फिलिस्तीनियों पर इसराइल ने फिर की हिंसक कार्रवाई, तुर्की-सऊदी ने की निंदा

फिलिस्तीनियों पर इसराइल ने फिर की हिंसक कार्रवाई, तुर्की-सऊदी ने की निंदा

फिलिस्तीनियों और इसराइली पुलिस के बीच यरुशलम में शनिवार को लगातार दूसरी रात भी झड़प हुई, जिसमें दर्जनों लोग घायल हो गए। पिछली रात को हिंसा को लेकर प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया। इस दौरान पुराने शहर के दमस्कस गेट पर आगजनी किया गया जिसके जवाब में पुलिस ने स्टेन ग्रेनेड और वाटर कैनन दागे।

फिलिस्तीन रेड क्रिसेंट सोसायटी ने बताया कि रात को हुई हिंसा में कम-से-कम 80 फलस्तीनी घायल हो गए हैं जिसमें से 14 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, इसराइली पुलिस ने बताया कि एक इसराइली जवान को चोट लगी है।

दरअसलस, शुक्रवार रात को हिंसा की शुरुआत हुई थी, जब 200 से अधिक फलस्तीनी और कम-से-कम 17 इसराइली पुलिसकर्मी अल-अक्सा मस्जिद के पास घायल हो गए थे। इसके बाद हजारों की संख्या में शनिवार को फिलिस्तीनी मुसलमान अल-अक्सा मस्जिद के दमस्कस गेट पर लायलात-अल-कदर यानी रमजान की सबसे पवित्र रात को प्रार्थना के लिए फिर जुटे।

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इसराइली पुलिस ने शनिवार की सुबह मस्जिद की तरफ जाने वाली दर्जनों बसों को रास्ते में ही रोक लिया था। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, 27 साल के महमूद अल-मरबुआ ने बताया, “वो हमें नमाज अदा नहीं करने देना चाहते। हर दिन लड़ाई होती है, हर दिन झड़पें होती हैं।”

वहीं, फिलिस्तीनी नेता महमूद अब्बास ने इसराइली की तरफ से किए गए हिंसक कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने इसराइल के हमले को ‘गुनाह’ बताया है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, अमेरिका और रूस शनिवार को बढ़ती हिंसा पर ‘गहरी चिंता’ व्यक्त की है। दूसरी तरफ इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू का कहना है कि उनका देश कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है।

तुर्की-सऊदी ने की निंदा

तुर्की के तरफ से इसराइली हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा की है। राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इसराइल के रवैये की निंदा करते हुए ट्वीट किया है, “हम अल-अक्सा मस्जिद पर इसराइल के जघन्य हमले की निंदा करते हैं, जो कि दुर्भाग्य से हर रमजान के दौरान किए जाते हैं। तुर्की अपने फिलिस्तीनी भाइयों और बहनों से साथ हर मुश्किल घड़ी में खड़ा रहेगा।”

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इस बार तुर्की के अलावा अऊदी अरब ने भी हिंसा पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने अल-अरबिया चैनल पर प्रसारित एक बयान में कहा, “सऊदी अरब इसराइल द्वारा दर्जनों फिलिस्तीनी परिवारों को उनके घरों से बेदखल करने की योजना को खारिज करता है।”

जबकि हिंसा की निंदा करते हुए पाकिस्तान की ओर से विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने लिखा है, “अल-अक्सा मस्जिद, जिस पर इसराइल ने कब्जा कर रखा है। वहाँ निर्दोष लोगों पर रमजान के महीने में हमले की मैं निंदा करता हूं। इस तरह की क्रूरता मानवता और मानवाधिकार कानून की भावना के खिलाफ है। हम फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं।”

संयुक्त राष्ट्र ने किया विरोध

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अरब देशों ने अपील की है कि वो इस मामले में दखल दें ताकि उस इलाके से किसी को नहीं हटाया जाए। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि इसराइल को किसी को भी वहाँ से हटाने से बचना चाहिए और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल प्रयोग में अधिकतम संयम बरतना चाहिए।

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उल्लेखनीय है कि यरुशलम से फिलिस्तीनियों को हटाकर उसे अपनी संप्रभुता का हिस्सा बनाने की इसराइल की योजना को सऊदी अरब ने नकार दिया है। शनिवार को सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय की तरफ से शनिवार को पूरे मामले पर बयान जारी किया गया जिसमें एकतरफा कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के उल्लंघन की निंदा की गई है।

सऊदी अरब ने कहा कि वो फिलिस्तीनियों के साथ खड़ा है। सऊदी ने कहा कि उसकी पूरी कोशिश है कि फिलिस्तीनियों के लिए 1967 के बॉर्डर के आधार पर एक स्वतंत्र मुल्क बने। दरअसल, अल-अक्सा मस्जिद परिसर जो कि पुराने यरुशलम शहर में है, उसे मुसलमानों की सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है। पर इस जगह पर यहूदियों का पवित्र माउंट मंदिर भी है।

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यूनेस्को का प्रस्ताव

इसराइल ने 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद पूर्वी यरुशलम को अपने कब्जे में ले लिया था जिसे वह पूरे शहर को राजधानी मानता है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से इसका विरोध किया जाता रहा है। वहीं, दूसरी तरफ फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के एक आजाद मुल्क की राजधानी के तौर पर देखते हैं। पिछले कुछ दिनों से इलाके में फिर से तनाव बढ़ा है। आरोप है कि जमीन के इस हिस्से पर हक जताने वाले यहूदी फलस्तीनियों को बेदखल करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस सबके उलट संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा यूनेस्को की कार्यकारी बोर्ड ने अक्टूबर 2016 में एक प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा था कि यरुशलम में मौजूद ऐतिहासिक अल-अक्सा मस्जिद पर यहूदियों का कोई दावा नहीं है। इसका इसराइल ने कड़ा विरोध किया था।

यूनेस्को ने प्रस्ताव में कहा था कि अल-अक्सा मस्जिद पर मुसलमानों का अधिकार है और यहूदियों से उसका कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है। यहूदी उसे टेंपल माउंट कहते रहे हैं और यहूदियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता रहा है।


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