मध्य प्रदेश कांग्रेस में हिंदू महासभा के गोड्से समर्थक बाबूलाल चौरसिया को हाल ही में शामिल कराया गया था। लेकिन उनके पार्टी में आने के बाद पार्टी के भीतर संग्राम छिड़ गया है। चौरसिया का पार्टी में आने के फैसले के खिलाफ खुले तौर पर कई नेता विरोध पहले भी विरोध कर चुके हैं। हालांकि, चौरसिया अब भी सुरक्षित है। बताया जा रहा है कि चौरसिया को पार्टी में शामिल कराने के पीछे कमलनाथ का समर्थन हासिल रहा है।
पिछले दिनों भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में ग्वालियर नगर निगम के हिंदू महासभा से पार्षद बाबूलाल चौरसिया को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी। चौरसिया को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई जाने के बाद कांग्रेस के कई नेता मुखर हुए थे। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने तो यहां तक कहकर नाराजगी जताई थी कि गांधी हम शर्मिंदा हैं…..।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और विधायक लक्ष्मण सिंह, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन, पूर्व मंत्री सुभाष कुमार सोजतिया ने अरुण यादव का बयान आने के बाद चौरसिया को कांग्रेस में लिए जाने को पार्टी की नीतियों के खिलाफ उठाया कदम बताया था। वहीं जब चौरसिया को कांग्रेस में शामिल किए जाने को लेकर दिग्विजय सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने पूछा कि बाबूलाल चौरसिया कौन है। हालांकि, इस घटना के कुछ ही दिन बाद खबर आई कि कांग्रेस ने 4 मार्च को किसानों के समर्थन में रतलाम, उज्जैन और सीहोर में आयोजित होने वाली महापंचायतों में हिंदू महासभा को भी निमंत्रण भेजा गया है।
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चौरसिया को लेकर एक तरफ जहां कांग्रेस के कई नेता इसे गांधीवादी विचारधारा खिलाफ बता रहे थे तो वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल ने सीधे तौर पर कमलनाथ पर हमला किया था। लेकिन उनके बातों पर ध्यान देने के बजाय मामला अनुशासन समिति में ले जाया गया और उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद भी अग्रवाल के तेवरों में कोई बदलाव नहीं आया और उन्होंने पार्टी और कमलनाथ की नीतियों पर हमला जारी रखा।
दरअसल, अग्रवाल अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं और उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या प्रदेश की अनुशासन समिति को उन पर कार्रवाई का अधिकार है? आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि मानक अग्रवाल ने कमलनाथ के खिलाफ बयान दिया था, यह बात सही है। और उन पर पार्टी को कार्रवाई करने का अधिकार है। मगर अग्रवाल की निष्ठा हमेशा पार्टी में रही है इसलिए इस तरह की कार्यवाही से पहले विचार किया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि गोड्से समर्थक को कांग्रेस में लाया जाना कहां तक उचित है, इसका भी जवाब पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को देना चाहिए। सवाल उठ रहा है कि क्या कमलनाथ गोड्से समर्थक को संरक्षण दे रहे हैं? कांग्रेस में गोड्से समर्थक को शामिल किए जाने के बाद से पार्टी में दो धाराएं साफ नजर आ रही हैं। एक तरफ वे लोग हैं जो कमलनाथ के साथ हैं तो दूसरी तरफ गेाडसे समर्थक को पार्टी में लिए जाने का विरोध कर रहे हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस ऐसे दोराहे पर खड़ी है जहां पार्टी में आने वाले समय में बिखराव और बढ़ने की संभावना दिख रही है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मानक अग्रवाल के खिलाफ कमलनाथ ने कार्रवाई कर यह संदेश दिया है कि कांग्रेस में दिग्विजय सिंह समर्थकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है। अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई करके कमलनाथ ने साथ ही अपनी ताकत का भी लोहा मनवाने की कोशिश की है। आने वाले दिनों में, हो सकता है कि कुछ और कांग्रेस कार्यकर्ताओं और उन नेताओं पर कार्रवाई हो जिन्होंने चौरसिया के कांग्रेस प्रवेश पर सवाल उठाए थे।
सियासी तौर मानक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई किए जाने को पर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच बढ़ती दूरी का भी संकेत माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अग्रवाल की गिनती दिग्विजय समर्थकों में रही है। दिग्विजय जब भोपाल लोकसभा से चुनाव लड़े थे तब मानक अग्रवाल चुनाव के मीडिया प्रभारी थे। कुल मिलाकर यह माना जा रहा है कि कमलनाथ की यह कार्रवाई पार्टी के भीतर चल रही खींचतान को सामने लाने वाली है। साथ ही यह भी बताती है कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं है।
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