केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कड़ाके की ठंड में किसान डटे हुए हैं। आज आंदोलन का 56वां दिन है। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 10वें दौर की बातचीत आज बुधवार को होने वाली है। वहीं दूसरी तरफ किसानों के ट्रैक्टर रैली को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कोई आदेश नहीं जारी करेंगे। याचिका वापस लीजिए।
दरअसल, दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि, कोर्ट ने सोमवार को हुई इस मामले पर सुनवाई में स्पष्ट कहा था कि 26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला है। पुलिस को यह फैसला करने का पहला अधिकार है कि राष्ट्रीय राजधानी में किसे प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए और किसे नहीं।
वहीं, पीटीआई न्यूज एजेंसी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सोमवार की टिप्पणी के बाद अपनी याचिका वापस ले ली है। कोर्ट ने 26 जनवरी की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर दायर याचिका पर कहा, “आप अथॉरिटी हैं और आपको इससे निपटना है। इसपर आदेश पारित करना अदालत का काम नहीं है।”
Centre withdraws plea seeking injunction against proposed tractor rally by farmers on January 26 after SC says it is a police matter
— Press Trust of India (@PTI_News) January 20, 2021
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सीजेआई ने कमिटी को लेकर किसानों के विरोध पर कहा कि कमिटी के सभी मेंबर अपनी फील्ड के एक्सपर्ट हैं। पक्षपात जैसी इसमें कोई बात नहीं है। हमने कमिटी को किसानों की समस्याओं सुनने की शक्ति दी है। कमिटी कोई फैसला नहीं देगी। कमिटी सिर्फ हमें रिपोर्ट देगी।
सीजेआई ने सख्त लहजे में कहा, “अगर किसान कमिटी के सामने पेश नहीं होना चाहते, तो बिल्कुल मत जाएं। लेकिन कोर्ट में किसी की इस तरह ब्रांडिंग न करें।” उन्होंने आगे कहा, “जो लोग कमिटी के मेंबर की आलोचना कर रहे हैं कि उनमें क्षमता नहीं है? ऐसा किस बिना पर कहा जा रहा है? क्या आप उन सदस्यों पर आरोप लगा रहे हैं।”
Where is the question of bias in this? We have not given adjudicating power to committee: SC
— Press Trust of India (@PTI_News) January 20, 2021
वहीं, सुनवाई के दौरान आठ किसान यूनियनों की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सिर्फ दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर किसान गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च निकालना चाहते हैं। ये मार्च शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जाएगा। कोई कानून व्यवस्था भंग नहीं की जाएगी।
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इसके बाद सीजेआई बोबडे ने कहा, “क्या कोई वकील जानकारी मिलने के बाद अपनी राय नहीं बदलता है? कमिटी को अभी किसी तरह की शक्ति नहीं मिली है। इसे सिर्फ राय के लिए बनाया गया है। जब तक कोई ठोस विषय सामने नहीं रखा जाता, तब तक ये सब बातें न करें। ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अदालत ने इस याचिका पर भी नोटिस जारी कर दिया है।”
फिर कोर्ट ने कहा है कि अटॉर्नी जनरल को इसका जवाब देना चाहिए। बोबडे ने कहा, “आपको कमिटी के समक्ष पेश नही होना मत हो, लेकिन किसी को इस तरह ब्रांड न करे। इस तरह किसी की छवि को खराब करना सही नही है।
उन्होंने आगे कहा, “पब्लिक ओपिनियन को लेकर अगर आप किसी की छवि को खराब करेंगे तो कोर्ट सहन नहीं करेगा। कमिटी के सदस्यों को लेकर इस तरफ चर्चा की जा रही है। हम केवल मामले की संवैधानिकता तय करेंगे।”
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मुख्य न्यायाधिश ने कहा कि कोर्ट ने किसी की नियुक्ति की है और उसको लेकर इस तरह की चर्चा हो रही है। कोर्ट ने कमिटी के दोबारा गठन की मांग करने वाली किसान महापंचायत की अर्जी पर सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है।
इसपर सरकार के तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा, “आप अपने आदेश में ये साफ कीजिए कि ये कमिटी कोर्ट ने अपने लिए बनाई है। अगर कमिटी के समक्ष कोई पेश भी नहीं होता तो भी कमिटी अपनी रिपोर्ट कोर्ट में देगी।” इसपर सीजेआई ने सख्त लहजे में कहा कि हम कितनी बार यह साफ करें? कमिटी को कोई फैसला लेने की शक्ति भी नहीं दी गई है।
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