पहले गोड्से ‘भक्त’ को पार्टी में शामिल कराया, अब हिंदू महासभा को कांग्रेस ने भेजा न्योता

पहले गोड्से ‘भक्त’ को पार्टी में शामिल कराया, अब हिंदू महासभा को कांग्रेस ने भेजा न्योता

केंद्र के तीन नए कृषि कानून के खिलाफ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह ने 4 मार्च से राज्य में गैर-राजनीतिक किसान महापंचायत बुलाई है। मीडिया से बात करते हुए शुक्रवार को दिग्विजय सिंह ने कहा कि महापंचायत में शामिल होने के लिए उन्होंने किसान संगठन और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ हिंदू महासभा को भी न्योता दिया है, जो कि महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा करती रही है।

दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर नगर निगम के पार्षद बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर कहा कि उन्हें पता नहीं है कि चौरासिया कौन हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा,”मैं गांधीवादी विचारधारा का फॉलोअर हूं। मुझे नाथूराम गोडसे के अनुयायियों पर शर्म आती है।”

दिग्विजय सिंह ने महापंचायत के बारे में बताते हुए कहा, “किसान महापंचायत एक गैर-राजनीतिक कार्यक्रम होगा। किसान नेता और राजनीतिक नेता एक साथ बैठेंगे और नए कृषि कानूनों में खामियों के बारे में बताएंगे। पहली महापंचायत 4 मार्च को रतलाम में आयोजित की जाएगी और उसके बाद उज्जैन और सीहोर में महापंचायतें होंगी।”

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उन्होंने केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि वे किसी भी खुले मंच पर इन कानूनों के प्रावधानों पर उनसे बहस करने लिये तैयार हैं कि यह कानून किसानों के खिलाफ हैं।

पहले गोड्से 'भक्त' को पार्टी में शामिल कराया, अब हिंदू महासभा को कांग्रेस ने भेजा न्योता

गोड्से के ‘भक्त’ बाबूलाल

दरअसल, ग्वालियर के वार्ड नंबर 44 के पार्षद और हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया ने 24 फरवरी को कांग्रेस का दामन थाम लिया था जिसके बाद कांग्रेस की चौतरफा आलोचना हो रही है। पार्टी के भीतर भी कई नेताओं न बाबूलाल के कांग्रेस में शामिल होने पर सवाल उठाए हैं।

विरोध का सबसे बड़ा कारण ये है कि बाबूलाल महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड्से के ‘भक्त’ रहे हैं। बाबूलाल चौरसिया ने 15 नवंबर, 2017 में नाथूराम गोड्से का मंदिर बनवाया था और गोड्से की आरती उतारी थी।

बाबूलाल के कांग्रेस में शामिल कराने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा था, “हिन्दू महासभा के नेता कांग्रेस में शामिल, ग्वालियर के वार्ड 44 के पार्षद एवं हिन्दू महासभा के नेता श्री बाबूलाल चौरसिया आज प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए, श्री चौरसिया जी का कांग्रेस परिवार में स्वागत है।”

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कांग्रेस के भीतर विरोध

हिन्दू महासभा के नेता का कांग्रेस में शामिल कराए जाने के बाद पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने भी इसका विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि गोडसे का मंदिर बनवाना और फिर उसको गांधी की विचारधारा से मिलाना, यह उन्हें उचित नहीं लगा, इसलिए उन्होंने विरोध में अपना विचार प्रकट किया है। कांग्रेस के कुछ नेता तो इस मुद्दे पर मुखर हैं तो कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि पार्टी का आधिकारिक स्टैंड क्या है।

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि सीनियर नेताओं के संज्ञान में ये मुद्दा है। अरूण यादव की अपनी भावनाएं हैं सही समय पर आपको बताएंगे। बीजेपी नेता भी कांग्रेस पप हमले कर रहे हैं कि आखिर गोडसे का पुजारी कांग्रेस में कैसे शामिल हुआ। बीजेपी नेता विश्वास सारंग ने कहा है कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है।

मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं

बता दें कि बाबूलाल पहले भी कांग्रेस में रह चुके हैं। लेकिन पिछली बार चुनाव में टिकट नहीं मिलने के चलते उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर हिन्दू महासभा के टिकट पर पार्षदी का चुनाव लड़ा था। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार शम्मी शर्मा को हराया था।

जब बाबूलाल चौरस‍िया ने कांग्रेस में शाम‍िल होने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हिंदू महासभा ने मुझे षड्यंत्र करके मुझे अपने साथ बनाए रखा। जब मुझे लगा कि गलत लोगों के साथ हूं उनकी कार्यशैली मुझे पसंद नहीं आ रही थी। इसीलिए मैंने हिंदू महासभा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है।”

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इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा, “मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं। हिन्दू महासभा ने मुझे अंधेरे में रखकर गोडसे की पूजा कराई थी। पिछले दो-तीन साल से मैं इनके इस तरह के कार्यक्रम से दूरी बनाकर चल रहा था। मेरे मन में हिन्दू महासभा की विचारधारा समाहित नहीं हो सकी।”

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