ट्रैक्टर रैली पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पुलिस तय करे दिल्ली में कौन आएगा, कौन नहीं

ट्रैक्टर रैली पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पुलिस तय करे दिल्ली में कौन आएगा, कौन नहीं

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 54वां दिन है। किसान संगठनों ने 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है। वहीं इस रैली के खिलाफ हैं दिल्ली पुलिस। इसलिए किसान संगठनों ने मांग की है कि उन्हें रैली निकालने की इजाजत दी जाए। इसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई।

26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि दिल्ली में कौन आएगा कौन नहीं, ये दिल्ली पुलिस तय करेगी। कोर्ट ने कहा कि शहर में कितने लोग, कैसे आएंगे ये पुलिस तय करेगी। कोर्ट ने इस मामले पर बुधवार यानी 20 जनवरी को सुनवाई करेगी।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, “यह मामला कानून-व्यवस्था से जुड़ा है और इसके बारे में फैसला पुलिस लेगी। इस मामले से निपटने के लिए आपके पास सारे अधिकार हैं। दिल्ली में किसे प्रवेश देना चाहिए, इस बारे में फैसला करने का पहला अधिकार पुलिस को है। हम आपको यह नहीं बताने जा रहे कि आपको क्या करना चाहिए, इस विषय पर 20 जनवरी को विचार करेंगे।”

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भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा, “किसान केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ मई 2024 तक प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन ‘वैचारिक क्रांति’ है। उन्होंने आगे कहा, ”हम मई 2024 तक प्रदर्शन करने को तैयार हैं। हमारी मांग है कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी प्रदान करे।”

उन्होंने कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी चाहते हैं। उन्होंने कहा, “यह दिल्ली से शुरू हुई किसानों की वैचारिक क्रांति है और विफल नहीं होगी। गांवों में किसान चाहते हैं कि हम तब तक नहीं लौटें जब तक तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता।”

वहीं यूनियन नेता योगेंद्र यादव ने सिंघु सीमा स्थित प्रदर्शन स्थल पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “हम गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में बाहरी रिंग रोड पर एक ट्रैक्टर परेड करेंगे। परेड बहुत शांतिपूर्ण होगी। गणतंत्र दिवस परेड में कोई भी व्यवधान नहीं होगा। किसान अपने ट्रैक्टरों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाएंगे।”

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वहीं दूसरी तरफ कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रविवार को किसान नेताओं से फिर आग्रह किया कि वे नए कृषि कानूनों पर अपना ‘अड़ियल रुख छोड़ दें और कानूनों की हर धारा पर चर्चा के लिए आएं। उन्होंने कहा, “अब जबकि उच्चतम न्यायालय ने इन कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है तो ऐसे में अड़ियल रुख अपनाने का कोई सवाल हीं नहीं उठता है। सरकार चाहती है कि किसान नेता 19 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में कानून की हर धारा पर चर्चा के लिए आएं।”

उन्होंने कहा कि कानूनों को निरस्त करने की मांग को छोड़कर सरकार गंभीरता से और खुले मन के साथ अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार है। इस बीच नये कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के यहां पूसा परिसर में 19 जनवरी को ही अपनी पहली बैठक करने का कार्यक्रम रखा है। इस बात की जानकारी शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के प्रमुख घनवट ने दिया है। उन्होंने कहा, “हम लोग पूसा परिसर में 19 जनवरी को बैठक कर रहे हैं। भविष्य की रणनीति पर फैसला करने के लिए सिर्फ सदस्य ही बैठक में शामिल होंगे।”

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उन्होंने कहा कि समिति के चार सदस्यों में से एक ने समिति छोड़ दी है। यदि शीर्ष न्यायालय कोई नया सदस्य नियुक्त नहीं करता है, तो मौजूदा सदस्य सौंपा गया कार्य जारी रखेंगे। उन्होंने आगे कहा, “हमारी समिति के जरिए या फिर प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की अलग वार्ताओं से (दोनों में से किसी की भी कोशिश से) यदि समाधान निकल जाता है और प्रदर्शन खत्म हो जाता है, तो हमें कोई दिक्कत नहीं है।” घनवट ने कहा कि सरकार को चर्चा जारी रखने दीजिए, हमें एक कार्य सौंपा गया है और हम उस पर पूरा ध्यान देंगे।

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