राजस्थान के बाड़मेर जिले में चौकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता का मंगलवार शाम को कथित तौर पर अपहरण किया गया और काफी देर तक प्रताड़ित करने के बाद सड़क किनारे लगभग मृत अवस्था में छोड़ दिया गया। 30 वर्षीय अमरा राम गोदरा गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है।
अमरा राम ने बताया कि उन्होंने कुछ दिनों पहले बाड़मेर के कुंपालिया ग्राम पंचायत में दो सरकारी योजनाओं- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और पीएम आवास योजना, में व्याप्त ‘भ्रष्टाचार’ के साथ-साथ ‘शराब के अवैध व्यापार’ के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की थी।
अमरा राम का आरोप है कि शिकायत करने के चलते ‘शराब माफिया और कुंपालिया के वर्तमान और पूर्व सरपंच उनसे नाराज हैं’। मीडिया को बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) दीपक भार्गव ने घटना के संबंध में बताया कि इस हमले, जिसकी वजह से अमरा राम के पैर की हड्डी टूट गई है और रीढ़ में भी गहरी चोट लगी है, को देखते हुए अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई है।

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एसपी ने भार्गव बताया, “फिलहाल उनका इलाज किया जा रहा है और उनकी हालत खतरे से बाहर एवं स्थिर है। उनका बयान दर्ज कर लिया गया है और मामले की आगे जांच की जा रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि अब तक चार लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें भूपेंद्र नाम का शख्स भी शामिल है, जो पड़ोसी गांव पारेउ के सरपंच का बेटा है।
दिप्रिंट ने पुलिस सूत्रों के हवाले से लिखा है कि नागराज गोदारा एक पुराने आपराधिक इतिहास वाला आदमी है और उसके खिलाफ हिंसा और हमले के कई मामले दर्ज हैं। कुंपालिया की वर्तमान सरपंच ममता उनकी पत्नी हैं। एसपी भार्गव ने कहा कि केवल जांच से यह ही पता चल सकता है कि इस हमले के पीछे कौन-कौन है।
अमरा राम ने अपनी शिकायत आरोप लगाया है कि मंगलवार शाम 7 बजे के आसपास जोधपुर से लौटते समय एक काले रंग की एसयूवी में उनका अपहरण कर लिया गया और फिर उन्हें लगभग 5-6 किमी दूर एक सुनसान स्थान पर ले जाया गया। अमरा राम के मुताबिक, करीब एक घंटे की कड़ी प्रताड़ना और पिटाई के बाद उन्हें गाड़ी से उसी जगह वापस फेंक दिया गया जहां से उन्हें पहले उठाया गया था।
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पुलिस को की गई शिकायत में अमरा राम ने कहा है, “जब मैं अपने घर वापस जा रहा था तभी छह लोगों ने मुझे जबरन रोका। उन सब के चेहरे ढके हुए थे। मैंने वहां से भागने की लेकिन कामयाब नहीं हो सका। फिर उन्होंने मुझे जबरदस्ती कार में बिठाया। दो अन्य लोग अंदर बैठे थे और वे मुझे एक सुनसान जगह पर ले गए।” उन्होंने आगे कहा है, “उन लोगों ने मेरा फोन छीन लिया और मुझे पीटना शुरू कर दिया।”
अमरा ने कहा, “मैं कुंपालिया के पूर्व सरपंच नागराज, वर्तमान सरपंच ममता और शराब का व्यापार करने वाले अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर रहा हूं।” उन्होंने आरोप लगाया है कि उसके पूरे शरीर पर तारों, जंजीरों, डंडों और रॉड से वार किए गए। उनके पैरों में कीलों से छेद किया गया था और उसे जबरन पेशाब से भरी बोतल पीने को कहा गया था।
दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल में ली गई अमरा राम की तस्वीरें और वीडियो में दिखाई देता है कि उनकी पीठ के निचले हिस्से और निजी अंगों पर नुकीली चीजों से प्रहार किया गया था। उनके दोनों पैर घुटने के नीचे गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त दिख रहे हैं। अमरा राम का कहना है कि हमलावरों ने उनसे उन आरटीआई गतिविधियों का भी उल्लेख किया जिसमें वह शामिल रहे हैं।

उन्होंने बताया, “उन्होंने मुझसे कहा कि मैं शराब के अवैध व्यापार और ग्राम पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज करता हूं, कि मैं आरटीआई याचिका दायर करता हूं…।” इस पर अपहरण करने वालों ने कहा- “आज हम तुमको कानून सिखाएंगे। फिर उन्होंने आपस में चर्चा की कि नागराज को सूचित किया जाना चाहिए कि उसके द्वारा दिए निर्देश के अनुसार अमरा राम की हत्या कर दी गई है।”
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पुलिस को अमरा राम ने भी बताया कि उन्होंने 15 दिसंबर को गिदा थाने में शराब के कथित तौर पर अवैध कारोबार और ग्राम पंचायत से पनप रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उनका कहना है कि (उनकी शिकायत के बाद) 19 दिसंबर को पुलिस ने छापेमारी की और कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया।
यह पूछे जाने पर कि क्या नागराज का इस हमले से कोई संबंध है तो पुलिस ने कहा कि फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। दो बच्चों के पिता अमरा राम ने कहा कि उन्हें पिछले कुछ दिनों के दौरान गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी। वहीं, एसपी भार्गव ने इस बात की पुष्टि की कि शराब के कथित तौर पर अवैध कारोबार और भ्रष्टाचार के बारे में अमरा राम की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। लेकिन उन्होंने कहा कि केवल जांच से ही पता लगा सकती है कि हमले के पीछे कौन लोग हैं।
दूसरी तरफ, अमरा राम के बड़े भाई भीमा राम ने बताया कि अमरा राम पिछले पांच या छह वर्षों से एक आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहा है और उसे बार-बार धमकियां भी दी जाती रही हैं। वहीं, पीड़ित के एक दोस्त रौता राम ने बताया कि अमरा को बांध दिया गया था और काफी ज्यादा क्रूरता के साथ पीटा गया था। हम भाग्यशाली हैं कि वह अभी भी जीवित है।
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