यमुना नदी में दर्जनों लाशें तैरता देख मचा हड़कंप, UP सरकार के हाथ-पाँव फूले

यमुना नदी में दर्जनों लाशें तैरता देख मचा हड़कंप, UP सरकार के हाथ-पाँव फूले

कोरोना से उत्तर प्रदेश में हालात दिन-ब-दिन खराब होते जा रहे हैं। अब महामारी गांवों में भी धीरे-धीरे पैर पसारता जा रहा है। ये सिर्फ उत्तर प्रदेश के हालात नहीं हैं। राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ इलाके के खीरवा गांव में पिछले 15 दिनों में 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इसी प्रकार हरियाणा और उत्तर प्रदेश के चार 4 गांवों में 100 से अधिक लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने की खबर है।

उसी तरह से यूपी के हमीरपुर जिले से ऐसी ही दर्दनाक तस्वीरें सामने आई हैं जिसे देख प्रशासन की हाथ-पाँव फूल गए हैं। यहां यमुना नदी में एक साथ कई शवों को उतरता हुआ देखा गया। बताया जा रहा है कि गांव वाले अग्निदाह करने के बजाय शवों को सीधे यमुना में प्रवाहित कर रहे हैं।

दरअसल, शुक्रवार को यमुना नदी में अचानक से काफी सारे शवों को तैरता हुआ जिसके बाद इलाके में हड़कंप मच गई। इसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। जब हमीरपुर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि कानपुर और हमीरपुर जिलों के ग्रामीण इलाकों में बड़ी तादाद में लोगों की मृत्यु हो रही है। सभी शवों को ग्रामीणों द्वारा यमुना में ही प्रवाहित किया जा रहा है।

यमुना नदी में दर्जनों लाशें तैरता देख मचा हड़कंप, UP सरकार के हाथ-पाँव फूले

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हमीरपुर के अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अनूप कुमार सिंह ने इस बारे में बताया, “जब उनके प्रभारी मौके पर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि ट्रैक्टर में दो शवों को लाया गया था और फिर उन्हें यमुना में बहा दिया गया।” पुलिस के मुताबिक, इतना ही उन्हें नदी में और भी कई सारे शव बहते हुए मिले।

नदी में शवों को बहाते हुए दो स्थानीय बच्चों ने भी था। चश्मदीद बच्चों का कहना है कि उनके सामने ही कई शवों को यमुना में प्रवाहित किया गया। बच्चों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में कई शवों को ऐसे ही लाया जाता है और फिर यमुना में बहा दिया जाता है।

मिली जानकारी के अनुसार, हमीरपुर जिले में बहने वाली यमुना नदी का उत्तरी किनारा कानपुर में लगता है। और दक्षिणी किनारा हमीरपुर में लगता है। यानी की यमुना नदी कानपुर और हमीरपुर जिलों की सीमा रेखा के रूप में बहती है।

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उल्लेखनीय है कि कानपुर और हमीरपुर जिले के लोग यमुना नदी को मोक्षदायिनी कालिंदी के रूप में मानते हैं और मत्यु होने पर इसी यमुना में जल प्रवाहित किए जाने की पुरानी परंपरा रही है। पहले भी यमुना नदी में इक्का-दुक्का शव तो हमेशा बहते देखा जाता रहा है, लेकिन कोरोना काल में इस नदी में शवों की बाढ़ आ गई है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण इलाकों में कितनी बड़ी तादाद में लोगों की मौत हो रही है।

आज तक की एक एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब यहां खेती करने वाली जमीनों को ही श्मशान घाट में तब्दील किया जा रहा है और वहां पर शवों का दाह संस्कार कर दिया जा रहा है। लेकिन ये वे मौतें हैं जिनका सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है और न ही इन्हें कहीं दर्ज करवाया जाता है। ऐसे में गांव में स्थिति बद-से-बदतर होती जा रही है और व्यवस्था के नाम पर कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा।


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