PM बोले- किस बात को लेकर है आंदोलन, इस पर सब मौन रहे, अच्छा होता चर्चा होती

PM बोले- किस बात को लेकर है आंदोलन, इस पर सब मौन रहे, अच्छा होता चर्चा होती

आज देशभर के किसानों की नजर इस बात पर थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब कैसे देते हैं और किसानों को लेकर क्या कहते हैं। प्रधानमंत्री सोमवार को राज्यसभा में किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील किया।

नरेंद्र मोदी ने कहा, “सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई है। ज्यादा-से-ज्यादा समय जो बात बताई गईं वो आंदोलन के संबंध में बताई गई। किस बात को लेकर आंदोलन है उस पर सब मौन रहे। जो मूलभूत बात है, अच्छा होता कि उस पर भी चर्चा होती।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ कहां है। मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण जी की बात बताना चाहता हूं। वो छोटे किसानों की दयनीय स्थिति पर हमेशा चिंता करते थे। पहले की सरकारों की सोच में छोटा किसान था क्या? जब हम चुनाव आते ही एक कार्यक्रम करते हैं कर्जमाफी, ये वोट का कार्यक्रम है या कर्जमाफी का ये हिन्दुस्तान का नागरिक भली भांति जानता है।”

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सदन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों से एमएसपी को कोई खतरा नहीं है। एमएसपी था, है और रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं आप सभी को निमंत्रण देता हूं कि हम देश को आगे बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र के विकास के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, हमें देश को आगे ले जाना होगा। आइए मिलकर चलें।”

नरेंद्र मोदी ने कहा, “हर कानून में अच्छे सुझावों के बाद कुछ समय के बाद बदलाव होते हैं। इसलिए अच्छा करने के लिए अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ हमें आगे बढ़ना होगा।” इसके बाद प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि एमएसपी खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा, “मंडियों को मजबूत किया जा रहा है। जिन 80 करोड़ लोगों को सस्तों में राशन दिया जाता है, वो भी जारी रहेगा। किसानों की आय बढ़ाने के लिए दूसरे उपाय पर बल दिया जा रहा है।” उन्होंने कहा कि अब अगर देर कर देंगे, तो किसानों को अंधकार की तरफ धकेल देंगे।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “शरद पवार समेत कई कांग्रेस के नेताओं ने भी कृषि सुधारों की बात की है। शरद पवार ने अभी भी सुधारों का विरोध नहीं किया, हमें जो अच्छा लगा वो किया आगे भी सुधार करते रहेंगे। आज विपक्ष यू-टर्न कर रहा है, क्योंकि राजनीति हावी है।

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पूर्व प्रधानमंत्री ने मनमोहन सिंह का कथन नरेंद्र मोदी ने पढ़ा, “हमारी सोच है कि बड़ी मार्केट को लाने में जो अड़चने हैं, हमारी कोशिश है कि किसान को उपज बेचने की इजाजत हो” उन्होंने आगे कहा कि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है, आप गर्व कीजिए। उन्होंने कहा कि दूध का काम करने वाले, पशुपालन वाले, सफल का काम करने वालों के पास खुली छूट है। लेकिन किसानों को ये छूट नहीं है।

प्रधानमंत्री यह भी कहा, “चुनाव के वक्त कर्जमाफी की जाती है, लेकिन उससे छोटे किसान को फायदा नहीं होता है। पिछली फसल बीमा योजना भी बड़े किसानों के लिए थी, जो सिर्फ बैंक से लोन लेता था। यूरिया हो या कोई दूसरी योजना, पहले सभी योजनाओं का लाभ 2 हेक्टेयर से अधिक वाले किसानों को होता था।”

उन्होंने आगे कहा, “2014 के बाद हमने कई परिवर्तन किए और फसल बीमा के दायरे को बढ़ा दिया। फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये दिए गए। हमने करीब पौने दो करोड़ लोगों तक किसान क्रेडिट कार्ड को पहुंचाया।”

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इसके बाद नरेंद्र मोदी ने तंज कसते हुए कहा, “कुछ बुद्धिजीवी होते हैं, लेकिन कुछ लोग आंदोलनजीवी हो गए हैं, देश में कुछ भी हो वो वहां पहुंच जाते हैं। कभी पर्दे के पीछे और कभी फ्रंट पर, ऐसे लोगों को पहचानकर हमें इनसे बचना होगा। ये लोग खुद आंदोलन नहीं चला सकते हैं, लेकिन किसी का आंदोलन चल रहा हो तो वहां पहुंच जाते हैं। ये आंदोलनजीवी ही परजीवी हैं, जो हर जगह मिलते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैदान में एक नया एफडीआई आया है, जो फॉरेन डिस्ट्रिक्ट आइडियोलॉजी (विदेशी विनाशकारी विचारधारा) से देश को बचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत किसी सरकार नहीं बल्कि देश का आंदोलन है।

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