शहाबुद्दीन की मौत के बाद RJD में राजनीतिक भूचाल, इस्तीफे का दौर शुरू

शहाबुद्दीन की मौत के बाद RJD में राजनीतिक भूचाल, इस्तीफे का दौर शुरू

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कद्दावर नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद राजनीति भूचाल आ गया है। 1 मई को मौत होने के बाद सोमवार को यानी तीन दिन बाद शहाबुद्दीन को दिल्ली गेट कब्रिस्तान में सपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। हालांकि, उनके परिजन और समर्थक उनका अंतिम संस्कार उनके गांव सीवान में करना चाहते थे। लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल का हवाला देकर उनको दिल्ली में ही दफन कर दिया गया। इससे बिहार के मुसलमान खासे नाराज हैं।

लोगों का कहना है कि जिस लालू यादव परिवार के लिए शहाबुद्दीन के लिए अपना जीवन गवां दिया वे उनके जनाजे तक में नहीं पहुंचे। हालांकि, उनकी बेटियां और बेटे दफन किए जाने वाले दिन दिल्ली में ही मौजूद थे। सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड में मुसलमानों के बीच जिस तरह से राजद विरोधी उबाल आया है उससे पार्टी के हाथ पैर फुल गए हैं।

यही वजह है कि कल लालू यादव के बड़े बेटे ने भी ट्वीट पर कहा कि उनका परिवार शहाबुद्दीन के परिवार के साथ खड़ा है। उन्होंने लिखा, “ओसामा हमारा छोटा शहाबुद्दीन है। शहाबुद्दीन के पूरे परिवार के साथ मैं तेज प्रताप यादव और राजद परिवार इस दु:ख की घड़ी में साथ है और आजीवन रहेंगे। विपक्षियों द्वारा हमलोगों की एकता को तोड़ने के गलत भ्रांति फैलाया जा रहा है लेकिन वो अपने मंसूबे में कभी कामयाब नही होंगे।”

कई लोगों ने इस पर हैश टैग गद्दार आरजेपी लगाकर लिखा कि शहाबुद्दीन साहेब के साथ लालू परिवार ने बड़ी गद्दारी की है। हमने देखा जिस दिल्ली में साहेब के बेटे सिस्टम से अकेले लड़ रहे थे, उसी दिल्ली में राजद के कई सांसद, राज्यसभा सांसद, लालू यादव की बेटी मीसा भारती, मनोज झा वगैरह वगैरह मौजूद थे, पर कोई भी पलटकर अस्पताल के बाहर देखने तक नहीं गया।

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जब कल मामल बढ़ता राजद ने देखा तो उसने सारण जिले ट्विटर हैगल से लिखा, “विचारधारा और इरादों की सौदेबाजी राजद में नहीं होती! मरहूम मो. शहाबुद्दीन जी के परिवार के साथ राजद हमेशा खड़ा रहा है और रहेगा!” साथ में तेजस्वी यादव के बयानों की अखबार कटिंग भी शेयर की। लेकिन मामला सुधरने के बजाए बिगड़ता ही जा रहा है। जिला स्तर और पंचायत स्तर के कार्यकर्ताओं का इस्तीफे का सिलसिला जारी है।

छोटे कार्यकर्ताओं के आलावा अब बड़े मुस्लिम नेताओं ने भी राजद का विरोध करते हुए इस्तीफा दिया है। बीते दिन राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष सलीम परवेज ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से पार्टी में और अधिक खलबली मच गई है। बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति रह चुके सलीम परवेज ने अपने इस्तीफे को लेकर बयान भी जारी किया है। उन्होंने शहाबुद्दीन के प्रति पार्टी के रवैये से आहत होकर न सिर्फ पार्टी उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया है, बल्कि राजद से भी खुद को अलग कर लिया है।

परवेज ने पार्टी के खुद को अलग करने को लेकर कहा, “मोहम्मद शहाबुद्दीन से मेरा व्यक्तिगत संबंध था, वे मेरे अच्छे मित्र व भाई समान थे। उनके निधन से मर्माहत व स्तब्ध हूं।” उन्होंने कहा, “मोहम्मद शहाबुद्दीन पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे। पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई, राजद के लिए समर्पित नेता रहे लेकिन उनके बीमार पड़ने, तिहाड़ में घटी घटनाओं, एम्स की जगह प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने, मृत्यु के बाद सस्पेंस बनाने, पार्थिव शरीर देने में आनाकानी करने को लेकर पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं की तरफ से चुप्पी साध ली गई जो कि बेहद निराश करनेवाला था।”

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पूर्व सभापति ने कहा कि पार्टी के किसी नेता ने शहाबुद्दीन के निधन के बाद भी शहाबुद्दीन के बेटे को कोई सहयोग नहीं दिया, न सांत्वना दी। उन्होंने कहा कि अपने सच्चे सिपाही, संस्थापक सदस्य और उसके परिवार के प्रति ऐसी उपेक्षा आपत्तिजनक है, ऐसे में इस पार्टी के साथ अब चलना संभव नहीं है। इसी क्रम में नवादा जिला अध्यक्ष कमरुल बारी ने भी राजद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि शहाबुद्दीन जैसे शख्सियत के लाश को उनके जन्मभूमि सीवान नहीं लौटा पाए तो हमलोगों के क्या अहमियत है।

शहाबुद्दीन की मौत के बाद RJD में राजनीतिक भूचाल, इस्तीफे का दौर शुरू

बिहार ही नहीं झारखंड में भी इस्तीफे का सिलासिला शुरु हो गया है। बरकट्ठा से राजद गठबंधन के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके खालीद खलील ने राजद से अपना नाता तोड़ लिया है। उन्होंने लिखा है कि मैं शहाबुद्दीन के प्रति हुए व्यवहार के आहत हूं और पार्टी से इस्तीफी दे रहा हूं। उन्होंने लिखा फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि देश में साम्प्रदायिक शक्तियों और मौकापरस्त दलों से अपना और अपने समर्थकों का संघर्ष जारी रहेगा! खालीद के अलावा कुछ कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी छोड़ने की बात कही है।

हालांकि, राजद ने पहले ही माहौल को भांप लिया था। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन के अंतिम संस्कार के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपना सफाइनामा सबके सामने पहले रखा दिया था। अपनी सफाई में तेजस्वी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव और उन्होंने खुद सरकार और स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई, खूब दवाब भी बनाया लेकिन सरकार कोरोना प्रोटोकॉल का हवाला देकर सीवान ले जाने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने सरकार की हठधर्मिता को जिम्मेदार ठहराया। यही नहीं उन्होंने अपनी सफाई में ये भी कहा कि स्थानीय प्रशासन मोहम्मद शहाबुद्दीन को आईटीओ के बजाए किसी दूसरे कब्रिस्तान में दफनाना चाहती थी। लेकिन ‘उन्होंने’ दिल्ली के कमिश्नर से खुद बातकर दिल्ली आईटीओ कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक की अनुमति दिलाई।


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