साल 2020 में जान-बूझकर कम से कम 50 पत्रकारों की हत्या की गई: RSF

साल 2020 में जान-बूझकर कम से कम 50 पत्रकारों की हत्या की गई: RSF

पेरिस: रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर्स (आरएसएफ) यानी रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स नामक संगठन ने दावा किया है कि साल 2020 में पत्रकारों को निशाना बनाकर अधिक हमले किए गए। संस्था का कहना है कि अशांत क्षेत्रों के बाहर बड़ी संख्या में पत्रकारों की हत्या से जुड़े मामले आ रहे हैं। 2020 में कम से कम 50 पत्रकारों को जान-बूझकर निशाना बनाया गया। इसमें अखितर पत्रकारों को संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और पर्यावरण जैसे विषयों पर काम करने के दौरान मारा गया।

हालांकि, आरएसएफ का कहना है कि पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को उनके काम के सिलसिले में मारे जाने का आंकड़ा दिसंबर के मध्य तक साल 2019 के मुकाबले थोड़ा कम है। संगठन ने 2020 में 53 पत्रकारों के मारे जाने का दावा किया था। हालांकि, कोरोना वायरस महामारी की वजह से 2020 में बड़ी संख्या में पत्रकार फील्ड में नहीं थे।

ये भी पढ़ें: हरियाणा नगर निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ BJP-JJP की हुई बुरी हार

आरएसएफ ने कहा कि 2020 में जान गंवाने वाले पत्रकारों में 68 प्रतिशत की जान संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों के बाहर गई। पत्रकारों को 2020 में निशाना बनाकर उनकी हत्या करने के मामलों में वृद्धि हुई। य वृद्धि 84 फीसद हो गए हैं। यह आंकड़ा 2019 में 63 प्रतिशत था।

मीडियाकर्मियों और पत्रकारों के लिए मैक्सिको को सबसे खतरनाक देश बताया गया है। अल-जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मैक्सिको के बाद इराक, अफगानिस्तान, भारत और पाकिस्तान बीते साल मीडियाकर्मियों के लिए सबसे खतरनाक स्थान रहा।

अल-जजीरा के अनुसार, पहले की तरह ही मादक पदार्थों तस्करों और राजनेताओं के बीच संबंध बने हुए हैं। जिन पत्रकारों ऐसे मामलों से संबंधित मुद्दों को कवर किया या करने की हिम्मत दिखाई उसकी बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई। अब तक मैक्सिको में ऐसी हत्याओं के लिए किसी को भी दंडित नहीं किया गया है।

ये भी पढ़ें: Jio का नए साल पर ग्राहकों को बड़ा तोहफा, अब दूसरे नेटवर्क पर वॉइस कॉलिंग फ्री

साल 2020 में पांच पत्रकारों की युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में मौत हुई। रिपोर्ट में कहा है कि हाल के महीनों में मीडियाकर्मियों पर लक्षित हमलों में वृद्धि के बावजूद सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता जारी है। आरएसएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 387 पत्रकारों को जेल में डाला गया। यह आंकड़ा ऐतिहासिक रूप से बहुत ही बड़ी संख्या है। मजेदार बात ये है कि जेल में डाले गए लोगों 14 ऐसे मीडियाकर्मी हैं जिन्हें कोरोना वायरस संकट के कवरेज के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया।

आरएसएफ का कहना है कि योजनावद्ध हत्याओं के अलावा विश्वभर में कोरोना के कारण सैकड़ों पत्रकारों की मृत्यु हुई, लेकिन उन्होंने उनकी सूची नहीं बनाई है। संस्था ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस और चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण मिस्र, रूस और सऊदी अरब की जेलों में कम-से-कम तीन पत्रकारों की मौत हुई है।

ये भी पढ़ें: 21 वीं सदी की 100 सबसे बड़ी फिल्में: क्या आपने उन्हें देखा है?

बता दें कि रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स संस्था फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो दुनियाभर के पत्रकारों को लेकर काम करता है। पिछले साल प्रेस की आजादी के मामले में मीडिया की आजादी से संबंधित ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ की सालाना रिपोर्ट में भारत दो पायदान खिसक गया था। बीते साल 180 देशों में भारत 140वें स्थान पर था।

आरएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में प्रेस स्वतंत्रता की मौजूदा स्थिति में से एक पत्रकारों के खिलाफ हिंसा है, जिसमें पुलिस की हिंसा, नक्सलियों के हमले, अपराधी समूहों या भ्रष्ट राजनीतिज्ञों का प्रतिशोध शामिल है।

भारत में साल 2018 में अपने काम की वजह से कम-से-कम छह पत्रकारों की जान गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सभी हत्याएं बताती हैं कि भारतीय पत्रकार कई खतरों का सामना करते हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में गैर-अंग्रेजी भाषी मीडिया के लिए काम करने वाले पत्रकार। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत में 2019 के आम चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के समर्थकों द्वारा पत्रकारों पर हमले किए गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published.