कोरोना के दूसरे लहर में हर तरफ आफरा-तफरी मची हुई है। संक्रमण रोकने के लिए देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन जारी है। लेकिन, बेरोजगारी और भुखमरी से कुछ लोग इतने बेबस हो गए हैं कि सड़क पर पड़े चीजों को खा-पी रहे हैं। कानपुर एक ऐसे ही घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें देखा सकता है कि भूख से त्रस्त युवक सड़क पर गिरा दूध पी रहा है।
यह वीडियो कानपुर जिले के सुतरखाना का बताया जा रहा है। लोगों के मुताबिक, यह घटना कल दो पहर की है। सुतरखाने के लोगों का कहना है कि एक दूध वाले की साइकिल रविवार को पलट गई। जिसके चलते उसका पूरा दूध सड़क पर फैल गया।
इसके बाद दूधवाला वहां से चला गया। तभी एक युवक उस जगह से गुजरा। उसे बहुत भूख लगी थी। उसने जमीन पर दूध गिरा देखा तो घुटने के बल बैठ गया और दूध पीने लगा। यह देख वहां मौजूद लोगों को उस पर दया आ गई। उन्होंने युवक को खाने का सामान दिया।
A video of a young man drinking milk that was spilt on the street has gone viral on social media. The incident reportedly took place on May 9, in Sutarkhana area in Uttar Pradesh’s Kanpur. pic.twitter.com/0nN42luHKL
— The Logical Indian (@LogicalIndians) May 10, 2021
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लॉकडाउन लंबा चलने से उत्तर प्रदेश में ही नहीं पूरे देस में मजदूरों के सामने खाने का संकट आ खड़ा हुआ है। कई मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। पिछले साल दुनिया में 15 करोड़ से ज्यादा लोगों को भुख का सामना करना पड़ा था। इतना ही नहीं, इनमें करीब डेढ़ लाख लोग ऐसे थे, जो भुखमरी की वजह से मौत की कगार पर पहुंच गए।
संयुक्त राष्ट्र के 16 संगठनों की ओर से जारी एक रिपोर्ट में सामने आया है जिसको दुनिया की फीसदी आबादी वाले 55 देशों की स्थिति के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर अफ्रीकी देश कोरोना और गृहयुद्ध के चलते भुखमरी का सामना कर रहे हैं।
रिपोर्ट में सामने आया है कि भुखमरी की कगार पर पहुंचने का एक सबसे बड़ा कारण महामारी है। रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि यह साल यानी 2021 पिछले साल से ज्यादा भयानक होने वाला है। कहा गया है कि यह साल बेहद गंभीर और बदतर होगा।
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फूड क्राइसिस की 307 पेज की ग्लोबल रिपोर्ट के हवाले से संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने लिखा है कि दुनिया में अधिक खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनमें उनकी संख्या ज्यादा है, जिन्हें तत्काल भोजन, पोषण और आजीविका सहायता की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी में अकाल और भुखमरी का कोई स्थान नहीं है। हमें इसे हल करने के लिए भूख और संघर्ष से निपटना होगा। रिपोर्ट के अनुसार, भुख का संकट झेलने वालों में दो-तिहाई आबादी सिर्फ 10 देशों में है। इनमें कांगो, अफगानिस्तान, यमन, सीरिया, सूडान, नाइजीरिया, इथोपिया, दक्षिणी सूडान, जिम्बाब्वे और हैती है। हालांकि, भारत इन देशों में शामिल नहीं पर यहां भी हालात बेहद खराब है और कानपुर की घटना इसका बड़ा उदाहरण है।
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