लखनऊ महापंचायत में जुटे किसान, सरकार के सामने रखी ये 6 सूत्रीय मांग

लखनऊ महापंचायत में जुटे किसान, सरकार के सामने रखी ये 6 सूत्रीय मांग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून को वापस लेने का एलान किया जिसके बाद लगा था कि किसानों का आंदोलन खत्म हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आज लखनऊ में किसानों की महापंचायत हो रही है।

एक तरह से संयुक्त किसान मोर्चा आज अपना शक्ति-प्रदर्शन करेगा, जिसमें देशभर से हजारों किसान लखनऊ में जुटने वाले हैं। लखनऊ के कांशीराम ईको पार्क में ‘महापंचायत’ का आयोजन किया जा रहा है। इस महापंचायत में किसान संगठन आगे की रणनीति पर विचार करेंगे।

महापंचायत में किसानों की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून की मांग पर जोर दिया जाएगा। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की केंद्र सरकार की घोषणा के बावजूद किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार MSP की गारंटी कानून नहीं लाती तब तक किसान विरोध-प्रदर्शन खत्म नहीं होगा।

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किसानों से अपील

डटे रहेंगे किसान, आंदोलन समाप्त नहीं करने पर बनी सहमति

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने लखनऊ महापंचायत में भारी संख्या में किसानों से आने की अपील की है। उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है, वे नकली एवं बनावटी हैं। इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है। कृषि एवं किसानों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा।”

इसके अलावा किसान संगठनों ये भी कहना है कि लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलने की घटना को लेकर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्तगी तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसानों ने ये भी कहा है कि उन पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं और जिन किसानों की आंदोलन के दौरान मृत्यु हुई है उनके परिवार को आर्थिक मदद दी जाए।

किसानों की मुख्य 6 सूत्रीय मांग हैं जिस पर वे अड़े हुए हैं। उन्‍होंने एक संदेश जारी कर इन मांगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया है। किसानों ने कहा है कि हम भी चाहते हैं कि जल्द-से-जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटे। अगर आप भी यही चाहते हैं तो सरकार उपरोक्त छह मुद्दों पर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे।

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किसानों की 6 सूत्रीय मांग

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  1. खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2 + 50 %) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाए, ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम-से-कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके (स्वयं आपकी अध्यक्षता में बनी समिति ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह सिफारिश दी थी और आपकी सरकार ने संसद में भी इसके बारे में घोषणा भी की थी) ।
  2. सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020 / 2021’ का ड्राफ्ट वापस लिया जाए (वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था) ।
  3. ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021’ में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए। (इस साल सरकार ने कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए लेकिन सेक्शन-15 के माध्यम से फिर किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है) आपके संबोधन में इन बड़ी मांगों पर ठोस घोषणा न होने से किसानों को निराशा हुई है। किसान ने उम्मीद लगाई थी कि इस ऐतिहासिक आंदोलन से न सिर्फ तीन कानूनों की बला टलेगी, बल्कि उसे अपनी मेहनत के दाम की कानूनी गारंटी भी मिलेगी। प्रधानमंत्री जी, पिछले एक वर्ष में इस ऐतिहासिक आंदोलन के दौरान कुछ और मुद्दे भी उठे हैं जिनका तत्काल निपटारा करना अनिवार्य है।
  4. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान ( जून, 2020 से अब तक ) सैकड़ों मुकदमो में फंसाया गया है। इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए।
  5. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी आज भी खुले घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं। वह आपके और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं। उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।
  6. इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंधू बॉर्डर पर जमीन दी जाए। प्रधानमंत्री जी, आपने किसानों से अपील की है कि अब हम घर वापस चले जाए। हम आपको यकीन दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़क पर बैठने का शौक नहीं है। हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटे। अगर आप भी यही चाहते हैं तो सरकार उपरोक्त छह मुद्दों पर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे। तब तक संयुक्त किसान मोर्चा अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखेगा।

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