अमित शाह के कश्मीर दौरे पर महबूबा मुफ्ती और फारूख अब्दुल्ला बोले- सब हालात नॉर्मल दिखाने का नाटक है

अमित शाह के कश्मीर दौरे पर महबूबा मुफ्ती और फारूख अब्दुल्ला बोले- सब हालात नॉर्मल दिखाने का नाटक है

भारत के गृहमंत्री अमित शाह तीन दिवसीय दौरे पर जम्मू और कश्मीर में हैं। आज वे कश्मीर पहुंचें और मारे गए जवानों के परिजनों से मुलाकात की। इसके बाद सुरक्षा एजंसियों के साथ मीटिंग की। लेकिन, उनके घाटी में आने से वहां का राजनीतिक माहौल गरम हो गया है।

अमित शाह के दौरे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने निशाना साधा है। उन्होंने आज शनिवार को कहा कि सरकार सबकुछ सामान्य दिखाने का नाटक कर रही है लेकिन वास्तविकता इससे उलट है।

महबूबा मुफ्ती ने गृहमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि अमित शाह के दौरे से पहले 700 सिविलियन को डिटेन किया गया। कई अपराधियों को कश्मीर की बाहर की जेलों में शिफ्ट किया गया। ऐसे कदम तनाव को और ज्यादा बढ़ाने का काम करते हैं। सबकुछ सामान्य दिखाने की कोशिश लगातार हो रही है, लेकिन असल सच्चाई को सभी दबाना चाहते हैं।

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दूसरी तरफ, अमित शाह ने जिन विकास कार्यों को हरी झंडी दिखाई है, उस पर भी महबूबा ने सवाल खड़ा किया है। राज्य की पूर्व मुख्य का मानना है कि उनकी नजरों में आधे से अधिक वे प्रोजेक्ट हैं जिनका काम यूपीए कार्यकाल के दौरान ही शुरू हो चुका था।

महबूबा ने कहा कि गृहमंत्री श्रीनगर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का उद्घाटन करते हैं, नए मेडिकल कॉलेज की नींव भी रखते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि आधे से ज्यादा मेडिकल कॉलेज को लेकर सेंशन कांग्रेस सरकार के दौरान हो गया था। 370 हटने के बाद से तो सिर्फ परेशानियां बढ़ी हैं, जम्मू-कश्मीर को अराजकता की ओर ढकेल दिया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने इसके बाद अमित शाह को कुछ सुझाव देते हुए कहा कि अगर समय रहते कुछ कैदियों को जेल से रिहा किया जाता, अगर लोगों के उत्पीड़न को खत्म किया जाता, अगर अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने का काम सटीक अंदाज में होता, तो लोगों को सही मायने में राहत मिलती, घाटी का सही में विकास होता।

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उधर, नेशनल कांफ्रेस के प्रमुख और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्र ने उनसे संपर्क किया था। अमित शाह उनसे मिलना चाहते थे। लेकिन उन्होंने मना कर दिया।

अब्दुल्ला ने केंद्रीय गृह मंत्री पर जमकर साधा निशाना। उन्होंने कहा, “मैं सरकार को बताना चाहता हूं कि आप कश्मीर में तब तक शांति नहीं ला पाएंगे जब तक आप धारा 370 को बहाल नहीं करते। यहां सिर्फ हिंदू ही नहीं, मुसलमानों को भी आतंकियों ने मार डाला है।”

फारूक अब्दुल्ला ने इसके बाद कहा, “घाटी में हाल की घटनाएं उन लोगों के लिए आंखें खोलने वाली हैं जो कहते थे कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आतंकवाद खत्म हो जाएगा।” फिर उन्होंने कहा, “माहौल कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए अनुकूल नहीं है।”

उन्होंने कहा कि बीजेपी देश को धर्म के आधार पर बांट रही है। भाजपा उत्तर प्रदेश की स्थिति को भी सांप्रदायिक बना रही है। बातचीत में फारूक अब्दुल्ला ने 900 पत्थरबाजों को हिरासत में लेने का विरोध भी किया। उन्होंने कहा, “हां, सरकार ने मुझसे संपर्क किया। अमित शाह मुझसे मिलना चाहते थे, मैंने मना कर दिया। तब मेरी राजौरी और पुंछ जाने की पहले से योजना थी।”

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अब्दुल्ला ने आज से दो दिन पहले केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि बीजेपी साल 2022 में होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए एक बार फिर नफरत फैलान का काम कर रही है। उन्होंने लोगों से जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ देश को बचाने के लिए नफरत से लड़ने को कहा था।

साथ ही फारूक अब्दुल्ला ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर नफरत बढ़ती रही तो भारत को बिखरने से नहीं रोका जा सकता। उन्होंने ये तक कह दिया कि हिन्दुस्तान के इतने टुकड़े होंगे कि इसे रोका नहीं जा सकेगा।

उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि हमें सांप्रदायिकता से लड़ना है और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बनाई जा रही नफरत की दीवार को गिराना है। इस नफरत को खत्म करना ही होगा। इसके बिना, न तो भारत बचेगा है और न ही जम्मू-कश्मीर बचेगा। अगर भारत को बचाना है, हमें इस नफरत को खत्म करना पड़ेगा।


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