फेसबुक स्टाफ पर हमले के डर से बजरंग दल पर कंपनी ने नहीं लगाई पाबंदी

फेसबुक स्टाफ पर हमले के डर से बजरंग दल पर कंपनी ने नहीं लगाई पाबंदी

नई दिल्ली: फेसबुक और हिंदूवादी संगठन बजरंग दल को लेकर द वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्लूएसजे) ने एक चौकाने वाला खुलासा किया है। अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने बजरंग दल पर पाबंदी लगाने की मांग के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि उसे डर था कि ऐसा करने से कंपनी को वित्तीय और सुरक्षा को लेकर दिक्कत होगा।

अखबार में रविवार को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक कंपनी के टेक डिपार्टमेंट को अंदेशा है कि अगर बजरंग दल के खिलाफ उनकी तरफ से कोई कार्रवाई हुई तो भारत के सत्तारूढ़ हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिज्ञ क्रोधित हो जाएंगे जिससे उनके व्यवसायिक हितों का नुकसान होगा। इतना ही नहीं कंपनी को ये भी खौफ है कि अक्सर अल्पसंख्यकों पर हमले करने वाले संगठन पर पाबंदी लगाई गई तो भारत में फेसबुक स्टाफ और उसकी सुविधाओं पर ‘फिजिकल हमले’ हो सकते हैं।

सुरक्षा टीम की चेतावनी

डब्लूएसजे की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि कंपनी की सुरक्षा टीम 2020 के शुरूआत में इस नतीजे पर पहुंची कि बजरंग दल ने ‘पूरे भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का समर्थन किया है इसलिए उसे संभावित रूप से ‘खतरनाक संस्था’ ठहराया जा सकता है और इस फेसबुक प्लेटफॉर्म से उसे बैन कर दिया जाना चाहिए। लेकिन फेसबुक संगठन को हटाने में ठिठक गई क्योंकि कंपनी की सुरक्षा टीम ने चेतावनी दिया कि बजरंग दल के खिलाफ कार्रवाई करने से कंपनी की व्यवसायिक संभावनाओं और भारत में उसके स्टाफ या फिर दोनों को खतरा पैदा हो सकता है।

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डब्लूएसजे की रिपोर्ट में फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन के हवाले से लिखा गया, “राजनीतिक स्थिति और पार्टी संबद्धता का ख़याल किए बिना, हम दुनिया भर में, खतरनाक व्यक्ति व संस्थाओं के प्रति, अपनी नीति को लागू करते हैं।” स्टोन ने आगे कहा कि किन इकाइयों पर प्रतिबंध लगाया जाए, ये तय करने की प्रक्रिया ‘सावधान, कठोर और बहु-विषयक’ होनी चाहिए। हालांकि, एक बजरंग दल के प्रवक्ता के हलासे से डब्लूएसजे ने लिखा है कि गैर-कानूनी हरकतों में उसके सदस्य हिस्सा नहीं लेते और उनका ‘दूसरे धार्मिक समूहों से कोई टकराव नहीं है।”

चर्च पर हमला

अखबार के मुताबिक, फेसबुक पर एक विडियो जिसे तकरीबन 250,000 बार देखा गया में; बजरंग दल ‘नई दिल्ली के बाहर’ एक पेंटेकोस्टल चर्च पर जून से ‘चढ़ाई’ का जिम्मा ले रहा था, ये आरोप लगाते हुए कि वो एक हिंदू मंदिर के ऊपर बना था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “इस चढ़ाई में दर्जनों धार्मिक उग्रवादी शामिल थे और उन्होंने ‘विरोध में वहां एक हिंदू मूर्ति स्थापित कर दी।”

फेसबुक पर वह वीडियो 21 साल के जीत वशिष्ठ नाम के एक व्यक्ति ने पोस्ट किया गया था और उसने खुद को बजरंग दल का एक जिला अध्यक्ष बताया गया था। वीडियो में जीत वशिष्ठ को ये कहते दिखाया गया, “मैं और दूसरे हिंदू भाई यहां आए, और जबर्दस्ती मंदिर को फिर से स्थापित कर दिया।” हालांकि, उसने किसी भी चर्च पदाधिकारी पर हमला करने की बात से इनकार किया था। दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) बजरंग दल को एक ‘उग्रवादी धार्मिक संगठन’ मानती है।

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वीएचपी करेगा केस

दूसरी तरफ, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने डब्लूएसजे की रिपोर्ट के लिए अखबर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है। वीएचपी के संयुक्त महासचिव सुरेन्द्र जैन ने मीडिया से कहा कि वे ‘भारत का अपमान करने’ और ‘अपनी सीमा पार करने’ की कोशिश के लिए अखबार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे। बता दें कि जैन पूर्व में बजरंग दल के प्रभारी के रूप में काम कर चुके हैं।

सुरेन्द्र जैन ने कहा, “उन्होंने अपनी हदें पार कर दी हैं। उन्होंने बजरंग दल पर हमला करने की आड़ में भारत का अपमान किया है। अगर भारत में कोई गैर-कानूनी काम हो रहा है और सरकार इसे रोक नहीं पा रही है, तो क्या वे यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है? मुझे लगता है कि वॉल स्ट्रीट जर्नल को अपनी सीमा में रहना चाहिए। उन्हें भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।”

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विहिप नेता ने आगे कहा, “बजरंग दल को डब्ल्यूएसजे से प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रहे हैं। जैसाकि यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है हमें सभी मानदंडों का पालन करना होगा लेकिन हम कार्रवाई करेंगे।” उल्लेखनीय है कि बजरंग दल विहिप की युवा शाखा है और संघ परिवार का हिस्सा है। संस्था का कहना है कि हम किसी को भी इस तरह के झूठे अभियान को चलाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।

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