H&M: युवकी की हत्या के महीनों बाद, दो दर्जनों कर्मचारियों ने लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप

H&M: युवकी की हत्या के महीनों बाद, दो दर्जनों कर्मचारियों ने लगाया यौन उत्पीड़न का आरोप

अक्सर यह शिकायत आती रही है कि भारत की गारमेंट फैक्ट्रियों में काम करने वाली महिलाओं को टॉयलेट जाने का ब्रेक नहीं दिया जाता है। अगर मिलता भी जाता है तो बहुत मुश्किल से। चेन्नई की एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाली 20 साल की युवती की हत्या के बाद फिर से फैशन जगत के स्याह पक्ष की बात होने लगी है।

चेन्नई की एक टेक्स्टाइल फैक्ट्री में 5 जनवरी, 2020 को वहां काम करने वाली एक 20 साल की लड़की का शव मिला था। जिस फैक्ट्री में ये घटनी हुई है वह ग्लोबल फैशन रिटेलटर ‘एच एंड एम’ के लिए कपड़े बनाती है। फैक्ट्री में काम करने वाली दो दर्जन से अधिक महिलाओं ने युवती का शव मिलने के बाद सामने आकर यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई है।

हालांकि, पुलिस का कहना है कि उसने फैक्ट्री में काम करने वाले एक कर्मचारी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। एच एंड एम पर सप्लायर के साथ करार रद्द करने का दबाव पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ एशिया, यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में फैशनेबल कपड़े सप्लाई करने वाली कंपनी एच एंड एम ने तीसरे स्वतंत्र पक्ष से मामले की जांच कराने की बात कही है।

एक बयान जारी एच एंड एम कंपनी ने अपनी सफाई में कहा है, “सप्लायर के साथ भविष्य में किसी भी तरह का रिश्ता इसी जांच के नतीजे पर निर्भर करेगा।” यह भी कंपनी ने कहा है कि वह फैक्ट्रियों में किसी भी तरह का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं करेगी।

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प्रेम-प्रसंग का मामला

दूसरी तरफ हत्याकांड को पुलिस प्रेम-प्रसंग का मामला बता रही है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, नाम छुपाने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमारी जांच दिखाती है कि दोनों रिश्ते में थे और दोनों के बीच उपजे मतभेद हत्या की वजह हैं।”

पुलिस अधिकारी के मुताबिक, गारमेंट फैक्ट्री की किसी कर्मचारी या उनकी यूनियन ने कभी यौन दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं की। वहीं स्थानीय मानवाधिकार ग्रुपों के अनुसार, कई महिलाएं ऐसी शिकायतें कर चुकी हैं।

शोषण की फैक्ट्री

भारत में गारमेंट कर्मचारियों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था, एशिया फ्लोर एलायंस की इंडिया कॉर्डिनेटर नंदिता शिवकुमार ने बताया, “युवती की माँ और उसकी सहकर्मियों के मुताबिक उसने दुर्व्यवहार के बारे में बताया था।”

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नंदिता आगे कहती हैं, “कम-से-कम 25 अन्य कर्मचारियों ने हमें बताया कि फैक्ट्री में उनके साथ किस तरह का दुर्व्यवहार होता है। और हमें लगता है कि ब्रांड और निर्माता ऐसा माहौल बनाने में नाकाम रहे हैं जिसमें कर्मचारी शिकायत कर सकें।”

पीड़िता की माँ मुथुलक्ष्मी काथिरावेल ने कहा, “वह हमारे परिवार में पहली थीं, जिसे बाहर जाकर कपड़ा कारखानों में काम करने का मौका मिलका था। मेरी बेटी ने मुझे बताया कि उसे काम के दौरान प्रताड़ित किया जाता है। मैं नहीं चाहती कि दूसरों की बेटियों को भी ऐसा ही नुकसान उठाना पड़े।”

भारतीय गारमेंट उद्योग कई करोड़ डॉलर का है। भारत में तकरीबन 1.2 करोड़ लोग इस सेक्टर में काम करते हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं। तमिलनाडु के गारमेंट उद्योग पर लंबे समय से बाल मजदूरी के आरोप लगते रहे है। लेकिन अब यौन शोषण और दुर्व्यवहार के मामले भी सामने आ रहे हैं।

श्रमिक अधिकारों का काम करने वाले संगठनों के अनुसार, बड़े ब्रांड आपने सप्लायरों पर तेजी से सस्ते कपड़े बनाने का दबाव बनाने हैं। फिर सप्लायर ये दबाव अपने कर्मचारियों पर लादते हैं और अंत में ऐसी स्थिति बनती है, जिसके चलते कर्मचारियों को बाथरूम जाने तक की इजाजत भी नहीं मिलती। अगर मिलती भी है तो बमुश्किल। और अक्सर मौखिक और शारीरिक यौन दुर्व्यवहार भी होता रहता है।

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शिकायत समिति

सरकार के तरफ से साल 2013 में लागू किए गए एक कानून मुताबिक, जिस जगह भी 10 लोग काम करेंगे, वहां महिलाओं की अगुवाई में एक शिकायत समिति होनी जरूरी है। जिस समिति के पास दुर्व्यवहार के दोषी पर जुर्माना लगाने या उसे नौकरी से निकालने का अधिकार होना चाहिए।

नंदिता शिवकुमार बताती है, “ज्यादातर मामलों में बदले की कार्रवाई का डर सताता है और कुछ मामलों में इस कानून का इस्तेमाल कैसे किया जाए, इसे लेकर जागरूकता का अभाव है।” शिवकुमार के मुताबिक, इस फैक्ट्री में भी कुछ ऐसा ही हुआ। उन्होंने कहा, “इस फैक्ट्री के सुपरवाइजरों से मौखिक शिकायत की गई, जिन्हें न तो गंभीरता से लिया गया और न ही आंतरिक शिकायत समिति को भेजा गया।”

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