उत्तराखंड के चमोली जिले में बीते रविवार को कथित तौर पर ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ की वजह से अब तक 29 लोगों की जान जा चुकी है जबकि तपोवन टनल में फंसे 35 लोगों को निकालने के लिए बचाव कार्य जारी है। त्रासदी के बाद 171 लोग अब भी लापता हैं। लापता लोगों की तलाशी जारी है। इस बीच इस आपदा की घड़ी में मदद के लिए हरियाणा सरकार ने हाथ आगे बढ़ाया है।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया, “टनल में थोड़ा और आगे बढ़े हैं, अभी टनल खुली नहीं है। हमें उम्मीद है कि दोपहर तक टनल खुल जाएगी।” वहीं आईटीबीपी देहरादून सेक्टर हेडक्वार्टर के डीआईजी अपर्णा कुमार ने कहा, “कल रातभर वहां (तपोवन टनल) आर्मी, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम मलबा निकालने में लगी हुई थी। ज्यादा से ज्यादा मलबा निकालने की पूरी कोशिश की जा रही है।”
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सुरंग में 35 लोग फंसे
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने स्वैच्छिक कोष से उत्तराखंड त्रासदी कोष में 11 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि हरियाणा सरकार देवभूमि उत्तराखंड को हरसंभव सहायता प्रदान करेगी। यह जानकारी आज हरियाणा के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से दी गई।
Haryana Chief Minister Manohar Lal Khattar donates Rs 11 crores to Uttarakhand state disaster response fund: Haryana Directorate of Information and Public Relations
— ANI (@ANI) February 9, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को पीएम राष्ट्रीय आपदा कोष (पीएमएनआरएफ) से दो-दो लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है। उन्होंने मंगलवार को चमोली जिले का हेलिकॉप्टर से दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में रावत ने कहा, “सुरंग में करीब 35 लोग फंसे हुए हैं। सुरक्षाकर्मी सुरंग में ड्रिल से रास्ता बना रहे हैं और रस्सी के जरिए उन तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। हमें दो और शव मिले हैं। अब इस त्रासदी में मृतकों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है।”
भूगर्भ वैज्ञानिकों का दावा
दूसरी तरफ कई बातें त्रासदी की वजहों को लेकर भी सामने आ रही हैं। अहम जानकारी देते हुए इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह आपदा ग्लेशियर के टूटने से नहीं बल्कि भारी मात्रा में बर्फ खिसकने से आई है। अभी तक ये माना जा रहा था कि आपदा ग्लेशियर टूटने से आई है। लेकिन अब सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों से वैज्ञानिकों ने आपदा की असल वजह बर्फ खिसना बताया है।
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अंतरराष्ट्रीय भूगर्भ विज्ञानिकों और ग्लेशियरों के जानकारों ने दावा है कि चमोली में हुआ हादसा ग्लेशियर के टूटने से नहीं बल्कि भूस्खलन की वजह से हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलगेरी के जियोलॉजिस्ट और ग्लेशियर एक्सपर्ट डॉ. डैन शुगर ने प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट इमेज के आधार पर दावा किया है कि उत्तराखंड के चमोली में हुआ हादसा ग्लेशियर टूटने की वजह से नहीं हुआ है।
WOW – @planetlabs has updated image of #UttarakhandDisaster. Looks like massive dust deposition over much of W side of the valley and the trigger appears to be the landslide scar that I discovered a few minutes ago. So NOT a typical GLOF. @davepetley @BhambriRakesh @irfansalroo https://t.co/kXF2fNp2ui pic.twitter.com/m04DXLJnv1
— Dr Dan Shugar (@WaterSHEDLab) February 7, 2021
धूल का गुबार
वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट इमेज से साफ जाहिर होता है कि जिस समय हादसा हुआ उस समय त्रिशूल पर्वत के ऊपर काफी धूल का गुबार दिख रहा है। घटना के पहले और बाद की तस्वीरों को आपस में देखने में अंतर साफ पता चल रहा है। ऊपर से जमी धूल और मिट्टी खिसककर नीचे की तरफ आई और उसके बाद फ्लैश फ्लड हुआ।
Satellite images from @planetlabs show that the disaster in Uttarakhand’s Chamoli district on Sunday was caused by a large landslide onto a glacier, which transitioned into the flood. The first person to identify this was Dr Dan Shugar – @WaterSHEDLab https://t.co/3TCh2Cf0nt pic.twitter.com/ygmxU3uXqa
— Dave Petley (@davepetley) February 7, 2021
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अपने ट्वीट में डॉ. डैन शुगर ने कहा है, “ग्लेशियर के ऊपर W आकार में भूस्खलन हुआ है। जिसकी वजह से ऊपर लटका हुआ ग्लेशियर नीचे की तरफ तेजी से आया है।” हालांकि, इससे पहले आई रिपोर्ट में ये खुलासा किया गया था कि यह हादसा ग्लेशियर के टूटने की वजह से हुआ है। लेकिन सैटेलाइट से सामने आई तस्वीरों से साफ नजर आ रहा है कि हादसे के समय किसी तरह की ग्लेशियर झील नहीं बनी थी। न ही उसकी वजह से कोई फ्लैश फ्लड हुआ है।
3D rendering of @planetlabs image collected 7th Feb showing the source of the Uttarakhand disaster located by @WaterSHEDLab. Appears to be a complete detachment of a previously glaciated slope #Chamoli #Disaster #Landslide pic.twitter.com/SElrZh36kH
— Scott Watson (@CScottWatson) February 7, 2021
हवा में धूल और नमी
सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर डॉ. डैन ने दावा किया है, “हादसे से ठीक पहले त्रिशूल पर्वत के ऊपर L आकार में हवा में धूल और नमी देखी गई है। सैटेलाइट तस्वीरों में पर्वत के ऊपरी हिस्से में किसी तरह के ग्लेशियर झील के निर्माण या टूटने के कोई सबूत नहीं दिख रहे हैं। यह भूस्खलन की वजह से हुए एवलांच की वजह से हुआ होगा।”
updated with arrows. would need to go through more @sentinel_hub images to see when these first appear, if they are actually new crevasses https://t.co/LAOeAeWZwU pic.twitter.com/kFdYieiM2y
— Bob-o McNabb (@iamdonovan) February 7, 2021
उल्लेखनीय है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बीते दिनों हदसे के बाद ट्वीट कर कहा था कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए वो गंगा और सहायक नदियों पर पावर प्रोजेक्ट नहीं बनाने के लिए आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि वह पावर प्रोजेक्ट के पक्ष में नहीं थी और उन्होंने इसका विरोध भी किया था।
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