जब रामप्रताप सिंह को दफना दिया गया और नसीर अहमद को चिता पर लेटा दिया गया

जब रामप्रताप सिंह को दफना दिया गया और नसीर अहमद को चिता पर लेटा दिया गया

कोरोना काल में अजीबो-गरीब खबरें आ रही हैं। पिछले दिनों अभिनेता इरफान खान की फिल्म ‘कारवां’ की कहानी जैसी एक घटना हुई। एक अस्पताल में दो लोगों की मौत हुई। अस्पताल प्रशासन ने लापरवाही में बिना शवों की जांच किए एक-दूसरे के परिवार को शव थमा दिए। अपनी रीति-रिवाज के मुताबिक, मुस्लिम परिवार ने शव को दफन कर दिया। लेकिन हंगामा तब खड़ा हो गया जब हिंदू परिवार ने दाह-संस्कार शुरू किया। तब हकीकत सामने आई।

दरअसल, यह घटना मुरादाबाद के कॉसमॉस अस्पताल में पेश आई जहां 19 अप्रैल को दो लोगों की मृत्यु कोरोना संक्रमण के कारण हो गई। बरेली के डेलापीर निवासी रामप्रताप सिंह और रामपुर के मोहल्ला शहीद खां निवासी नसीर अहमद को 16 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दोनों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। नाजुक स्थिति होने के चलते दोनों मरीजों आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन इत्तेफाक से दोनों ने 19 अप्रैल की शाम को दम तोड़ दिया। कोरोना प्रोटोकॉल के मुताबिक, दोनों के शव को सील कर परिजनों को सौंप दिया गया।

खैर, रामगंगा विहार स्थित मोक्षधाम पर मंगलवार को रामप्रताप का अंतिम संस्कार करने की तैयारी की जा रही थी। लेकिन जब उनके बेटे सिद्धार्थ ने शव की सील खोलकर देखी तो हक्के-बक्के रह गए। उन्होंने देखा कि शव उनके पिता का नहीं है। फिर परिजनों ने शव को चिता से उठा लिया और मोक्षधाम में हंगामा शुरू कर दिया। मौके पर पुलिस को बुलाया गया। इसका बाद अस्पताल प्रशासन से संपर्क साधा गया। फिर परिजन रामप्रताप के शव को लेकर अस्पताल पहुंच गए और खुब हंगामा किया। पुलिस ने किसी तरह उन्हें शांत कराया।

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देर शाम होते-होते मामला आगे बढ़ा और नसीर अहमद के परिजनों से पूछताछ की गई। फिर उनके परिवारवालों ने बताया कि उन्होंने अपने पिता को चक्कर की मिलक स्थित कब्रिस्तान में दफन कर दिया है। तब उन्हें जानकारी दी गई कि उनके पिता के स्थान पर दूसरा शव उन्हें गलती से दे दिया गया है। वह जिसे दफन कर गए हैं वह रामप्रताप का शव था। जबकि नसीर अहमद का शव अभी मुरादाबाद में है।

पुलिस जानकारी इस बात की पड़ताल करने के बाद रामप्रताप के परिजनों के साथ कब्रिस्तान गई और वहां दफन किए गए शव को निकाला गया। फिर नसीर अहमद के परिजनों को भी फोन कर बुलाया गया। मंगलवार रात परिजन रामप्रताप का शव मोक्षधाम ले गए और अंतिम संस्कार कर दिया गया। जबकि नसीर के शव को चक्कर की मिलक स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया गया है।

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मुरादाबाद के डीआईजी ने शलभ माथुर ने बताया, “मामला संज्ञान में आने पर शवों की अदला-बदली करा दी गई है। दफन किए गए शव को कब्रिस्तान से निकलवाकर रामप्रताप के परिजनों और नसीर का शव उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। इस मामले में कोई तहरीर नहीं मिली है। परिजन यदि तहरीर देंगे तो उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।”

दूसरी तरफ कॉसमॉस हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने सफाई देते हुए कहा, दोनों के शव ले जाने के लिए एंबुलेंस खड़ी थी। कोरोना संक्रमित होने से दोनों शव पूरी तरह ढके हुए थे। मानवीय चूक से दोनों शव बदल गए। हालांकि, शव ले जाने से पहले स्टाफ उनकी शिनाख्त कराते हैं। परिजनों की पहचान के बाद शव सौंपा जाता है।”


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