कोरोना संक्रमण के बीच कुरनूल में लाखों की संख्या में उगादी त्यौहार मनाने जुटी भीड़

कोरोना संक्रमण के बीच कुरनूल में लाखों की संख्या में उगादी त्यौहार मनाने जुटी भीड़

देश में बीते 24 घंटों में कोरोना के करीब दो लाख मामले सामने आए हैं। आए दिन कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली खबरें आ रही हैं। कुंभ स्नान के बाद अब आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के एक गाँव में उगादी त्यौहार मनाने की तस्वीर सामने आई है। दरअसल, कर्नाटक के कुरनूल में बुधवार को एक अनोखे तरीके से तेलुगु नव वर्ष उगादी मनाया गया।

उगादी के एक दिन बाद, केरुप्पा के ग्रामीण एक जगह जमा हुए और एक-दूसरे पर गोबर और मिट्टी फेंका। इतना ही कल्लुरु में लोगों ने चौदेश्वरी उत्सवम के दौरान गधों का जुलूस भी निकाला गया। असपारी मंडल के केरुप्पला गाँव में लोगों ने पेद्दनगुलातुलता मनाया, जिसे पिडाकला समारम (गाय के गोबर से बने केक से लड़ना) भी कहा जाता है।

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इस दौरान ग्रामीणों ने खुद दो समूहों में विभाजित किया और भगवान वीरभद्र स्वामी का जुलूस निकाला। इस दौरान स्थानीय लोगों ने एक-दूसरे पर गोबर की बरसात की। उत्सव के लिए यह गोबर केक एक महीने पहले बनाया गया था। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसको लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों और सरकार की ओर से ऐसी लापरवाही कैसे की जा सकती है।

इस उत्सव के पीछे एक मिथक है। कहा जाता है कि लिंगायत वीरभद्र स्वामी जब एससी समुदाय की महिला कालिका देवी से शादी करना चाहते थे, तो दोनों समुदायों के बीच जमकर झड़प हुई। हालांकि, शांति लाने के लिए ग्राम प्रधानों ने एक साथ बैठकर शादी की व्यवस्था की और उसके बाद सब कुछ ठीक हो गया।

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उसी घटना की याद में यह महोत्सव मनाया जाता है, जहां ग्राम प्रधान गोबर लड़ाई के बाद एक साथ बैठते हैं और वीरभद्र स्वामी की शादी करते हैं। इस दौरान लिंगायत, रेड्डी और मुस्लिम समुदाय के लोग वीरभद्र स्वामी के पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि एससी, यादव और कुरुमा समुदाय कालिका देवी के पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। असपारी के उप-निरीक्षक गिरि बाबू ने बताया कि पारंपरिक लड़ाई में 100 से अधिक लोग घायल हुए थे, लेकिन किसी ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

इसी तरह, कुरनूल नगर निगम सीमा के कल्लुरू इलाके में चौडेश्वरी उगादी उत्सवम भी एक अलग तरीके से मनाया जाता है। इस बार चौदेश्वरी मंदिर के चारों ओर लगभग 3 फीट गहराई तक कीचड़ की व्यवस्था की गई थी और इसे पार करने के लिए गधे लाए गए थे। हर उगादी पर, कुरनूल के अलग-अलग हिस्सों से गधे को मंदिर में ले जाया जाता है। जानवरों को कीचड़ के माध्यम से मंदिर के चारों ओर जाने के लिए बनाया गया है। परिक्रमा के बाद, गधों को स्नान, सजावट और पूजा की जाती है। मंदिर के पुजारी श्रीनिवास कहते हैं- ऐसा माना जाता है कि गधों को झुंड में चलने से समाज में शांति और समृद्धि आती है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में 1037 लोगों की मौत का आंकड़ा दर्ज किया गया। अब तक के कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 14,07, 0300 हो गई है। कोरोना से पीड़ित लोगों के ठीक होने की दर और गिरकर 89.51 प्रतिशत रह गई है। इसी बीच गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से बुरी खबर है। यहां लोगों को दाहसंस्कार करने के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।


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