रूस में संसदीय चुनाव में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी ने बहुमत हासिल की है। हालांकि, पिछले चुनाव के मुकाबले पार्टी के समर्थन में थोड़ी कमी आई है। इस बार पुतिन को करीब 50 फीसदी वोट मिले हैं जबकि विपक्षी कम्युनिस्ट पार्टी को 20 फीसदी मत हासिल हुए हैं।
पुतिन के सत्ता में आने के बाद से चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगते रहे हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ पर रूस के चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।
खबरों के मुताबिक, अधिकतर वोटों की गिनती हो चुकी है। पुतिन की पार्टी यूनाइटेड रशिया पार्टी को करीब 50 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। हालांकि, पिछले चुनाव के मुकाबले पुतिन को मिले वोट थोड़े घटे हैं। साल 2016 में हुए आम चुनाव में पुतिन की पार्टी को 54 फीसद वोट मिले थे।
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वहीं, चुनाव आयोग के मुताबिक, दूसरे नंबर पर रही कम्युनिस्ट पार्टी को तकरीबन 19 फीसदी वोट हासिल हुए हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के इस बार के चुनाव में 8 फीसद वोट बढ़े हैं।
न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गेन्नादी ज्यूगानोव ने चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगाए हैं। जैसा कि मालूम है कि पुतिन के आलोचक ऐलेक्सी नवेलनी को जल में बंद रखा गया ताकि वे चुनाव न लड़ सकें।
माना जाता है कि जेल में बंद नवेलनी के लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों और रूस के जीवन स्तर को लेकर जताई जाने वाली चिंताओं की वजह से इस बार पुतिन की पार्टी को कम वोट हासिल हुए हैं।
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हालांकि, बहुत सारे रूसी लोगों का मानना है कि पुतिन अभी भी लोकप्रिय हैं और उन्होंने पश्चिम की चुनौती का डटकर सामना किया है। लोगों का मानना है कि पुतिन ने देश का गौरव बढ़ाया है। रूस के चुनाव में इस बार कई शहरों में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग हुई।
कनाडा में ट्रूडो को बहुमत
दूसरी तरफ, कनाडा के प्रधानमंत्री ने भी चुनाव में बहुमत हासिल किया है। 2015 से सत्ता मौजूद जस्टिन ट्रूडो ने इस बार जल्दी चुनाव एक पासा फेंका था जो उनके पक्ष में पड़ा।
ट्रूडो की पार्टी ने सोमवार को सत्ता पर पकड़ बनाए रखी। हालांकि, लिबरल पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हो पाया। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने चुनाव जीतने का ऐलान करते हुए कनाडा के ओटावा में अपने परिवार के साथ एक रैली को संबोधित किया।
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उन्होंने कहा, “आप (कनाडाई) लोग हमें फिर से एक स्पष्ट जनादेश के साथ वापस भेज रहे हैं कि महामारी से गुजरना है और बेहतर दिन लाने हैं।” हालांकि, ट्रूडो की पार्टी चुनाव प्रचार के दौरान कमजोर दिख रही थी। और एकबारगी लगने लगा था कि वह सरकार बनाने के लिए बहुमत की सीटें हासिल नहीं कर पाएंगे।
लेकिन, इस बार भी नतीजा 2019 के चुनावों जैसा ही रहा, जिसमें ट्रूडो ने अल्पमत की सरकार बनाई और चलाई थी। मुख्य विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी की नेता एरिन ओ’टूल ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। कंजर्वेटिव पार्टी दूसरे नंबर पर रही और उसे 121 सीटों पर बढ़त है।
सीबीसी और सीटीवी ने आकलन के मुताबिक, ट्रूडो की लिबरल पार्टी को निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में बहुमत नहीं मिलेगा। यानी उन्हें किसी पार्टी के समर्थन की जरूरत होगी।
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कनाडा के चुनाव आयोग के अनुसार, पिछली बार से लिबरल पार्टी एक सीट ज्यादा 156 सीटों पर बढ़त में है। ओंतारियो और क्यूबेक में उसे 111 सीटें मिल रही हैं। हाउस ऑफ कॉमन्स में 338 सीटें हैं और बहुमत के लिए किसी दल को 170 की जरूरत है।
कंजरवेटिव पार्टी को कुछ समय के लिए पॉप्युलर वोट्स में जीत मिलती दिख रही थी पर लिबरल पार्टी को शहरी इलाकों में भारी समर्थन मिला है, जहां ज्यादातर सीटें हैं।
विपक्षी की दल की नेता ओ’टूल ने हार स्वीकार करते हुए अपने समर्थकों से कहा, “हमारा समर्थन बढ़ा है। पूरे देश में हमारा समर्थन बढ़ा है। लेकिन स्पष्ट है कि हमें कनाडा वासियों का समर्थन पाने के लिए और काम करने की जरूरत है। मैं और मेरा परिवार कनाडा के लिए इस यात्रा पर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”
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