ब्रिटेन की संसद में उठा गुजरात दंगों का मुद्दा, मारे गए 3 ब्रिटिश नागरिकों के अवशेष वापस मांगे

ब्रिटेन की संसद में उठा गुजरात दंगों का मुद्दा, मारे गए 3 ब्रिटिश नागरिकों के अवशेष वापस मांगे

गुजरात दंगा के 20 साल पूरे होने के ठीक पहले उससे जुड़ा एक मुद्दा ब्रिटेन की संसद में उठाया गया है। यूके के लेबर पार्टी की सांसद किम लीडबीटर ने बुधवार को कहा कि इन दंगों में तीन ब्रिटिश नागरिकों की मौत हो गई थी और भारत को उनके अवशेष लौटा देने चाहिए।

किम लीडबीटर ने कहा कि यूके सरकार को भारत के सामने यह मुद्दा रखा चाहिए और पूछना चाहिए कि उनकी मौत किन परिस्थितियों में हुई थी। सांसद किम लीडबीटर योर्कशायर के बैटली और स्पेन से सांसद हैं।

वहीं, विदेश मंत्री अमांडा मिलिंग ने कहा कि ब्रिटिश सरकार भी मृतकों के अवशेषों की मांग को सपोर्ट करेगी। ब्रिटिश संसद में हुई इस चर्चा पर प्रतिक्रिया देते हुए वहां के भारतीय उच्चायोग ने कहा कि इस बारे में जानकारी ली गई है। हालांकि, मृतकों के परिवारों ने अब तक इस बारे में संपर्क नहीं किया है।

भारतीय उच्चायोग में प्रभारी विश्वेस नेगी ने बताया कि जिस सांसद ने संसद में यह मुद्दा उठाया है उसने कभी उच्चायोग से संपर्क नहीं किया। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिवार ने भी इस तरह की सूचना या मांग नहीं की।

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अपने भाषण के दौरान, एमपी लीडबीटर ने 2002 में तीन ब्रिटिश व्यक्तियों और उनके भारतीय ड्राइवर की मौत की घटनाओं को याद किया। ब्रिटेन के तीन नागरिकों में से दो दाऊद परिवार से थे जो उनके निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित थे।

ब्रिटिश संसद में उठा गुजरात दंगों का मुद्दा, मारे गए अपने 3 नागरिकों के अवशेष मांगे

अपने भाषण के दौरान, एमपी लीडबीटर ने 2002 में तीन ब्रिटिश व्यक्तियों और उनके भारतीय ड्राइवर की मौत की घटनाओं को याद किया। ब्रिटेन के तीन नागरिकों में से दो दाऊद परिवार से थे जो उनके निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित थे।

किम लीडबीटर ने बताया कि 28 फरवरी, 2002 को चार पर्यटक ताजमहल देखने के बाद वापस जा रहे थे। उनके नाम शकील और सईद दाऊद, उनका 18 साल का भतीजा इमरान और उनके बचपन का दोस्त मोहम्मद असवत था। उनके गुजरात राज्य की सीमा पार करने के कुछ ही देर बाद, उनकी जीप को एक सड़क पर रोक दिया गया।

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भीड़ ने उनका धर्म जानने के लिए उनके गाड़ी को घेर लिया। उन्होंने जवाब दिया कि वे मुस्लिम हैं और ब्रिटिश नागरिक हैं। उन्होंने ये भी बताया कि वे छुट्टियों पर भारत घूमने आए हैं। इसके बाद हुई हिंसा में शकील, सईद, मोहम्मद और उनके ड्राइवर मारे गए।

लेकिन चमत्कारिक रूप से इमरान दाऊद बच गए और वह आज हमारे साथ है। उसकी गवाही से ही हमें पता चलता है कि क्या हुआ था। वह सईद और शकील को याद करते है कि वे अपनी जान बख्शने की गुहार लगा रहे थे।

ब्रिटिश संसद में उठा गुजरात दंगों का मुद्दा, मारे गए अपने 3 नागरिकों के अवशेष मांगे

किम ने पूछा कि आज जो कुछ भी कहा या किया जाता है क्या वह शकील, सईद या मोहम्मद को वापस ला सकता है? लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि दाऊद परिवार को सांत्वना देने के लिए कुछ नहीं किया जाए। इससे उन्हें बहुत दु:ख होता है कि उनके तीन नौजवानों के अवशेष उन्हें कभी वापस नहीं किए गए।

किम लीडबीटर ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि इसलिए मैंने मंत्री से इस बात की जानकारी लेने के लिए कहा कि भारतीय अधिकारियों से पूछें कि क्या अवशेषों का प्रत्यावर्तन संभव है। और यदि हां, तो यह यथाशीघ्र होना चाहिए। उन्होंने इस देश में जांच किए जाने की संभावना के बारे में भी पूछा है और कहा कि एक अनुरोध जो मैंने कोरोनर के पास भेज दिया है।”

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किम लीडबीटर के जवाब में विदेश कार्यालय मंत्री अमांडा मिलिंग ने कहा, “हमने 2002 से ब्रिटिश पीड़ितों के परिवारों को वाणिज्य दूत संबंधी सहायता प्रदान की है और हम आवश्यकतानुसार सहायता प्रदान करना जारी रखेंगे। मैं स्वीकार करती हूं कि परिवारवाले महसूस करते हैं कि उनके प्रियजनों के अवशेष उन्हें वापस नहीं किए गए हैं। हमें परिवारों के कानूनी प्रतिनिधि द्वारा सलाह दी गई है कि अवशेषों को वापस करने के लिए भारत में अदालत में एक आवेदन किया गया है और हम एक बार इस आवेदन का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।”

अमांडा मिलिंग ने कहा कि दुनियाभर में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, “सबसे पुराने लोकतंत्रों में से एक ब्रिटेन और भारत के बीच गहरा संबंध है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 2002 में गुजरात में हुई हिंसा की घटना गंभीर और दु:खद थी। यह धार्मिक समुदायों के बीच सम्मान और सद्भाव की दिशा में लगातार काम करने की आवश्यकता का एक गंभीर अनुस्मारक है, जो हमारे दोनों लोकतंत्रों द्वारा साझा किया गया एक मुद्दा है।”

उन्होंने सदन को याद दिलाया कि भारत में विविधता की एक मजबूत परंपरा है और ब्रिटेन, भारत को अपने मजबूत संविधान में गारंटीकृत सभी स्वतंत्रता और अधिकारों को बनाए रखने के तौर पर देखता है। उन्होंने भारत के साथ ब्रिटेन के संबंधों के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि भारत एक रणनीतिक भागीदार और ‘दुनिया की फार्मेसी’ है।

उन्होंने कहा, “भारत यूके के इंडो-पैसिफिक झुकाव का केंद्र है और दोनों सरकारें रिश्ते को मजबूती से मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने हाल ही में व्यापक ब्रिटेन-भारत मुक्त व्यापार समझौते के लिए वार्ता शुरू की है। भारत विश्व की फार्मेसी है और टीकों तक वैश्विक पहुंच का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हम अपने लोकतांत्रिक मानकों को बनाए रखने के लिए मिलकर काम करेंगे। हम भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

ब्रिटिश संसद में उठा गुजरात दंगों का मुद्दा, मारे गए अपने 3 नागरिकों के अवशेष मांगे

भारतीय उच्चायोग ने बताया कि यूके की संसद में चर्चा में वक्ताओं ने स्वीकार किया था कि गुजरात दंगों के संबंध में 2002 के बाद से, कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बारीकी से पर्यवेक्षण किया गया है।

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वहीं, भारतीय राजनयिक विश्वेश नेगी ने कहा, “यह सर्वविदित है कि लगातार भारतीय सरकारों के तहत, घटनाओं की जांच के लिए लगातार संसदीय निरीक्षण और न्यायिक पर्यवेक्षण होता रहा है और भारत की संसद में स्वतंत्र बहस और चर्चा हुई है। एक परिपक्व लोकतंत्र की तरह, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल की रिपोर्ट को पूरी तरह से सार्वजनिक किया गया है।”

उन्होंने आगे कहा कि भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा कामकाजी लोकतंत्र है, बल्कि यह विविधता में एकता की अनूठी मिसाल भी पेश करता है। हमारे आंतरिक कानून और विदेश नीति भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों द्वारा निर्देशित हैं और यह हमारे लोगों को हमारी विधायिका और न्यायपालिका सहित लोकतांत्रिक रूप से और हमारे अपने लोकतांत्रिक संस्थानों के भीतर अपनी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम बनाता है।

उल्लेखनीय है कि जब गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए तब देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। दंगे राज्य में तीन दिनों तक चले थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दंगों में कुल 1044 लोग मारे गए, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। हालांकि, वास्तविक आंकड़े इससे कहीं अधिक बताए जाते हैं।


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