मोबाइल-लैपटॉप भले न हो पर इनके पास मंदिर का लाउडस्पीकर है, ऐसे पढ़ाते हैं भीम महतो

मोबाइल-लैपटॉप भले न हो पर इनके पास मंदिर का लाउडस्पीकर है, ऐसे पढ़ाते हैं भीम महतो

देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के कारण पिछले एक साल से स्कूल बंद है। सभी बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के पास सुविधा न होने के कारण बच्चों की पढ़ाई थम गई है। ऑनलाइन क्लास के लिए ग्रामीण इलाकों में बच्चों के पास मोबाइल या फिर लैपटॉप नहीं है।

ग्रामीण क्षेत्रों में तो बिजली की भी सुविधा ठीक से नहीं होती फिर मोबाइल और लैपटॉप की बात तो बहुत दूर है। ऐसे में एक शिक्षक ने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए जो काम किए हैं उसकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है। शिक्षक ने गांव में जगह-जगह दीवारों पर हिंदी-इंग्लिश की वर्णमाला लगा दी है। यही नहीं उन्होंने गांव के मंदिर में लगे लाउडस्पीकर के जरिए बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

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दरअसल, झारखंड के बोकारो जिला के चंद्रपुरा प्रखंड की पपलो पंचायत के तहत आने वाले जुनौरी गांव के सरकारी शिक्षक भीम महतो ने यह पहल की है। देश में लॉकडाउन लगने के बाद से ही सभी विद्यालय बंद हो गए। स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई रुक गई थी। तब से भीम महतो बच्चों को फ्री में पढ़ा रहे हैं। वे अपने खर्च पर बच्चों को कॉपी, पेन, मास्क, सैनिटाइजर देते हैं। साथ ही बिस्कुट भी देते हैं। ताकि बच्चे पढ़ें। भीम ने सबसे पहले घटियारी पंचायत के मंगलडाडी गांव में बसे बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।

मोबाइल-लैपटॉप भले न हो पर इनके पास मंदिर का लाउडस्पीकर है, ऐसे पढ़ाते हैं भीम महतो

लेकिन एक ही वक्त में सभी बच्चों को पढ़ा पाना मुश्किल था। फिर भीम को गांव के मंदिर में लगे लाउडस्पीकर का ख्याल आया और फिर उन्होंने लाउडस्पीकर पर पढ़ाना शुरू किया।भीम लाउडस्पीकर पर बोलते हैं और बच्चे दीवारों पर बनी वर्णमाला के पास बैठकर उनके साथ दोहराते हैं।

इस संबंध में गांव के गोपाल गिरी और चंद्रिका गिरी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सभी बच्चे पढ़ाई से दूर होते जा रहे थे। भीम महतो ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिर परिसर में लगे लाउडस्पीकर से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इससे बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकी।

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वहीं भीम महतो ने कहा, “कोरोना काल में बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। इसे देखते हुए मैंने गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। लॉकडाउन के वक्त स्मार्टफोन से ऑनलाइन पढ़ाई की बात कही गई। गांव में ऐसे कई बच्चे हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है। ऐसे में मैंने सोचा कि इन्हें पढ़ाने के लिए मंदिर के लाउडस्पीकर की मदद ली जाए।”

उन्होंने आगे कहा, “इससे पहले मैंने गांव में कई जगह हिंदी-इंग्लिश वर्णमाला, फ्रूट नेम, वेजिटेबल नेम जैसे चार्ट लगाए। लाउडस्पीकर से पढ़ाने के बाद मैं कुछ बच्चों से फोन पर बात कर चेक करता हूं कि जो पढ़ाया वह उन्होंने लिखा है या नहीं। मेरी क्लास में पहली, दूसरी और तीसरी के 30-35 बच्चे होते हैं। मंदिर से करीब आधा किलोमीटर के अंदर बच्चों को ठीक से मेरी आवाज सुनाई देती है।” बहरहाल, भीम महतो जिस तरह से बच्चों को पढ़ाने में जुटे हैं वो काबिल-ए-तारीफ है।


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