दिल्ली हिंसा मामले में अदालत ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद को जमानत दे दी है। दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद को केवल इस बात के लिए कैद करके नहीं रखा जा सकता है कि भीड़ में शामिल दूसरे लोगों की पहचान की जाए और उन्हें मामले में गिरफ्तार किया जाए।
खालिद को कोर्ट ने जमानत देते हुए शर्त रखी है कि उन्हें अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करना होगा। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहाकि उमर खालिद को कोर्ट की हर तारीख पर पेश होना होगा। साथ ही वह न तो गवाहों को प्रभावित करेंगे और न ही सबूतों से छेड़छाड़ की कोशिश करेंगे। साथ ही कोर्ट ने उमर से कहा कि वे खजूरी खास के एसएचओ को अपना मोबाइल नंबर देंगे और हर समय मोबाइल को ऑन रखेंगे।
North East Delhi Violence: Delhi court grants bail to JNU former student leader Umar Khalid (in file pic). Court noted that he can't be made to incarcerate in jail for infinity merely on account that others who were part of the mob have to be identified & arrested in the matter. pic.twitter.com/Tg7Tcu2hrJ
— ANI (@ANI) April 15, 2021
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उमर खालिद पर आरोप है कि उन्होंने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली हिंसा के दौरान उन्होंने साजिश रची। पुलिस ने उन पर आरोप लगाते हुए कहा था कि खालिद ने दंगों से पहले 8 जनवरी 2020 को ताहिर हुसैन और अन्य से शाहीन बाग इलाके में मुलाकात कर दंगों की साजिश रची। उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने हिंसा की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाने के आरोप में आतंकवाद निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था।
दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद के खिलाफ दाखिल किए गए चार्जशीट में कहा था, “जांच के दौरान ये पाया गया कि ताहिर हुसैन यूनाइटेड अगेंस्ट हेट ग्रुप के खालिद सैफी के संपर्क में थे। सैफी के जरिए हुसैन उमर खालिद के संपर्क में भी थे। सैफी ने 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में हुसैन और उमर की मुलाकात कराई। इस मुलाकात में ये तय किया गया कि केंद्र सरकार को सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर हिलाने और अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत को बदनाम करने के लिए बड़ा धमाका करना होगा।”

उल्लेखनीय है कि पिछले साल 24 फरवरी को नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार जैसे इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे।
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तब हिंसा में कम-से-कम 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। इतना ही निजी और सरकारी संपत्तियों को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने कुछ स्कूलों सहित मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों और पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
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