जर्मनी में भी ट्रैक्टर रैली, नए कानून के खिलाफ किसान राजधानी बर्लिन की सड़कों पर उतरें

जर्मनी में भी ट्रैक्टर रैली, नए कानून के खिलाफ किसान राजधानी बर्लिन की सड़कों पर उतरें

भारत की तरह जर्मनी में एक कानून को लेकर देश के किसान ट्रैक्टर लेकर सड़कों पर उतर गए हैं। दरअसल, जर्मन सरकार ने एक कानून का प्रस्ताव रखा है जिसका मकसद कीटों की आबादी में आ रही बड़ी गिरावट को रोकना है। सरकार ने इसको नाम किया है- कीट संरक्षण कानून। नए कानून में खेती-बाड़ी में कीटनाशकों के इस्तेमाल को कम करने पर जोर दिया गया है।

हालांकि, कानून का अभी संसद से पारित होना बाकी है। लेकिन इस कानून के खिलाफ सैकड़ों जर्मन किसान ट्रैक्टर लेकर राजधानी बर्लिन में पहुंच गए। डॉचवेले की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बर्लिन के ऐतिहासिक ब्रांडेनबुर्ग गेट मंगलवार को पर किसानों ने ‘किसान नहीं तो खाना नहीं और भविष्य नहीं’ जैसे नारों के साथ विरोध जताया था।

विवादित कीटनाशक ग्लिफोसेट

जर्मन सरकार के तरफ से लाए जा रहे इस कानून का मकसद धीरे-धीरे 2023 के अंत तक खरपतवार को रोकने वाले विवादित कीटनाशक ग्लिफोसेट के इस्तेमाल को रोकना है। इसके अलावा कानून के तहत राष्ट्रीय पार्कों में हर्बीसाइड और इंसेक्टीसाइड के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। रात के दौरान प्रकाश प्रदूषण को रोकना भी इसका लक्ष्य है।

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जर्मनी की पर्यावरण मंत्री स्वेन्या शुत्से ने बताआ, “लोग कीटों के बिना नहीं रह सकते हैं।” उन्होंने कहा कि यह नया कानून कीटों और भविष्य में हमारे इको सिस्टम के लिए खुशखबरी है। जल स्रोतों के पास भी यह कानूनपेस्टीसाइड के इस्तेमाल को कम करने पर जोर देता है।

ईको सिस्टम के लाभदायक

अपनी फसलों को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए दुनियाभर में किसान कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इससे भारी संख्या में दूसरे तरह के कीट भी मारे जाते हैं। देखा जाए तो कीड़े न सिर्फ हमारे ईको सिस्टम में बड़ी भूमिका निभाते हैं, बल्कि वे परागण के लिए भी खासे जरूरी होते हैं।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनियाभर में एक तिहाई खाद्य उत्पादन परागण पर ही निर्भर करता है। जर्मन कृषि मंत्री यूलिया क्लोएकनर ने कहा, “संरक्षित इलाकों में उगने वाली कुछ फसलों को सख्त नियमों से रियायत दी जाएगी। जैसे वाइन के लिए अंगूरों की खेती अपवाद होगी।”

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एक तरफ विरोध-दूसरी तरफ समर्थन

वहीं दूसरी तरफ जर्मन किसान संघ ने कानून की कड़ी आलोचना की है। संघ के अध्यक्ष योआखिम रुकवीड ने इसे अल्पदर्शी और कृषि उद्योग व प्रकृति संरक्षणवादियों के बीच सहयोग के लिए बुरा संकेत बताया है।

जर्मनी में भी ट्रैक्टर रैली, नए कानून के खिलाफ किसान राजधानी बर्लिन की सड़कों पर उतरें

योआखिम रुकवीड ने कहा, “कानून बहुत-से किसान परिवारों के लिए अस्तित्व का खतरा पैदा करता है।” जबकि प्रस्तावित कानून का जर्मनी के पर्यावरण समूह ने समर्थन किया है। संघ ने अपने एक बयान में कहा, “पेस्टीसाइड के इस्तेमाल में हर एक किलो की कटौती, कीटनाशकों से मुक्त हर वर्ग किलोमीटर जमीन और रोशनी में हर कमी, कीड़ों और प्रकृति के लिए अच्छी साबित होगी।”

प्रजातियों की विविधता में गिरावट

लंबे समय से जीवविज्ञानी कीड़ों की संख्या में आ रही कमी को लेकर चेतावनी देते आ रहे हैं। जीवविज्ञानियों के मुताबिक,कीटनाशकों से कीटों की प्रजातियों की विविधता घट रही है और इससे ईको सिस्टम को भारी नुकसान हो रहा है। इससे परागण और खाद्य श्रृंखला पर भी असर पड़ रहा है।

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साल 2017 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, जर्मनी उन पहले देशों में है जिन्होंने कीड़ों की संख्या में आ रही कमी का मुद्दा उठाया। दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि सरकार के नए कदम का बोझ कृषकों पर ही पड़ेगा।

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किसानों का कहना है कि कड़े नियमों का मतलब है कि जर्मन किसान विदेश से आने वाले सस्ते कृषि उत्पादों का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। जर्मन किसान संघ का कहना है कि नए उपायों से कृषि लायक जमीन में सात प्रतिशत की कमी हो जाएगी।

वहीं, इसके विपरित कृषि मंत्री क्लोएकनर का कहना है कि कीट संरक्षण कानून से प्रभावित होने वाले किसानों को ‘वित्तीय समर्थन’ दिया जाएगा। हालांकि, कृषि मंत्री ने इसके बारे में अधिक ब्यौरा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे उपकरणों की खरीद में भी सरकार मदद करेगी जो खेत में खाद और कीटनाशकों को सटीकता से बिखेरेंगे ताकि कम कीटनाशक इस्तेमाल हों।

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