राष्ट्रपति ने 72 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर किया देश को संबोधित, किया किसानों और जवानों का जिक्र

राष्ट्रपति ने 72 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर किया देश को संबोधित, किया किसानों और जवानों का जिक्र

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 72 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने किसानों और कोरोना महामारी जैसे मुद्दे पर विशेष रूप से चर्चा की। राष्ट्रपति का संबोधन शाम 7 बजे से आकाशवाणी के सभी राष्ट्रीय नेटवर्क पर और दूरदर्शन समेत हर हिंदी व अंग्रेजी चैनल पर प्रसारित किया गया। आकाशवाणी पर क्षेत्रीय भाषाओं में संबोधन का प्रसारण रात साढ़े 9 बजे किया जाएगा। 

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “हमारे राष्ट्रीय त्योहारों को, सभी देशवासी, राष्ट्र-प्रेम की भावना के साथ मनाते हैं। गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी, हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए, अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं।”

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उन्होंने आगे कहा, “दिन-रात परिश्रम करते हुए कोरोना-वायरस को डी-कोड करके और बहुत कम समय में ही वैक्सीन को विकसित करके, हमारे वैज्ञानिकों ने पूरी मानवता के कल्याण हेतु एक नया इतिहास रचा है। हमारे सभी किसान, जवान और वैज्ञानिक विशेष बधाई के पात्र हैं और कृतज्ञ राष्ट्र गणतन्त्र दिवस के शुभ अवसर पर इन सभी का अभिनंदन करता है।”

राष्ट्रपति ने कहा, “2020 सीख देने वाला वर्ष रहा है, जो हमें मुश्किलों से कैसे उभरना है ये सीख देता है। हमारे राष्ट्रीय त्योहारों को, सभी देशवासी, राष्ट्र-प्रेम की भावना के साथ मनाते हैं। गणतन्त्र दिवस का राष्ट्रीय पर्व भी, हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हुए, अपने राष्ट्रीय ध्वज तथा संविधान के प्रति सम्मान व आस्था व्यक्त करते हैं।”

बलिदान पर गर्व

राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में सियाचिन व गलवान घाटी को लेकर कहा, “माइनस 50 से 60 डिग्री तापमान में, सब कुछ जमा देने वाली सर्दी से लेकर, जैसलमर में, 50 डिग्री सेन्टीग्रेड से ऊपर के तापमान में, झुलसा देने वाली गर्मी में- धरती, आकाश और विशाल तटीय क्षेत्रों में- हमारे सेनानी भारत की सुरक्षा का दायित्व हर पल निभाते हैं। हमारे सैनिकों की बहादुरी, देशप्रेम और बलिदान पर हम सभी देशवासियों को गर्व है।”

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वैक्सीन की चर्चा

वैक्सीन को लेकर कहा, “आत्म-निर्भर भारत ने, कोरोना-वायरस से बचाव के लिए अपनी खुद की वैक्सीन भी बना ली है। अब विशाल पैमाने पर, टीकाकरण का जो अभियान चल रहा है वह इतिहास में अपनी तरह का सबसे बड़ा प्रकल्प होगा। मैं देशवासियों से आग्रह करता हूं कि आप सब, दिशा-निर्देशों के अनुरूप, अपने स्वास्थ्य के हित में इस वैक्सीन रूपी संजीवनी का लाभ अवश्य उठाएं और इसे जरूर लगवाएं। आपका स्वास्थ्य ही आपकी उन्नति के रास्ते खोलता है।”

संवैधानिक नैतिकता

राष्ट्रपति ने भीमराव को लेकर कहा, “हम सबको ‘संवैधानिक नैतिकता’ के उस पथ पर निरंतर चलते रहना है जिसका उल्लेख बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने 4 नवंबर, 1948 को, संविधान सभा के अपने भाषण में किया था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि ‘संवैधानिक नैतिकता’ का अर्थ है- संविधान में निहित मूल्यों को सर्वोपरि मानना। समता, हमारे गणतंत्र के महान यज्ञ का बीज-मंत्र है। सामाजिक समता का आदर्श प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करता है, जिसमें हमारे ग्रामवासी, महिलाएं, अनुसूचित जाति व जनजाति सहित अपेक्षाकृत कमजोर वर्गों के लोग, दिव्यांग-जन और वयो-वृद्ध, सभी शामिल हैं।”

स्वतंत्रता सेनानियों पर गर्व

बाल गंगाधर ‘तिलक’, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी का भी जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “संविधान की उद्देशिका में रेखांकित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के जीवन-मूल्य हम सबके लिए पुनीत आदर्श हैं। यह उम्मीद की जाती है कि केवल शासन की ज़िम्मेदारी निभाने वाले लोग ही नहीं, बल्कि हम सभी सामान्य नागरिक भी इन आदर्शों का दृढ़ता व निष्ठापूर्वक पालन करें।”

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उन्होंने आगे कहा, “मातृभूमि के स्वर्णिम भविष्य की उनकी परिकल्पनाएं अलग-अलग थीं परंतु न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के मूल्यों ने उनके सपनों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। बाल गंगाधर ‘तिलक’, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी और सुभाष चन्द्र बोस जैसे अनेक महान जन-नायकों और विचारकों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया था। न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता हमारे जीवन-दर्शन के शाश्वत सिद्धांत हैं। इनका अनवरत प्रवाह, हमारी सभ्यता के आरंभ से ही, हम सबके जीवन को समृद्ध करता रहा है। हर नई पीढ़ी का यह दायित्व है कि समय के अनुरूप, इन मूल्यों की सार्थकता स्थापित करे।”

बता दें कि भारत में बड़े ही धूमधाम और भव्य तरीके से गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना के कारण गणतंत्र दिवस समारोह पहले की तरह नहीं मनाया जाएगा। और इस साल मुख्य अतिथि के रूप में किसी विदेशी राष्ट्र प्रमुख या सरकार के मुखिया को आमंत्रित नहीं भी नहीं किया गया है।

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