ग्रामीण स्वास्थ्य की रीढ़ 76.1% सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की कमी: रिपोर्ट

ग्रामीण स्वास्थ्य की रीढ़ 76.1% सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की कमी: रिपोर्ट

कोरोना महामारी के दौरान मरीजों की हालत काफी बुरी है। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी कमी है। कई जगहों पर मरीज बाहर सोने को मजबूर हो रहे हैं। बीते 24 घटें के भीतर 2 लाख 17 हजार 353 मामले सामने आए हैं।

कोरोना के इस दूसरी लहर के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हालिया आंकड़ों में ये बात सामने आई है कि देश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में 76.1 फीसदी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को वैसे तो भारत के ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। यह एक 30 बेड का अस्पताल होता है जिसमें चार मेडिकल स्पेशलिस्ट- सर्जन, फिजिशियन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक बच्चों का डॉक्टर शामिल होता है।

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ग्रामीण स्वास्थ्य की रीढ़ 76.1% सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की कमी: रिपोर्ट

लेकिन मंत्रालय का 76.1 फीसदी विशेषज्ञों की कमी वाला रिपोर्ट काफी चौंकाने वाला है। इससे पता चलता है कि भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत कितनी खराब है। इस आंकड़े से पता लगता है कि कोरोना काल में लोगों का ईलाज किन हालातों में हो रहा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बीते बुधवार को ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट जारी किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे 5,183 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 76.1 फीसदी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है।

रिपोर्ट के अनुसार, “मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जरूरत की तुलना में 78.9 फीसदी सर्जन, 69.7 फीसदी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, 78.2 फीसदी फिजीशियन और 78.2 फीसदी बच्चों के डॉक्टरों की कमी है।”

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ग्रामीण स्वास्थ्य की रीढ़ 76.1% सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की कमी: रिपोर्ट

अपनी रिपोर्ट में मंत्रालय ने ये भी कहा है ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी में विशेषज्ञों की कुल स्वीकृत पद की तुलना में 63.3 फीसदी पद खाली पड़े हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, “सीएचसी में विशेषज्ञों की वर्तमान स्थिति बताती है कि 31 मार्च, 2020 तक स्वीकृत पदों में से 68.4 प्रतिशत सर्जन, 56.1 प्रतिशत प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, 66.8 प्रतिशत फिजिशियन और 63.1 प्रतिशत बाल रोग विशेषज्ञ के पद खाली हैं।”

रिपोर्ट में बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे केंदों पर 5,183 फिजिशियन की जरूरत है, जिसमें 3,331 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह इन स्वास्थ्य केंदों में 5,183 सर्जन और 5,183 प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की जरूरत है, लेकिन इन श्रेणियों में 4,087 और 3,611 पद खाली हैं।

कमाल की बात ये है कि ज्यादातर खाली पद उन राज्यों में जहां कि सरकार हर दिन नए-नए दावे करती है। ऐसे राज्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्था, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्य शामिल हैं। यही हाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की भी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 24,918 पद में से डॉक्टरों के 8,638 पद खाली हैं।


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