अस्पतालों में न बेड मिल रहे हैं और न ही ऑक्सीजन सिलिंडर, सड़क पर मरीज

अस्पतालों में न बेड मिल रहे हैं और न ही ऑक्सीजन सिलिंडर, सड़क पर मरीज

देश में बुधवार को कोरोना का मामला दो लाख के करीब चला गया। इस बीच अस्पतालों से लगातार बुरी खबरें आ रही हैं। संक्रमित लोगों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, नई दिल्ली जैसे राज्यों के अस्पतालों में बेड की भारी कमी हो गई है जिसके चलते लोगों को भटकना पड़ रहा है। लखनऊ में जांच रिपोर्ट देरी से आने के चलते मरीजों का बुरा हाल है।

दरअसल, कोरोना के संदिग्ध मरीजों का रिपोर्ट पांच-सात दिनों तक नहीं आ रहे हैं जिसके चलते हालात गंभीर होते जा रहे हैं। मरीज का ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा है, लेकिन जब वह भर्ती के लिए जा रहे हैं तो उन्हें न तो नॉन कोविड में कोई भर्ती लेने को तैयार है और न ही कोरोना अस्पताल में भर्ती दे रहे हैं। एक ऐसा ही मामला बुधवार को सामने आया, जब 60 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को किसी अस्पताल में भर्ती नहीं लिया गया। आखिरकार वह अस्पताल के गेट पर कार में ही ऑक्सीजन सिलिंडर के सहारे जिंदगी से संघर्ष करते दिखे।

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करीब एक हफ्ते पहले अलीगंज निवासी 60 सुशील श्रीवास्तव को सांस लेने में तकलीफ और खांसी-बुखार हुई थी। इसके बाद से ही वे आरटीपीसीआर जांच के लिए भटक रहे थे। उन्होंने 1500 रुपये देकर निजी लैब से जांच कराई। बावजूद उनकी रिपोर्ट पांच दिन गुजर जाने के बाद भी नहीं आई। इस दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई। उनका ऑक्सीजन लेवल 80 से भी नीचे चला गया। ऐसे हालात में उनकी सांसें उखड़ने लगी। घरवाले अस्पताल लेकर भागे। मगर कोई भी अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने को तैयार नहीं हुआ। सामान्य अस्पताल कोविड का केस बता कर भर्ती नहीं लिए।

वहीं कोविड अस्पताल कोरोना रिपोर्ट और सीएमओ का निर्देश नहीं होने की बात कहकर भर्ती नहीं किए। घरवालों ने इसके बाद दर्जनों निजी अस्पतालों में भी ट्राई किया पर कहीं भर्ती नहीं हुए। आखिरकार वह स्वामी विवेकानंद पॉलीक्लिनिक में गए। वहां भी कोरोना रिपोर्ट नहीं होने से भर्ती से इनकार कर दिया गया। तब परिवारजन निराश होकर बाजार से ऑक्सीजन सिलिंडर खरीद कर ले आए और वहीं कार में बैठे मरीज को लगा दिया। इसके बाद वह कोरोना रिपोर्ट का इंतजार करते रहे।

अस्पतालों में न बेड मिल रहे हैं और न ही ऑक्सीजन सिलिंडर, सड़क पर मरीज

ऐसे ही हालात हिंदी के मशहूर कवि और जाने माने गीतकार कुंवर बेचैन के साथ भी हुआ। कोरोना की चपेट में आने से उनकी हालत गंभीर हो गई है। ऑक्‍सीजन लेवल 77 तक जा पहुंचा गया पर दिल्‍ली के एक निजी अस्‍पताल में भर्ती हुए कुंवर बैचेन को इस हालत में भी वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहा था। तब कवि डॉ. कुमार विश्‍वास ने ट्वीट कर उनके लिए मदद की अपील की। इस ट्वीट के बाद गौतमबुद्धनगर से सांसद डा. महेश शर्मा ने कुमार विश्‍वास को फोन कर मदद का आश्‍वासन दिया। इसके बाद बेचैन को कैलाश हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया।

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ऐसे ही हालात दूसरे राज्यों में भी है। हर जगह वेंटिलेटरों और बेड के लिए मारामारी हो रही है। बिहार की राजधानी पटना के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल एनएमसीएच में कोरोना संक्रमित मरीजों की हो रही लगातार मौत से पीड़ित परिजनों में खासा आक्रोश है। प्रदेश के भागलपुर में मायागंज अस्पताल में कोविड 19 मरीज की मौत के बाद परिवार के सदस्यों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की। कल बुधवार को मरीज की आईसीयू वार्ड में मौत हो गई थी। मृतक के भतीजे प्रवीण झा ने बताया कि डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही के चलते उनके जाजा की जान चली गई।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में 1037 लोगों की मौत का आंकड़ा दर्ज किया गया। अब तक के कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 14,07, 0300 हो गई है। कोरोना से पीड़ित लोगों के ठीक होने की दर और गिरकर 89.51 प्रतिशत रह गई है। इसी बीच गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से बुरी खबर है। यहां लोगों को दाहसंस्कार करने के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।


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