इस्राएल ने येरुशलम पर दागे रॉकेट, 9 बच्चों समेत 20 फिलिस्तीनियों की मौत

इस्राएल ने येरुशलम पर दागे रॉकेट, 9 बच्चों समेत 20 फिलिस्तीनियों की मौत

इस्राएल ने सोमवार को देर शाम पूर्वी येरुशलम के शेख जर्रा पर मिसाइलों से हमला किया जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई। गाजा में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि इस्राएली हवाई हमलों में 9 बच्चों समेत कम-से-कम 20 लोगों की मौत हुई है। वहीं, इसराइली सेना का कहना है कि फिलिस्तीनी संगठन हमास के कम-से-कम तीन लोग इस हवाई हमलों में मारे गए जो गाजा पट्टी क्षेत्र में संगठन का नेतृत्व करते थे।

ताजा घटनाक्रम को देखते हुए दुनियाभर के देशों ने एक बार फिर इस्राएलियों और फिलिस्तीनियों से शांति बहाल करने की अपील की है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने इस्राएल और फिलिस्तीन के लोगों के जल्द-से-जल्द तनाव कम करने का आग्रह किया है। दरअसल, ये तनाव तब से बढ़ा है जब येरुशलम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद में घुसकर इस्राएली सुरक्षाबलों ने नमाज पढ़ते लोगों पर हमला किया जिसमें कई फिलिस्तीनी घायल हो गए। इसके बाद सोमवार को फिलिस्तीनी संगठन हमास ने हमले करने की धमकी दी थी।

खबरों के मुताबिक, शेख जर्रा में इस्राएली सेना देर रात तक रॉकेट लॉन्चर दागती रही और हवाई हमले करती रही। हमले का बाद इस्राएली लोगों द्वारा जश्नन मानता देखा गया जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो है। इस्राएली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि हमास ने अपनी हद पार की है जिसका इस्राएल पूरी ताकत से इसका जवाब देगा।

इस्राएल ने येरुशलम पर दागे रॉकेट, 9 बच्चों समेत 20 फिलिस्तीनियों की मौत

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नेतन्याहू ने कहा, “हम येरुशलम में निर्माण कार्य न करने को लेकर बढ़ रहे दबाव को सिरे से खारिज करते हैं। ये दु:ख की बात है कि हाल के दिनों में इसके लिए दबाव बढ़ा है।” एक स्थानीय टेलीविजन पर प्रसारित एक संदेश में नेतन्याहू ने कहा, “मैं अपने मित्रों से ये कहना चाहता हूँ कि येरुशलम इस्राएल की राजधानी है और जिस तरह हर देश अपनी राजधानी में निर्माण कार्य करता है, उसी तरह हमें भी अपनी राजधानी में निर्माण कार्य करने और येरुशलम को बनाने का अधिकार है। हम यही कर रहे हैं और आगे भी करेंगे।”

उधर, फिलीस्तीनी नेता और कानूनविद डॉ. हनान अशर्वी ने मीडिया को बताया कि फिलीस्तीनियों को इस्राएल जानबूझ कर उकसा रहा है। उन्होंने कहा, “इस्राएल ने पवित्र स्थल को निशाना बनाया है। इबादत करने वालों को निशाना बनाया है। उन्हें बताया गया था कि इस्राएल आग से खेल रहा है। और इसके बाद भी वे जारी रहे और बात को बढ़ाते रहे।”

डॉ. अशर्वी ने आगे कहा कि यरूशलम में इस्राएल डेमोग्रैफिक इंजीनियरिंग या नस्ली सफाई कर रहा है। उन्होंने कहा, “वे फिलीस्तीन में घरों पर कब्जा कर रहे हैं। वे फिलीस्तीनियों को उनके ही घरों से निकाल रहे हैं। वे फिलीस्तीनी घरों को गिरा रहे हैं। तो मामला बस लोगों को जगह से हटाना और मुआवजा देना नहीं है। मामला ये है कि वे फिलीस्तीनियों से छुटकारा पाना चाहते हैं और फिलीस्तीनियों के शहर का सफाया करना चाहते हैं। वे देखना चाहते हैं कि वे यरूशलम पर कब्जा करने की अपनी कोशिश में किस हद तक जा सकते हैं, उसका किरदार बदल सकते हैं और यरूशलम पर अवैध संप्रभुता स्थापित कर सकते हैं।”

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मानवाधिकार संगठन द फिलिस्तीन रेड क्रिसेंट सोसायटी ने मंगलवार को बताया कि इस्राएली सुरक्षाबलों के साथ फिलिस्तीनियों की हुई झड़पों में येरुशलम और वेस्ट बैंक में अब तक 700 से ज्यादा फिलिस्तीनी घायल हो चुके हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने ताजा घटनाक्रम को लेकर कहा है कि हमास को रॉकेट हमलों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी पक्षों को शांति बहाली के लिए थोड़ा पीछे हटना होगा।

दूसरी तरफ अमेरिकी व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने भी शांति बहाली की अपील की है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी यरुशलम में जारी हिंसा से लेकर चिंतित हैं। वहीं, यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा है कि वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और पूर्वी यरुशलम में बढ़ती हिंसा को तुरंत रोकने की जरूरत है। येरुशलम में हुई हिंसा को लेकर सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी एक बैठक हुई। हालांकि, संगठन ने अभी तक इस मामले पर अपना कोई बयान जारी नहीं किया है।

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हालांकि, एक राजनयिक अधिकारी ने बताया कि कि संयुक्त राष्ट्र, मिस्र और कतर, जो अक्सर इसराइल और हमास के बीच मध्यस्थता करते हैं, सभी लड़ाई को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने भी सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा- “हिंसा, हिंसा को जन्म देती है।”

उल्लेखनीय है कि यरुशलम से फिलिस्तीनियों को हटाकर उसे अपनी संप्रभुता का हिस्सा बनाने की इस्राएल की योजना को सऊदी अरब ने नकार दिया है। शनिवार को सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय की तरफ से शनिवार को पूरे मामले पर बयान जारी किया गया जिसमें एकतरफा कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के उल्लंघन की निंदा की गई है। सऊदी अरब ने कहा कि वो फिलिस्तीनियों के साथ खड़ा है। सऊदी ने कहा कि उसकी पूरी कोशिश है कि फिलिस्तीनियों के लिए 1967 के बॉर्डर के आधार पर एक स्वतंत्र मुल्क बने। साथ में तुर्की ने भी मस्जिद में हमले की निंदा की थी।

दरअसल, अल-अक्सा मस्जिद परिसर जो कि पुराने यरुशलम शहर में है, उसे मुसलमानों की सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है। पर इस जगह पर यहूदियों का पवित्र माउंट मंदिर भी है। इसराइल ने 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद पूर्वी यरुशलम को अपने कब्जे में ले लिया था जिसे वह पूरे शहर को राजधानी मानता है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से इसका विरोध किया जाता रहा है।

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वहीं, दूसरी तरफ फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आजाद मुल्क की राजधानी के तौर पर देखते हैं। पिछले कुछ दिनों से इलाके में फिर से तनाव बढ़ा है। आरोप है कि जमीन के इस हिस्से पर हक जताने वाले यहूदी फलस्तीनियों को बेदखल करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस सबके उलट संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा यूनेस्को की कार्यकारी बोर्ड ने अक्टूबर 2016 में एक प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा था कि यरुशलम में मौजूद ऐतिहासिक अल-अक्सा मस्जिद पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है। इसका इसराइल ने कड़ा विरोध किया था।

यूनेस्को ने प्रस्ताव में कहा था कि अल-अक्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है। यहूदी उसे टेंपल माउंट कहते रहे हैं और यहूदियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता रहा है।


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