उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार के गंगा नदी में मिला लाशों का अंबार

उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार के गंगा नदी में मिला लाशों का अंबार

कोरोना को लेकर देश में हाहाकार मचा हुआ है। सरकार भले गिनाने में लगी है कि संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं। चैनल भले सुधार होता दिखा रहे हैं। लेकिन सच्चाई इसके उलट है। देशभर में लावारिश लाशें कहीं न कहीं हर दिन बरामद हो रही हैं। इससे मामले का गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

बक्सर जिले में चौसा के महदेवा घाट पर लाशों का अंबार लगा हुआ है। इतनी अधिक संख्या में लाशें मिलने के बाद पुलिस प्रशासन के हाथ-पार फुल गए हैं। जिले में यह मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।

हालांकि, जिला प्रशासन ने इन लाशों को लेकर पल्ला झाड़ती नजर आ रही है। प्रशासन की ओर से इसे उत्तर प्रदेश का बताया है। जिला प्रशासन का कहना है कि ये यूपी से बहकर आई हैं। नहीं में जिस तरह से लाशें तैरती नजर आ रही हैं वह आम जन के मन को विचलित करने वाला है।

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घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसके बाद जिला प्रशासन के कान खड़े हो गए हैं। चारों ओर बहती लाशों के संबंध में चौसा के बीडीओ अशोक कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि महदेवा घाट पर 40 से 45 लाशें मिली हैं।

उन्होंने बताया कि ये अलग-अलग जगहों से बहकर यहां पहुंची हैं। उनका कहना है कि ये लाशों का अम्बार बिहार का नहीं है। अशोक कुमार ने कहा, “बहुत ही बड़ी आपदा है। लाशें गंगा जी के किनारे लगी हुई हैं। इसलिए एक अनुमान लगाया जा रहा है कि लाशें बह कर आ रही हैं। ग्रामीणों ने बताया है कि उत्तर प्रदेश के बीरपुर और बारे गांव के किनारे-किनारे 500 लाशें लगी हुई हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “यह आंकड़ा 100-200 भी हो सकता है। यहां जो लाशें हैं, वह भी बह कर आकर लगी हैं। चूंकि यहां के घाट की जो बनावट है, वह थोड़ी अलग है। महदेवा घाट से लेकर श्मशान घाट के पास कोई भी चीज यहां बहकर आती है, तो यहां आकर लग जाती है। अभी तक 50 के आसपास की लाशें यहां दिखाई दे रही हैं।”

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यमुना नदी में दर्जनों लाशें तैरता देख मचा हड़कंप, UP सरकार के हाथ-पाँव फूले

उन्होंने कहा कि उनके पास यूपी से बहकर आने वाली लाशों को रोकने का कोई रास्ता नहीं है। जिसके चलते इनके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि लाशें बिहार के कई जिलों में फैल चुके कोराना संक्रमण की वजह से हुई मौत की हैं।

राम प्यारे नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, “जिनके घर में खाने के लिए एक टाइम का अनाज तक नहीं है। वह अपने परिजनों का अंतिम संस्कार कैसे करते। जिला प्रशासन एवं सरकार के द्वारा घाटों पर लकड़ी एवं दाह-संस्कार के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।”

अमूमन कोरोना वायरस की वजह से हर दिन 100 से 200 बॉडी शव घाट पर आ रहे हैं। इस दौरान अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की पर्याप्त व्यवस्था न होने चलते शवों को गंगा में बहा दिया जा रहा है।

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वहीं, उपजिलाधिकारी सदर के.के. उपाध्याय ने कहा, “गंगा में दिखाई देने वाली 10-12 लाशें दूर से आईं हैं, ऐसा लगता है कि ये लाशें पिछले 5-7 दिनों से उतरा रही थीं। हमारे पास नदियों में शवों को विसर्जित करने की परंपरा नहीं है। हम इन लाशों का अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था कर रहे हैं। यह पता लगाना जांच का विषय है कि क्या ये लाशें वाराणसी, इलाहाबाद या किसी अन्य जगह से आती हैं। हम घाट क्षेत्रों के पास अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए सचेत कर रहे हैं कि यह दोबारा न हो।”

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों यूपी के हमीरपुर जिले से ऐसी ही दर्दनाक तस्वीरें सामने आई हैं जिसे देख प्रशासन की हाथ-पाँव फूल गए थे। वहां यमुना नदी में एक साथ कई शवों को उतरता हुआ देखा गया था। तब भी बताया गया था कि नदी के आसपास के गांववाले अग्निदाह करने के बजाय शवों को सीधे यमुना में प्रवाहित कर रहे हैं।

दरअसल, बीते शुक्रवार को यमुना नदी में अचानक से काफी सारे शवों को तैरता हुआ देखा गया। जिसके बाद इलाके में हड़कंप मच गया इसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी था। जब हमीरपुर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि कानपुर और हमीरपुर जिलों के ग्रामीण इलाकों में बड़ी तादाद में लोगों की मृत्यु हो रही है। सभी शवों को ग्रामीणों द्वारा यमुना में ही प्रवाहित किया जा रहा है।


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