नरसिंहानंद सरस्वती उर्फ दीपक त्यागी के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई, SDM के पास अटकी फाइल

नरसिंहानंद सरस्वती उर्फ दीपक त्यागी के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई, SDM के पास अटकी फाइल

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में स्थित डासना स्थित देवी मंदिर बीते कुछ दिनों से लगातार विवादों में बना हुआ है। इसके मुख्य वजह हैं वहां के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती। अब नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने गुंडा एक्ट तरह कार्रवाई शुरू कर दी है।

यति नरसिंहानंद सरस्वती पर आरोप है कि उन्होंने मारपीट, हत्या का प्रयास और महिलाओं के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है। सहायक पुलिस अधीक्षक व क्षेत्राधिकारी सदर आकाश पटेल ने बताया कि मंदिर परिसर में आए दिन तरह-तरह के बवाल हो रहे हैं।

उन्होंने बताया कि एक अस्थाई पुलिस की टुकड़ी जिले की कानून-व्यवस्था से हटाकर मंदिर में अराजकता रोकने के लिए तैनात की गई है, लेकिन हालात नियंत्रण से बाहर जाने की स्थिति में महंत के खिलाफ गुंडा एक्ट की कार्रवाई शुरू की गई है। पटेल ने बताया कि फाइल तैयार कर एसडीएम सदर को भेज दिया गया है, पर एसडीएम की मंजूरी नहीं मिलने से कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है।

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गाजियाबाद के एसएसपी पवन कुमार कहा, ”यति नरसिंहानंद लगातार कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन रहे हैं। मंदिर में वह चेकिंग करने नहीं देते और कुछ भी विवाद होता है तो पुलिस पर आरोप लगाते हैं। वह गुंडा एक्ट की कार्रवाई के लिए योग्य हैं इसलिए कार्रवाई शुरू हुई है।”

एसडीएम सदर डी।पी। सिंह ने बताया, ”पुलिस की ओर से गुंडा एक्ट लगाने संबंधी एक फाइल आई है, लेकिन अभी उस फाइल को देख नहीं पाया हूं। इस मामले में एसडीएम को कई खास भूमिका नहीं होती। जल्द ही फाइल देखकर अग्रिम कार्रवाई के लिए बढ़ा दी जाएगी।”

कौन है नरसिंहानंद सरस्वती उर्फ दीपक त्यागी?

पूर्व बीजेपी एमपी स्वर्गीय बैकुंठ लाल शर्मा के साथ यति नरसिंहानंद सरस्वती, दीपक सिंह हिन्दू और गिरिराज सिंह (फोटो क्रडिट- सोशल मीडिया)

यति नरसिंहानंद सरस्वती गाजियाबाद के शिव शक्ति धाम डासना मंदिर के महंत हैं। वे पूर्व बीजेपी सांसद बैकुंठ लाल शर्मा को अपना गुरू मानते हैं। उनको अखिल भारतीय संत परिषद का राष्ट्रीय संयोजक भी बताया जाता है। इसके अलावा उनकी तरफ से दावा किया जाता है कि 58 वर्षीय यति नरसिंहानंद सरस्वती का असल नाम दीपक त्यागी है।

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दीपक का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक साधारण परिवार में हुआ था। वह पांच भाई-बहन हैं। पिता सरकारी नौकरी में थे। दावा किया जाता कि यति नरसिंहानंद ने मॉस्को के इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, सन् 1997 में भारत लौट आए। नरसिंहानंद मॉस्को में बिताए अपने दिनों को ‘गोल्डन पीरियड’ कहते हैं।

मीडिया से बात करते हुए उन्होंने एक बार कहा था, “मैंने मॉस्को में रहते हुए रूसियों से बहुत कुछ सीखा। मैंने रूसियों से लड़ना और अपनों के लिए मर-मिटना सीखा है। रूस एक ऐसा देश है जो कभी गुलाम नहीं रहा। जो लोग कभी गुलाम नहीं रहते उनकी और हमारी भावनाओं और सोचने के तरीके में जमीन आसमान का फर्क होता है। हिन्दुओं को आजाद देश के नागरिकों से सीख लेनी चाहिए।

कभी नहीं मिला परिवार का सहयोग

नरसिंहानंद को कभी परिवार की तरफ से सहयोग नहीं मिला। उनकी पत्नी और एक बेटी भी है लेकिन उन सब को छोड़कर उन्होंने साल 2000 के आसपास पहले राजनीति और फिर हिन्दू धर्म के बचाव में लग गए। कुछ दिनों तक वे समाजवादी पार्टी से भी जुड़े रहे। उनका परिवार चाहता था कि राजनीति में जाएं न कि हिन्दू धर्म के बचाव कार्य में।

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बकौल नरसिंहानंद, “मेरा जीवन संघर्ष से भरा रहा। मुझे परिवार की तरफ से किसी तरह से सहयोग नहीं मिला। परिवार ने मेरा बहिष्कार कर दिया। मेरी माँ कुछ दिनों में चल बसी थी। मुझे इतना पढ़ाने के बाद भी मैं साधू बनने की ओर निकल गया। इस बात से मेरी माँ परेशान रहती थी। उन्हें लगता था मैं जो कर रहा हूं वो कोई काम नहीं है।”

मजे की बात है कि आज हिंदू धर्म के झंडाबरदार बने सरस्वती ने मॉस्को से भारत लौटने के बाद छोटी सी राजनीतिक पारी खेली। और वो पारी उन्होंने समाजवादी पार्टी की तरफ से खेली। “सबने मुझे राजनीति में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। उस समय पैसे कमाना उद्देश्य था। समाजवादी पार्टी बाहुबल की राजनीति करती है, इसलिए उसमें चले गए,” सरस्वती कहते हैं।

नरसिंहानंद भाजपा नेता कपिल मिश्रा के साथ  (फोटो क्रडिट- सोशल मीडिया)

नरसिंहानंद सपा छोड़ने को लेकर एकबार कहा था, “जब मैं समाजवादी पार्टी में था तब एक संस्था बनाई थी। हमारे यहां जातिववाद की राजनीति बहुत स्ट्रांग है। अपनी जाति को संगठित करने के लिए हमने एक छोटी-सी संस्था बनाई थी। उसी के माध्यम से मेरी मुलाकात शम्भू दयाल डिग्री कॉलेज की एक लड़की से हुई। तब मुझे लव जिहाद का पता चला। उसकी सहेली ने अपने भाई से उसकी दोस्ती कराई थी। बाद में उस लड़की के साथ बहुत बुरा हुआ। वो लड़की प्रोस्टीट्यूट (वेश्या) बना दी गई थी। यह सब लोग मुसलमान थे।”

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उन्होंने आगे बताया था, “उस लड़की ने मुझे मुसलामानों की कई कहानियां बताई। मुझे विश्वास ही नहीं हुआ। मुझे लगा था कि यह एक वेश्या है इसलिए अपने चरित्र को अच्छा दिखाने के लिए यह सब कह रही है। एक दिन मुझे पता चला उस लड़की ने आत्महत्या कर ली। फिर मैंने उसके पीछे पूरी जांच करने का प्रयास किया।”

फिलहाल, नरसिंहानंद आए दिन इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ विवादित बयान देते रहते हैं। वे देश के राष्ट्रपति और वैज्ञामिक ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को ‘जिहादी’ बता चुके हैं। इसके अलावा, नरसिंहानंद महिलाओं को लेकर कई बार भद्दा टिप्पणी करते हुए भी देखे गए हैं।


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