नई दिल्ली: पीएम केयर फंड को लेकर एक चौंकाने वाला रिपोर्ट सामने आया है। खबरों के मुताबिक, पीएम केयर को चीन, पाकिस्तान और कतर जैसे देशों से भी दान मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तरफ से बनाए इस राहत कोष को लेकर शुरुआत से ही तमाम तरह के संदेह रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पीएम केयर फंड को लेकर कई ट्वीट कर इस बारे में सवाल उठाए हैं। सुरजेवाला ने एक आरटीआई का हवाला देते हुए कहा कि कई दूतावासों और उच्चायोगों ने बताया है कि उन्होंने पीएम केयर्स के लिए अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया में प्रचार किया। इस तरह पीएम केयर को चीन, पाकिस्तान और कतर जैसे देशों से भी दान मिला।
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सुरजेवाला ने ‘द क्विंट‘ में छपे एक रिपोर्ट के हवाले से कहा, “आरटीआई से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि 27 देशों में भारतीय दुतावासों ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले पीएम केयर्स के लिए प्रचार किया भारी भरकम दान लिया जो हजारों करोड़ में है। इसके बावजूद इस फंड को सीएजी, आरटीआई या फिर ऑडिट के दायरे से अलग रखा गया।”
उन्होंने आगे कहा, “दूतावासों और उच्चायोगों ने इस तरह इस फंड का प्रचार किया जैसे कि यह दान भारत सरकार के लिए मांगा जा रहा है, जबकि यह एक प्राइवेट ट्रस्ट है और इसे लेकर जबरदस्त गोपनीयता बरती गई है।”
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पीएम फंड को मिले राशि को लेकर सुरजेवाला ने सीधे-सीधे 10 सवाल पूछे हैं:
- भारतीय दूतावासों ने पीएम केयर्स फंड के लिए आखिर क्यों प्रचार किया और दान लिया?
- इस फंड में दान के लिए प्रतिबंधित चीनी ऐप्स पर क्यों प्रचार किया गया?
- इस फंड में पाकिस्तान से कितना पैसा आया और किसने दिया?
- कतर की वह कौन सी दो कंपनियां हैं जिन्होंने इस फंड में दान किया और कितना पैसा मिला?
- 27 देशों से कुल कितने हजार करोड़ रुपए इस फंड के लिए मिले?
- क्या इस फंड और एनआईएसएसईआई एएसबी के साथ मिलीभगत थी और क्या उनकी फैक्टरी शुरु होने से इस फंड का कोई रिश्ता है?
- 27 भारतीय दूसतावासों ने आखिर इस फंड के लिए दान ‘क्लोज्ड चैनल’ से लेकर पब्लिक डोमेन से क्यों नहीं लिया, जबकि यह फंड आरटीआई के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है?
- इस फंड के सरकार द्वारा एफसीआरए के दायरे से क्यों बाहर रखा गया?
- भारत में किसी धर्मार्थ ट्रस्ट के लिए सिर्फ इसी ट्रस्ट को छूट क्यों दी गई? आखिर इसे लेकर विशेष व्यवस्था क्यों है?
- आखिर फंड पब्लिक अथॉरिटी क्यों नहीं है?
- इस फंड को सीएजी या भारत सरकार की किसी एजेंसी द्वारा ऑडिट क्यों नहीं किया जा सकता जिससे इसमें विदेशों से मिले पैसे की जानकारी सामने आ सके?
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