नर्सों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से AIIMS की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

नर्सों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से AIIMS की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई

नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के नर्स संघ सोमवार से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। उनकी कुछ मांगे हैं जिसमें छठे केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा को लागू करना और अनुबंध पर भर्ती खत्म करना भी शामिल है। हालांकि, नर्स के हड़ताल पर जाने के बाद से एम्स के निदेशक ने नर्सों से हड़ताल वापस लेने और काम पर लौट आने की अपील की है।

सोमवार की दोपहर से एम्स के करीब 5,000 नर्स हड़ताल पर चले गए हैं। मरीजों के परिजन परेशान हैं तो वहीं कुछ डॉक्टरों ने भी सोशल मीडिया पर नर्स स्टाफ के हड़ताल पर जाने से हो रही परेशानी की जानकारी दी है।

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश जारी की है जिसमें महामारी के समय में हड़ताल को ‘अनुपयुक्त एवं दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया है। उन्होंने उस वीडियो कहा, “मैं सभी नर्सों और नर्सिंग अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे हड़ताल पर नहीं जाएं और जहां तक नर्सों की बात है उनके संदर्भ में हमारी गरिमा को शर्मिंदा नहीं करें।”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि वापस आएं और काम करें और इस महामारी से निपटने में हमारा सहयोग करें।” गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघ ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन तथा सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली गई हैं। उन्होंने कहा कि एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने की असंगतता से जुड़ी हुई है।

एम्स निदेशक ने कहा, “नर्स संघ के साथ कई बैठकें न केवल एम्स प्रशासन की हुई हैं बल्कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार, व्यय विभाग के प्रतिनिधियों के साथ भी हुई हैं और जिस व्यक्ति ने छठे सीपीसी का मसौदा तैयार किया वह भी बैठक में मौजूद था। उन्हें बताया गया है कि उसकी व्याख्या सही नहीं है।” बता दें कि छठे सीपीसी की मांग के अलावा नर्स भर्ती में लैंगिक आरक्षण को खत्म करने और अनुबंध पर नियुक्तियां बंद करने आदि की भी मांग की गई है।

दूसरी तरफ एम्स नर्स यूनियन के अध्यक्ष ने कहा, “हमारा संघ प्रशासन के साथ बातचीत के लिए तैयार है। हम मरीजों के लिए बुरा महसूस कर रहे हैं लेकिन हम असहाय हैं क्योंकि हमारी मांग पूरी नहीं हुई है। हमने एक महीने पहले हड़ताल का नोटिस दिया था, लेकिन तब भी प्रशासन ने हमारी मांगों को नहीं सुना।” वहीं निदेशक को लिखे पत्र में संघ ने कहा कि एम्स प्रशासन ने ठोस उपाय नहीं किए छठे केंद्रीय वेतन आयोग से जुड़ी उनकी मांगों को खारिज कर दिया गया है।

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