श्मशान में जगह नहीं मिली तो कॉलोनी में ही कर दिया 45 शवों का दाह संस्कार

श्मशान में जगह नहीं मिली तो कॉलोनी में ही कर दिया 45 शवों का दाह संस्कार

कोरोना से देश में हाहाकार मचा हुआ है। पहल श्मशान में हाद संस्कार के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा था और अब श्मशान में जगह नहीं मिल रही है। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देखने को मिला जहां लाशों से ठसाठस श्मशान घाट के भरे होने का कारण लोगों को रिहायशी कॉलोनी में ही मृतकों का शव जलाना पड़ा।

खबरों के मुताबिक, अंतिम संस्कार के बाद चिता की राख आस-पास के घरों के पास पड़ी देखी गई। लेकिन प्रशासन उस वक्त हरकत में आया जब घटना से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और मामले को लेकर जांच बैठा दी गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि सभी मृतकों को कोरोना संक्रमण था जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी।

एक चैनल से बातचीत में वरिष्ठ फोटो पत्रकार संजीव गुप्ता ने बताया कि यह 15 अप्रैल की बात है। शाम को 40 के आसपास लाशें जल रही थीं। 84 में भी असाइंमेंट (भोपाल गैस त्रासदी का) किया था। पर जितनी भयावहता कल देखी, उतनी कभी न देखी। आदमी अगर वैसा दृश्य देख ले तो नींद न आए।

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इतना ही नहीं कई जगहों पर मृतकों के आंकड़े छुपाने के भी आरोप लग रहे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को भोपाल के दो श्मशान घाटों और एक कब्रिस्तान में 108 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के हिसाब से किया गया, जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उस दिन भोपाल जिले में कोरोना संक्रमण से सिर्फ आठ लोगों की मौत हुई थी।

भोपाल स्थित इन दो श्मशान घाटों और एक कब्रिस्तान के रिकॉर्ड के मुताबिक, बृहस्पतिवार को तीनों जगहों पर कुल 156 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ। इनमें से 108 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक हुआ था।

यह हाल सिर्फ भोपाल में ही नहीं है। कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में भी श्मशान घाटों से डराने वाले चित्र और वीडियो सामने आ रहे हैं। उन्हीं में से एक में 23 लोगों का दाह संस्कार एक साथ किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी का हाल भी बुरा हाल है।

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कोरोना की ट्रेसिंग (पहचानने) के लिए टेस्टिंग बुनियादी टूल या कदम है, फिर भी कई सूबों में लैब्स कोरोना टेस्ट करने से इंकार कर रहे हैं। भोपाल को ही उदाहरण के तौर पर ले लिया जाए तो यहां प्राइवेट लैब्स घर से सैंपल लेना बंद कर चुकी हैं, जबकि आरटीपीसीआर में हफ्तेभर से अधिक की देरी सामने आ रही है। नतीजतन मरीजों को रिपोर्ट के इंतजार में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। और उससे भी बड़ी और खतरनाक ये है कि वे तब तक अनजाने में कई दूसरे लोगों को संक्रमित कर रहे हैं।

श्मशान में जगह नहीं मिली तो कॉलोनी में ही कर दिया 45 शवों का दाह संस्कार

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कालाबाजारी जोरों पर हैं। यहां के अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड की कमी है। Remdesivir और Fabiflu जैसी दवाओं का कालाबाजारी हो रहा है। वहीं, दूसरी तरफ प्राइवेट लैब्स साफ तौर पर आरटी-पीसीआर टेस्ट करने से इंकार कर रहे हैं।

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उल्लेखनीय है कि कुछ पहले लखनऊ के भैंसाकुंड श्मशान घाट में एक साथ जलती चिताओं का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसके बाद अब योगी सरकार भैंसाकुंड श्मशान घाट को कवर करवा रही है ताकि लोग श्मशान में जलती हुई चिताओं की तस्वीरें या वीडियो न बना पाएं।

सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने भैंसाकुंड श्मशान घाट का वीडियो ट्वीट किया है। साथ में उन्होंने लिखा है कि लखनऊ में लाशें छिपाने का सिलसिला शुरू। भैंसाकुंड ढंका जा रहा है ताकि लोग तस्वीरें न ले सकें। मानवता मर गई है।


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