सरकार के नाक के नीचे मनरेगा में 935 करोड़ का घोटाला, 4 साल के आंकड़े में गड़बड़ी

सरकार के नाक के नीचे मनरेगा में 935 करोड़ का घोटाला, 4 साल के आंकड़े में गड़बड़ी

पिछले चार सालों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की विभिन्न योजनाओं में 935 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी का मामला सामने आया है। ग्रामीण विकास विभाग के तहत सामाजिक लेखा परीक्षा इकाइयों (एसएयू) ने पाया है कि 935 करोड़ रुपये की वित्तीय हेराफेरी की गई है।

द इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा है कि उसने ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रबंधन सूचना प्रणाली से ये आंकड़े प्राप्त किए हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय से प्राप्त डेटा के मुताबिक, पिछले चार सालों में ग्रामीण विकास विभागों (RDD) के तहत भारत भर में मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में 935 करोड़ रुपये की वित्तीय हेराफेरी की गई है।

द इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि उसे प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय से कुछ डेटा मिला है। जिसमें कहा गया है कि हेराफेरी का खुलासा सोशल ऑडिट यूनिट (SAU) ने किया है। डेटा से पता चलता है कि अब तक इस राशि का लगभग 12.5 करोड़ रुपये यानी 1.34 फीसदी ही वसूल की गई है।

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हालांकि, यह डेटा सार्वजनिक डोमेन में मौजूद है। लेकिन लगातार ‘नेटवर्क समस्या’ के चलते इसे एक्सेस करना मुश्किल है। अखबार का कहना है कि कि उसने सरकार में मौजूद एक स्रोत के माध्यम से वित्त वर्ष 2017-18 से वित्त वर्ष 2020-21 तक का डेटा हासिल किया है जिसमें घोटाले की बात सामने आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 में डेटा अपलोड होने के बाद से, बीते चार सालों में कम-से-कम एक बार देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 2.65 लाख ग्राम पंचायतों में सोशल ऑडिट यूनिट किए गए हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2017-18 में मनरेगा के लिए 55,659.93 करोड़ रुपये जारी किए थे और तब से यह राशि हर साल बढ़कर 2020-21 में 1,10,355.27 करोड़ रुपये हो गई है।

2017-18 में योजना पर कुल खर्च 63,649.48 करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 1,11,405.3 करोड़ रुपये हो गया है। सोशल ऑडिट यूनिटसे वित्तीय हेराफेरी का पता लगा है। जिसमें रिश्वतखोरी, और गैर-मौजूद व्यक्तियों और विक्रेताओं को उच्च दरों पर खरीदी गई सामग्री के लिए भुगतान शामिल है।

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तमिलनाडु ने राज्यभर में 12,525 ग्राम पंचायतों में सबसे अधिक 245 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है। जिसके लिए 37,527 ऑडिट रिपोर्ट अपलोड की गईं। इसमें से 2.07 करोड़ रुपये की ही वसूली की गई, जो हेराफेरी की गई कुल राशि का केवल 0.85% है। एक कर्मचारी को कार्यवाही करते हुए निलंबित कर दिया गया है और दो को बर्खास्त किया गया है, लेकिन एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।

आंध्र प्रदेश में 12,982 ग्राम पंचायतें हैं। राज्य में 31,795 सोशल ऑडिट किए गए हैं। यहां 239.31 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई; जिसमें 4.48 करोड़ रुपये की वसूली की गई है, जो हेराफेरी की गई कुल राशि का केवल 1.88% है।

अबतक 14.74 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया और 10,454 कर्मचारियों को चेतावनी दी गई है। इसके अलावा कुल 551 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है और 180 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। तीन एफआईआर नजो दर्ज की गई हैं।

बिहार में 12.34 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। जिसमें 1,593 रुपये वसूले गए। पश्चिम बंगाल में 2.45 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई और 14,802 रुपये वसूल किए गए। वहीं, गुजरात में सिर्फ 6,749 रुपये की हेराफेरी की गई, जिसमें से कुछ भी बरामद नहीं हुआ।


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