बहुजन समाज पार्टी (BSP) के पूर्व महासचिव और कांग्रेसी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर को गिरफ्तार कर मंगलवार को जेल भेज दिया गया। एमपीएमएलए कोर्ट में दोनों ने आत्मसमर्पण करने के साथ ही अंतरिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी। लेकिन अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।
बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओं और उनकी बेटी पर अमर्यादित टिप्पणी के एक मामले में दोनों मंगलवार को कोर्ट में पेश हुए थे जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। दोनों नेताओं को इससे पहले कोर्ट ने भगोड़ा घोषित करते हुए उनकी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया था। इस मामले में कोर्ट ने इंस्पेक्टर हजरतगंज को 20 फरवरी तक कुर्की की आख्या भी पेश करने का आदेश दिया था।
उल्लेखनीय है कि साल 2016 में 22 जुलाई को हजरतगंज कोतवाली में बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह की माँ तेतरा देवी ने मामला दर्ज कराया था। उन्होंने मामले को लेकर बीएसपी सुप्रीमों मायावती पर उनके परिवार के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगाया था।
ये भी पढ़ें: नस्लीय टिप्पणी का टीम इंडिया ने दिया जवाब, ऑस्ट्रेलिया से जीती 2-1 से सीरीज
इसके बाद बीएसपी कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नसीमु्द्दीन सिद्दीकी और उस समय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे रामअचल राजभर के नेतृत्व में हजरतगंज चौराहे पर प्रदर्शन के दौरान दयाशंकर सिंह की बेटी और उनके परिवार के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। दोनों पर ये भी आरोप हैं कि उन्होंने भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया था।
वहीं, उसी साल 2016 में बीएसपी प्रमुख मायावती को लेकर बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने विवादित टिप्पणी की थी जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद दयाशंकर सिंह फरार हो गए थे जिसके बाद उन्हें बिहार के बक्सर से गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने भी मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीक के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
बता दें कि इस मामले में बसपा के तत्कालीन राष्ट्रीय सचिव मेवा लाल गौतम, अतर सिंह राव, नौशाद अली भी अभियुक्त हैं। सभी अभियुक्तों के खिलाफ 12 जनवरी को 508, 509 ,153 A, 34, 149 और पॉक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।
ये भी पढ़ें: WHO की चेतावनी, गरीब देशों को नहीं मिला वैक्सीन तो विनाश आएगा
नसीमुद्दीन सिद्दीकी और राम अचल राजभर को हजरतगंज थाने में दर्ज इस मामले में पेश होना था। लेकिन दोनों वारंट जारी होने और भगोड़ा घोषित होने के बाद भी अदालत में पेश नहीं हुए थे। उन्होंने हाजिरी माफी और तारीख बढ़ाने की अर्जी दी थी जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह अर्जी पोषणीय नहीं है। वहीं अन्य तीन आरोपी मेवा लाल गौतम, अतर सिंह राव, नौशाद अली कोर्ट में पेश हुए थे।
Leave a Reply