पश्चिम बंगाल के सिंगूर से टाटा कंपनी को भगाकर सत्ता में आईं ममता बनर्जी इन दिनों काफी उत्साहित हैं। वह जगह-जगह दौरे कर रही हैं और कांग्रेस पर निशाना साध रही हैं। एनडीए की सत्तारूढ़ की बीजेपी पर हमला बोलने के बजाए वह लगातार यूपीए गठबंधन पर हमलावर हैं।
अब उन्होंने नरेंद्र मोदी के खासम-खास गौतम अडानी को पश्चिम बंगाल में आने का आमंत्रण दे दिया है। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2 दिसंबर को कोलकाता के राज्य सचिवालय ‘नाबाना’ में गौतम अडानी से मुलाकात की।
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी भी इस बैठक में मौजूद रहे। यह मुलाकात करीब डेढ़ घंटे तक चला। दोनों के बीच पश्चिम बंगाल में निवेश के विकल्पों पर बातचीत हुई। खुद गौतम अडानी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
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अडानी ने बताया है कि वह अगले साल अप्रैल में होने वाले ‘बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट’ में हिस्सा लेंगे। बता दें कि ममता बनर्जी पिछले हफ्ते जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली आई थीं, उसी दौरान उन्होंने बिजनेसमैन गौतम अडानी को आमंत्रण दिया था।
गौतम अडानी ने ममता बनर्जी के साथ बैठक के बाद खुद ट्वीट करके बताया, “माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर प्रसन्नता हुई। विभिन्न निवेश परिदृश्यों और पश्चिम बंगाल की जबर्दस्त संभावनाओं पर उनके साथ चर्चा की। मैं अप्रैल 2022 में बंगाल वैश्विक कारोबार सम्मेलन (बीजीबीएस) में भाग लेने के लिए बेहद उत्सुक हूं।”
Delighted to meet @MamataOfficial, Hon'ble Chief Minister Mamata Banerjee.
— Gautam Adani (@gautam_adani) December 2, 2021
Discussed different investment scenarios and the tremendous potential of West Bengal. I look forward to attending the Bengal Global Business Summit (BGBS) in April 2022. pic.twitter.com/KGhFRJYOA4
उल्लेखनीय है कि बिजनेस समिट को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार दूसरी पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर रही हैं। हाल ही में मुंबई की अपनी यात्रा के दौरान ममता बनर्जी ने एनसीपी चीफ शरद पवार, संजय राउत और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे जैसे राजनेताओं से मुलाकात किया।

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ममता ने इसके अलावा मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर और एक्ट्रेस स्वरा भास्कर से भी मुलाकात की। इससे पहले 19 जुलाई 2021 को ममता बनर्जी सरकार में उद्योग मंत्री पार्था चटर्जी ने कहा था कि ममता बनर्जी सरकार चाहती है कि राज्य में कोई बड़ा उद्योगपति 2 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना करे।
पार्था चटर्जी ने सिंगूर आंदोलन के लिए टाटा को जिम्मेदार न ठहराते हुए कहा कि हमारी उनके साथ कभी भी कोई दुश्मनी नहीं थी, न ही हमारी लड़ाई उनके साथ थी। वे देश और दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित घरानों में से एक हैं। इस हंगामे के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
जैसा कि मालूम है कि साल 2006 में टाटा नैनो के सिंगूर में लगे प्लांट के खिलाफ जमकर आंदोलन किया था। तब ममता बनर्जी ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन चलाकर देशभर में छा गई थीं। उसके पांच साल बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में 34 साल पुराने वामपंथी शासन को उखाड़कर फेंक दिया।
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दरअसल, टाटा ग्रुप सिंगूर में दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो बनाने की फैक्ट्री लगाना चाह रहा था। तब बंगाल में वाम दलों की सरकार थी। लेफ्ट फ्रंट सरकार ने इस स्थान पर किसानों की 997 एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी और उसे कंपनी के हवाले किया था।

ममता बनर्जी उस समय विपक्ष की नेता थीं। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ 26 दिनों का भूख हड़ताल किया और ममता के शब्दों में जबरन ली 347 एकड़ जमीन की वापसी की मांग की थी। इस बाबत राज्य सरकार और ममता के बीच कई बार बातचीत हुई लेकिन मुद्दा सुलझाया नहीं जा सका।
इस दौरान राज्य में जमकर हंगामा हुआ। और फिर आखिरकार 2008 में तब के तत्कालिन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलाए पर टाटा कंपनी सिंगूर से निकलकर गुजरात के साणंद चली गई। 2016 में किसानों से ली गई जमीन को ममता सरकार ने वापस किसानों को सौंप दे दिया।
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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार भी अडानी पर खासी मेहरबान है। क्योंकि भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की चेतावनी के बावजूद वहां की कांग्रेस सरकार ने खनन की मंजूरी दे दी है। जबकि रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के उस जंगली इलाके को ‘नो गो एरिया’ घोषित करने के लिए कहा गया है।
दरअसल, एक समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने अपनी जैव विविधता रिपोर्ट जारी की। जिसमें उन्होंने चेतावनी दी कि हसदेव अरण्य कोयला क्षेत्र को ‘नो गो एरिया’ घोषित किया जाना चाहिए। फिर भी राज्य की बघेल सरकार ने उसी क्षेत्र में पीईकेबी कोयला ब्लॉक में खनन के दूसरे चरण को मंजूरी दे दी है।
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