मॉकड्रिल मामले में राज्य की योगी सरकार ने पारस अस्पताल को दिया क्लीन चिट

मॉकड्रिल मामले में राज्य की योगी सरकार ने पारस अस्पताल को दिया क्लीन चिट

उत्तर प्रदेश के आगरा के श्री पारस अस्पताल को मॉकड्रिल मामले में राज्य की योगी सरकार ने क्लीन चिट दे दी है। पिछले दिनों अस्पताल के मालिक का कथित तौर पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें कहते सुना गया हैं कि उन्होंने 27 अप्रैल को पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी थी। जिसके चलते 22 लोगों की मौत हो गई थी।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल को प्रशासन ने सीज कर दिया था और एक जांच टीम गठित की थी। अब जांच के बाद जांच टीम ने अस्पताल को क्लीन चिट दे दिया है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीजों की मॉक ड्रिल की वजह से नहीं हुई थी।

जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “सभी मरीजों की मौत गंभीर हालत या गंभीर कोमोर्बिडिटी की वजह से हुई है।” रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 में से 14 मरीजों को कोमोर्बिडिटी थी। बाकी दो मरीजों में एचआरसीटी सीवियर्टी स्कोर (फेफड़ों में संक्रमण) और इंफ्लेमेटरी इंडिकेटर ज्यादा थे।

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रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “सभी मरीजों का इलाज कोविड प्रोटोकॉल के तहत हो रहा था और सबूत देखने के बाद पता चलता है कि किसी भी मरीज की ऑक्सीजन सप्लाई बंद नहीं हुई थी।” आश्चर्यजनक बात ये कि रिपोर्ट में सभी मरीजों के मौतों की वजह एडवांस्ड डिजीज और कोमोर्बिडिटी बताई गई।

मॉकड्रिल मामले में राज्य की योगी सरकार ने पारस अस्पताल को दिया क्लीन चिट

वहीं, 16 में से करीब सात मरीजों के परिजन पहले ही शिकायत कर चुके हैं कि उन्हें रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, जांच अधिकारियों ने पाया कि 25 अप्रैल को अस्पताल को 149 ऑक्सीजन सिलिंडर दिए गए थे और 20 रिजर्व में थे। 26 अप्रैल को 121 सिलिंडर दिए गए और 15 रिजर्व में थे।

रिपोर्ट में अस्पताल के मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन के हवाले से कमेटी ने कहा, “ऑक्सीजन स्टॉक वहां भर्ती मरीजों के लिए पर्याप्त था। ये एकदम गलत है कि मरीजों की मौत हुई। ऑक्सीजन सप्लाई काटकर कोई मॉक ड्रिल नहीं हुई। किसी की ऑक्सीजन नहीं काटी गई और इसका कोई सबूत नहीं है। ये अफवाह भ्रामक है वरना 26 अप्रैल की सुबह 7 बजे 22 मौतें होती।

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अस्पताल मालिक अरिंजय जैन जांच कमेटी को बताया है, “अस्पताल में ऑक्सीजन थी लेकिन भविष्य में सप्लाई को लेकर दिक्कत थी। ऑक्सीजन का आकलन ही मॉक ड्रिल थी। हमने हाइपोक्सिया के लक्षण और ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल मॉनिटर किया ताकि अगर ऑक्सीजन सप्लाई सीमित हो जाए तो कैसे काम चलाया जाए इसका आकलन किया जा सके।”

जैसा कि मालूम है कि वायरल वीडियो में अस्पताल के मालिक डॉ. अरिंजय जैन ने पांच मिनट तक मरीजों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई रोकने का दावा किया था। हालांकि, सरकार की जांच में इस जानकारी को सही नहीं पाया गया है, जिसके बाद पारस अस्पताल को क्लीन चिट दे दी है।


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