देशभर में कोरोना के कारण हाहाकार मचा हुआ है। इलाज के बगैर लोग सड़कों पर मर रहे हैं लेकिन मरीजों को मेडिकल सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। ऐसे हालात में सरकार अभी भी मीटिंग मोड में है। देश की राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में न बेड्स हैं और ऑक्सीजन और वेंटिलेटर। हर तरफ त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति है। अधिकतर अस्पतालों ने कह दिया है कि उनके यहां ऑक्सीजन खत्म होने को है।
उत्तर प्रदेश के कई अस्पतालों ने पहले ही कह दिया है कि मरीज के कार्जियन उन्हें ले जाएं। हालात ये हो गई है कि पहले मरीज रो रहे थे और अब अस्पताल के मालिक रो रहे हैं। दिल्ली के छोटे-छोटे नर्सिंग होम और अस्पतालों की हालत इस वक्त सबसे ज्यादा खराब है। गुरुवार दोपहर तक राजधानी के 15 से अधिक छोटे अस्पताल शट डाउन हो गए।
दिल्ली में कड़कड़ी मोड़ पर स्थित शांति मुकुंद अस्पताल में ऑक्सीजन का स्टॉक खत्म होने को है। अस्पताल प्रशासन ने सरकार से ऑक्सीजन की आपूर्ति कराने की मांग के साथ ही मरीजों को डिस्चार्ज करना शुरू कर दिया है। शांति मुकुंद के एमएस ने बताया कि अस्पताल उन मरीजों को डिस्चार्ज कर रहा है जिन्हें कम ऑक्सीजन की आवश्यकता है। साथ ही अस्पताल उन्हें दूसरे अस्पतालों में भर्ती होने में भी मदद कर रहा है।
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अस्पताल ते सीईओ डॉक्टर सुनील सागर ऑक्सीजन की किल्लत की बात कहते हुए रो पड़े। डॉ. सुनील सागर ने रोते हुए कहा, “स्थिति बहुत विकट है। हमारे पास बहुत कम ऑक्सीजन बचा है। डॉक्टरों से हमने कहा है कि जिन्हें छुट्टी दी जा सकती है, उन्हें दे दी जाए।
#WATCH | Sunil Saggar, CEO, Shanti Mukand Hospital, Delhi breaks down as he speaks about Oxygen crisis at hospital. Says “…We’re hardly left with any oxygen. We’ve requested doctors to discharge patients, whoever can be discharged…It (Oxygen) may last for 2 hrs or something.” pic.twitter.com/U7IDvW4tMG
— ANI (@ANI) April 22, 2021
उन्होंने आगे कहा कि हमारे यहां केवल दो घंटे का ऑक्सीजन बचा है। वहीं हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने बताया कि समय पर अगर ऑक्सीजन उपलब्ध हो गया तो मरीजों छुट्टी नहीं दी जाएगी। वहीं अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज के परिजनों ने सरकार से अपील की है कि उनके अपनों को जल्द से जल्द ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए।
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खबरों के मुताबिक, होली फैमिली और श्री बालाजी एक्शन इंस्टीट्यूट अस्पताल में भी अब सिर्फ दो घंटे का ऑक्सीजन स्टॉक बचा है। दोनों अस्पतालों ने राज्य और केंद्र सरकार से ऑक्सीजन की आपूर्ति की गुजारिश की है। बालाजी में 220 कोरोना के मरीज भर्ती हैं जिसमें से करीब 80 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं।
यही हाल ग्रेटर नोएडा के प्रकाश हॉस्पिटल का भी है। यहां भी अभी तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचा है। 12 मरीजों को डिस्चार्ज अभी तक किया जा चुका है। नोएडा के कैलाश अस्पताल और प्रकाश अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कमी हो गई है। प्रशासन ने बताया है अस्पताल के पास सिर्फ चार-पांच घंटे के लिए ऑक्सीजन का स्टॉक बचा है।
दिल्ली के सबसे बड़े हॉस्पिटल में से एक सर गंगा राम अस्पताल में मंगलवार की शाम को ऑक्सीजन की भार कमी हो गई थी। अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डीएस राणा को सामने आकर जानकारी देनी पड़ी की उनके पास सिर्फ सात घंटे का ही ऑक्सीजन बचा है। अगर समय पर कदम नहीं उठाया गया तो 120 अधिक मरीजों की मौत हो जाएगी। मगर इत्तेफाक से समय पर ऑक्सीजन पहुंच गया और लोगों की जान बच गई। अभी फिर से खबर है कि सर गंगा राम अस्पताल में शुक्रवार की सुबह 10 बजे तक का ही ऑक्सीजन बचा है।
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इसमें कोई दो राय नहीं कि केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारें तक बुरी तरह फेल हुई है। लेकिन सवाल यह है कि जब कोरोना महामारी पिछले साल आई थी और लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों के साथ सरकार को करीब 400 से अधिक दिनों का समय मिला तक उसने क्या सिखा?
सच कहा जाए तो पिछले साल से सरकार ने कुछ नहीं सिखा, उल्टा महामारी के दौरान ऑक्सीजन का दोगुना निर्यात किया है। जब 2020-21 में पूरा देश महामारी से जुझ रहा था केंद्र ने 9,301 मिट्रिक टन ऑक्सीजन का निर्यात कर दिया। ये अन्य सालों की तुलना में दोगुना रहा।
एएनआई के मुताबिक, भारत ने 9,884 मिट्रिक टन इंडस्ट्रियल और 12 मिट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का निर्यात किया। अब सरकार बिगड़ते हालात को देखते हुए 50,000 मिट्रिक के ऑक्सीजन के आयात की बात कही है। आज जब हालात खराब है ऑक्सीजन की फैक्टियां लगाने की बात की जा रही हैं।
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