रोकथाम नहीं कर सकते हैं।”

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उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन नामक वैरिएंट से होने वाली बीमारी की गम्भीरता, परीक्षणों की प्रभावशीलता, उपचार और वैक्सीन के सम्बन्ध में अभी स्पष्ट जानकारी का अभाव है, मगर जानकारी जुटाई जा रही है। उन्होंने वायरस का जल्द पता लगाने, सीक्वेंसिंग और रिपोर्टिंग की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका की सराहना की।


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