नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। आज आंदोलन का 40वां दिन है। इसी आज सोवमार को किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 7वें दौर की वार्ता होनी है। इसके लिए किसान दिल्ली स्थित विज्ञान भवन पहुंच गए हैं। पिछले दिनों छठे दौर की वार्ता में कुछ खास नतीजा नहीं निकला था। दोनों के बीच सिर्फ दो मुद्दों पर बात बनी थी।
किसानों के निशाने पर लगातार केंद्र सरकार के साथ-साथ कॉर्पोरेट सेक्टर भी हैं। पिछले दिनों किसानों ने कॉर्पोरेट सेक्टर का विरोध करते हुए पंजाब में सैकड़ों टावरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। आज केंद्र और किसानों की बैठक दोपहर में होने वाली है। लेकिन इसके ठीक पहले रिलायंस कंपनी एक बयान जारी किया है और सफाई दी है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने कहा है कि कॉनट्रैक्ट फार्मिंग से उसका कोई लेना-देना नहीं है। कंपनी का कहा है कि इस बिजनेस में उनका भविष्य में भी आने का कोई इरादा नहीं है। कंपनी ने ये स्पष्ट किया है कि वह केंद्र की उन सभी नीतियों का समर्थन करती है जिससे किसानों की आमदनी बढ़ती है। रिलायंस ने न्यूनतम समर्थन मुल्य (एमएसपी) का भी समर्थन किया है।
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कंपनी ने इसके साथ-साथ अपने प्रतिद्वंदियों पर आरोप लगाया है कि उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। कंपनी ने सफाई दी है कि उसने कभी भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए कोई जमीन नहीं ली है।
वहीं दूसरी तरफ पंजाब व हरियाण हाई कोर्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (आरजेआईएल) अपने टावरों को क्षतिग्रस्त करने को लेकर याचिका दायर की है। कंपनी का आरोप है कि दोनों राज्यों में कम्युनिकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर, सेल्स और सर्विसेज आउटलेट्स पर तोड़फोड़ किया। कंपनी ने कहा है कि मौजूदा किसान आंदोलन की आड़ में व्यापार प्रतिद्वंद्वी अपनी चाल चलने में लगे हैं।
Reliance Industries Limited, through its subsidiary Reliance Jio Infocomm Limited, in a petition mentioned to be filed in Punjab & Haryana High Court today, has sought urgent intervention of Govt authorities to bring a complete stop to illegal acts of vandalism by miscreants: RIL
— ANI (@ANI) January 4, 2021
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रिलायंस कंपनी ने नए कृषि कानूनों को लेकर जो स्पष्टीकरण जारी किया है वे इस प्रकार हैं-
Reliance issues statement over vandalism of its towers / farmers protest @reliancegroup pic.twitter.com/get3BzeV1p
— Manak Gupta (@manakgupta) January 4, 2021
पहले कभी भी रिलायंस रिटेल लिमिटेड, रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड और किसी अन्य सहायक कंपनी ने ‘कॉरपोरेट’ या ‘कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग’ नहीं की है। कंपनी का आगे भी ऐसा कोई प्लान नहीं है।
कृषि जमीन को पंजाब/हरियाणा या देश में न तो रिलायंस और न ही किसी अन्य सहायक कंपनी ने कहीं भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खरीदा है। इस बारे में आगे भी कंपनी कोई योजना नहीं बना रही है।
रिलायंस रिटेल देश के संगठित खुदरा बाजार की एक प्रमुख कंपनी है। सभी तरह के रिटेल प्रोडक्ट्स में अनाज, फल, सब्जियों समेत रोजाना इस्तेमाल होने वाले कई उत्पाद शामिल हैं। ये सभी उत्पाद स्वतंत्र मैन्युफैक्चरर्स और सप्लायर्स के जरिए आते हैं। कभी भी कंपनी किसानों से सीधे तौर पर अनाज नहीं खरीदती है।
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किसानों का फायदा उठाने के लिए कभी भी कंपनी ने लंबी अवधि में खरीद को लेकर कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं किया है। कंपनी ने यह भी नहीं कहा है कि उसके सप्लायर्स किसानों से सीधे कम कीमत पर खरीदी करें। कंपनी ऐसा कभी नहीं करेगी।
साथ ही साथ सभी किसानों के प्रति रिलायंस कंपनी ने आभार व आदर व्यक्त किया है। अपने बयान में कंपनी ने ये भी कहा, ” ये किसान देश के 1.3 अरब आबादी के ‘अन्नदाता’ हैं। रिलायंस और उसकी सहायक कंपनी किसानों के सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी भारतीय किसानों के साथ समृद्धि, समावेशी विकास और न्यू इंडिया के लिए मजबूत भागीदारी में विश्वास करती है।”
हालांकि, कंपनी ने ये जरूर कहा कि वह अपने सप्लायर्स से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी का पालन करने के लिए जोर देगी। यह सरकार द्वारा पूर्वनिर्धारित नियमों के आधार पर ही होगा। कुल मिलाकर देखा जाए तो रिलायंस से बयानों से साफ है कि कंपनी भले किसानों से सीधे न जुड़ी हो या प्रभावित न करती हो पर अप्रत्यक्ष रुप से इसमें वो शामिल है।
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