24 घंटे में आंदोलन में शामिल 2 किसानों की मौत, मध्य प्रदेश में तीसरे ने लगाया फांसी

24 घंटे में आंदोलन में शामिल 2 किसानों की मौत, मध्य प्रदेश में तीसरे ने लगाया फांसी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तरफ से लाए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर किसानों का आंदोलन जारी है। आज शनिवार को आंदोलन का 38वां दिन है। एक तरफ कड़ाके की ठंड है तो दूसरी किसानों के मौत का आंकड़ा आगे बढ़ रहा है। हर दिन किसी-न-किसी किसान की मौत हो रही है। किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं।

आज शनिवार को यूपी गेट पर किसान आंदोलन में शामिल एक बुजुर्ग किसान ने आत्महत्या कर ली। किसान का शव बाथरूम के अंदर मिला। गुरुमुखी में लिखा एक सुसाइड नोट भी शव के पास से बरामद किया गया है।

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मृतक किसान का नाम कश्मीर सिंह है और वो 57 साल के थे। वह रामपुर के बिलासपुर के रहने वाले थे। उन्होंने सुसाइड नोट में इच्छा जाहिर की है कि उनका अंतिम संस्कार यूपी गेट पर ही किया जाए। मृतक किसान के पुत्र और पोता भी किसान आंदोलन में शामिल हुए हैं।

इससे पहले कल यानी शुक्रवार को आंदोलन में शामिल एक अन्य किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। बीते 24 घंटे में मौत का यह दूसरा मामला है। गौरतलब है कि गुरुवार को किसान संगठनों और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच वार्ता हुई थी। बैठक में दो मुद्दों पर दोनों दलों के बीच बात बनी थी। पहला वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश, 2020 तथा विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 पर बात बनी

हालांकि, किसानों और सरकार के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कानून को वापस लेने की मांग पर सहमति नहीं बनी। अगले दौर की बात 4 जनवरी को होगी। वहीं, किसानों का कहना है कि वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे जब तक उनके मांगों को मान नहीं लिया जाता।

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ऐसा नहीं है कि किसानों की मौत केवल आंदोलन स्थल पर ही हो रहे हैं। मध्यप्रदेश के छतरपुर से 17 किलोमीटर दूर मातगुवां में बुधवार को एक किसान में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। 35 वर्षीय किसान की हाल ही में बिजली विभाग ने कुर्की की थी, क्योंकि वो बिजली बिल समय पर जमा नहीं कर पाया था।

आटा चक्की चलाने किसान ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। नोट में उसने लिखा है, “मेरे मरने के बाद मेरा शरीर शासन को दे दें, ताकि मेरा एक-एक अंग बेच कर सरकार अपना कर्जा चुका ले।”

मृतक किसान के भाई लोकेन्द्र राजपूत ने बताया, “मेरे भाई मुनेंद्र राजपूत ने बुधवार दोपहर लगभग एक बजे अपने खेत पर लगे आम के पेड़ पर फांसी का फंदा डालकर आत्महत्या कर ली। बिजली बिल साल भर से न भरने की वजह से बिजली विभाग ने कुर्की वारंट जारी कर सोमवार को उसकी चक्की और मोटरसाइकिल जप्त कर लिया। उन्हें अपमानित किया गया। वह निवेदन करते रहे कि कुछ वक्त दे दो पर उनकी एक नहीं सुनी गई।”

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लोकेन्द्र राजपूत ने आगे कहा, “कोविड-19 के लिए मार्च में लगे लॉकडाउन एवं इस लॉकडाउन के खुलने के बाद मुनेंद्र को चक्की से पर्याप्त आमदनी नहीं हो रही थी। खरीफ की फसल हुई नहीं थी और गुजारा करने के लिए वह चक्की चलाते थे। इस वर्ष चक्की बहुत ही कम चलने के बाद भी बिजली विभाग वाले रीडिंग की बजाय साल भर से औसतन बिल दे रहे थे। अधिक बिल और फसल न होने से उनके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। ऐसे में उन्होंने खेत पर पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।”

वहीं किसान ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है, “मेरी तीन पुत्री और एक पुत्र है। किसी की उम्र 16 वर्ष से अधिक नहीं है। मेरी परिवार से प्रार्थना है कि मेरे मरने के उपरान्त मेरा शरीर शासन के सुपुर्द कर दें, जिससे मेरे शरीर का एक-एक अंग बेच कर शासन का कर्जा चुक सके।”

कर्ज नहीं चुका पाने को लेकर मुनेंद्र राजपूत ने सुसाइड नोट में लिखा है, “मेरी एक भैंस करंट लगने से मर गई, तीन भैंस चोरी हो गई, आषाढ़ में (खरीफ फसल) खेती में कुछ नहीं मिला, लॉकडाउन में कोई काम नहीं और ना ही चक्की चली। इस कारण हम बिल नहीं दे सके।”

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