उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ मंदिर के पास मौजूद कुछ जमीनों को लेकर विवाद शुरू हो गया है। प्रशासन पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने गोरखनाथ मंदिर के पास स्थित 11 मुस्लिम परिवार के घरों को मंदिर की सुरक्षा का हवाला देकर जबरन ‘सहमति पत्र’ पर हस्ताक्षर करा खाली कराया जा रहा है। सभी को परिवारों को अपने घरों को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को सौंपने के लिए कहा जा रहा है।
गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के पास स्थित मुसलमानों के 11 घरों को मंदिर की सुरक्षा का हवाला देकर प्रशासन द्वारा जबरन 'सहमति पत्र' पर हस्ताक्षर करा खाली कराया जा रहा है. पीड़ित परिवार सदमे में हैं.@kamalkhan_NDTV @pbhushan1 @sanket @LambaAlka @priyankagandhi @yadavakhilesh pic.twitter.com/rKPYAcAqro
— Masihuzzama Ansari (مسیح الزماں انصاری) (@ansari_masi) June 2, 2021
द क्विंट की एक रिपोर्ट के मुकाबिक, सहमति पत्र पर 11 लोगों का नाम दर्ज है। ये सभी परिवार अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। इन 11 परिवारों में से 10 परिवारों ने डॉक्यूमेंट पर 28 मई 2021 को साइन कर दिया था। जिन 10 परिवारों का नाम सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के साथ दर्ज है, वे हैं- मोहम्मद फैजान, मोहम्मद जाहिर, मोहम्मद शकीर हुसैन निगांद खुर्शीद आलम के दो घर, मोहम्मद जमशेद आलम, मुशीर अहमद, इकबाल अहमद, जावेद अख्तर और नूर मोहम्मद। एक परिवार ने अभी तक हस्ताक्षर नहीं किया है।
ये भी पढ़ें: बिहार में मेडिकल-इंजीनियरिंग कॉलेजों में लड़कियों के लिए 33% आरक्षण का एलान
गोरखपुर के जिलाधिकारी विजयेंद्र पांडियन ने इस संबंध में कहना है कि किसी को भी डॉक्यूमेंट पर साइन करने के लिए मजबूर नहीं किया गया था और अगर वे चाहते तो डील को नकार सकते थे। जिलाधिकारी ने कहा, “मैं आपको खुलासा कर रहा हूं कि उन्हें अपनी जमीन के लिए करोड़ों रुपए मिलने वाले थे।”
दूसरी तरफ सहमति पत्र में लिखा है, “गोरखपुर मंदिर के आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि सदर क्षेत्र के टप्पा टाउन में मंदिर के दक्षिण-पूर्व दिशा में नीचे लिखे नाम वाले लोग अपनी जमीन राज्य सरकार को देंगे और हमारे हस्ताक्षर इसको प्रमाणित करते हैं। हमें अपनी जमीन देने में कोई आपत्ति नहीं है। कृपया नीचे संलग्न हस्ताक्षर पाएं।”
प्रशासन का कहना है कि यह प्लान अभी अपने शुरुआती चरण में है और क्षेत्र के लोगों ने स्पष्ट किया कि कोई भी बलपूर्वक कार्यवाही नहीं की गई है। जबकि सहमति पत्र पर 70 वर्षीय मुशीर अहमद ने बताया, “सिर्फ मुस्लिम घरों को ही सहमति पत्र पर साइन करने को कहा गया। यहां किसी हिंदू परिवार का घर नहीं है। सिर्फ 11 मुस्लिम परिवारों को ही साइन करना था। हम यहां पर 125 सालों से रह रहे हैं। इन 11 मुस्लिम परिवारों में से कुछ जाने को तैयार हैं। अगर वह जाने लायक है तो बेशक जाएं, लेकिन मेरी तरह गरीब लोग कहां जाएंगे?”
वहीं, 71 वर्षीय जावेद अख्तर के परिवार में कुल 9 सदस्य रहते हैं। उन्होंने कहा, “पुलिस कह रही है कि मंदिर की सुरक्षा के लिए वह एक पुलिस चौकी बनाएगी। इसके लिए वह हमारा घर खाली कराना चाहते हैं।” अहमद और अख्तर का कहना है कि उन दोनों के पास कहीं और घर बनाने के लिए अपनी जमीन नहीं है। दोनों ने मीडिया को बताया कि उन्हें प्रशासन ने डॉक्यूमेंट पर दबाव डालकर साइन करवाया। अख्तर ने समझाते हुए कहा, “कुछ दिन पहले वों अचानक से आए और कहा कि हमें दबाव में हस्ताक्षर करना होगा। कुछ मुस्लिम परिवार ऐसे भी हैं जो उनके पक्ष में है और इस कारण रिश्तेदार भी दबाव में आ गए।”
ये भी पढ़ें: नेतन्याहू का जाना तय, नफ्ताली बेनेट होंगे इस्राइल के अगले प्रधानमंत्री
दूसरी तरफ अहमद ने कहा कि एक स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी आकर उनके घर पर बैठ गए। उसने उन्हें कंविंस करने के लिए बताया कि कैसे सरकार उस क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करना चाहती है। अहमद ने कहा, “उसने कहा कि डॉक्यूमेंट पर साइन कर दो, इसका कोई महत्व नहीं है। जब भी तुम चाहो अपना हस्ताक्षर वापस ले सकते हो। कोई गलत संदेश नहीं जाएगा। तभी आसपास मौजूद लोगों ने कहा कि चुकी कुछ गलत हो रहा है, इसलिए गलत संदेश जाना तय है।”
एक तरफ प्रशासन का कहना है कि कार्यवाही का मकसद पुलिस चौकी लगाना है और सुरक्षा को मजबूत करना है। वहीं अख्तर ने कहा कि क्षेत्र में दो पुलिस चौकी पहले से ही मौजूद है। उन्होंने कहा, “पहले से ही दो पुलिस चौकी है। एक मंदिर के अंदर और दूसरा हमारे घर से 100 फीट पर ही। इसलिए कोई भी कह सकता है कि हमें बेवजह हटाया जा रहा है।” दोनों ने बताया कि बुधवार, 2 जून को प्रशासन की ओर से मीटिंग बुलाई गई थी पर वे दोनों नहीं गए। अख्तर ने आगे कहा, “हम गोरखपुर और हाई कोर्ट में वकीलों से बात कर रहे हैं और उनसे सलाह ले रहे हैं। फिर हम निर्णय लेंगे कि आगे क्या करना है।”
मुशीर अहमद और अख्तर के मुताबिक सूची में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास दूसरी जगह संपत्ति और जमीन हैं। ऐसे लोगों को अपना घर दे देने में कोई समस्या नहीं है। अख्तर ने बताया, “पिछले तीन-चार महीने से पुलिस चौकी बनाने के लिए सिर्फ एक घर की जमीन को लेने की बात चल रही थी। उस परिवार के पास और कुछ अन्य परिवारों के पास भी बड़े घर हैं, लेकिन उन घरों में रहने वाले लोगों की संख्या की तुलना में जगह पर्याप्त नहीं है। इसलिए वें अपना घर देना चाहते हैं और बदले में पैसा पाना चाहते हैं। वैसे भी उनके पास कहीं और जमीन मौजूद है इसलिए वे अपना दूसरा घर बनाएंगे।”
ये भी पढ़ें: अफवाह उड़ी मंदिर का पानी पीने से कोरोना हो जाएगा खत्म, हजारों लोग जुटे
शाहिर हुसैन नाम के व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा, “ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हमारे घरों की नीलामी करने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। यह सिर्फ एक समझौता पत्र था और यह अभी शुरुआती चरण में है।” लेकिन जब उनसे पूछा गया कि यह बात तो सही है पर डॉक्यूमेंट में लिखा है कि आपको अपनी जमीन राज्य सरकार को देने में कोई समस्या नहीं है, तो उन्होंने कहा “नहीं, ऐसा कुछ नहीं था उसमें।” जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने जिस डॉक्यूमेंट पर साइन किया है उसे पढ़ा भी है तो उन्होंने कहा, “हां मैंने पढ़ा है। लेकिन यह सब झूठी अफवाह है जो फैलाई जा रही है।”
हालांकि, गोरखपुर डीएम का कहना है कि किसी की भी जमीन जबरन नहीं ली जाएगी। द क्विंट के मुताबिक डीएम ने कहा, “उन सबके नंबर हैं उसपर। इसलिए आप सीधे उनसे पूछ सकते है। यह सब बस अफवाह है। मैं नहीं जानता कि उन लोगों के इरादे क्या है।” फिर उनसे कहा गया कि दो लोगों ने ऑन रिकॉर्ड बताया है कि उन्होंने हस्ताक्षर दबाव में किए हैं। उसके जवाब में विजयेंद्र पांडियन कहा “फिर ठीक है, हमें अपनी जमीन नहीं दीजिए। उनपर किसी तरह का दबाव नहीं है। हम उन पर कहां दबाव बना रहे हैं? यह पूरी प्रक्रिया ही अभी शुरुआती चरण में है। इन लोगों ने खुद हस्ताक्षर किया है और कार्यवाही की शुरुआत की है। सुरक्षा कारणों से सरकार ने पूछा था कि क्या वे जमीन देने को तैयार हैं या नहीं। अगर वे तैयार नहीं हैं तो भी ठीक है।”
विजयेंद्र पांडियन ने बताया कि उनके पास उन लोगों की रिकॉर्डिंग है जिन्होंने हस्ताक्षर किए हैं और जल्द ही उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया जाएगा। जब जिलाधिकारी से धमकियों और दबाव बनाने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, ” उन्हें अच्छा-खासा पैसा मिल रहा है जो करोड़ों रुपये में है। इसलिए वह हस्ताक्षर कर रहे हैं और उन्हें इसके बदले दूसरी जमीनें भी मिलेगी। पूरी प्रक्रिया ही अभी शुरुआती चरणों में है इसलिए रकम की जानकारी उन्हें अनौपचारिक रूप से दी गई थी, क्योंकि यह बात मीडिया में नहीं आनी चाहिए। अब वह राजनीति कर रहे हैं।”
ये भी पढ़ें: गौतम गंभीर फाउंडेशन को पाया गया दवा का भंडारण, खरीद और वितरण का दोषी
उन्होंने आगे कहा, “डॉक्यूमेंट की आधी-अधूरी जानकारी हिंदुओं और मुस्लिमों को तोड़ने तथा स्टीरियोटाइप को मजबूत करने के इरादे से शेयर की जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि सोशल मीडिया पर पूरा डॉक्यूमेंट शेयर नहीं किया जा रहा है। ओरिजिनल डॉक्यूमेंट मेरे पास है जिसे हम पब्लिश या उजागर नहीं कर सकते। गलत इरादों से डॉक्यूमेंट का केवल कुछ भाग शेयर किया जा रहा है।” जिलाधिकारी ने कहा कि वो उन अकाउंटों को ट्रैक कर रहे हैं जो गलत जानकारी शेयर कर रहे हैं और उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
दूसरी तरफ कुछ स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि जिलाधिकारी की ओर से केस करने की धमकी दी जा रही है। इंडिया टुमारो के पत्रकार ने ट्वीट कर लिखा है, “गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर से लगे मुस्लिम घरों को खाली करने की नोटिस दिए जाने के मामले में डीएम से बात करने पर मेरे साथ अभद्रता की गई और अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए एनएसए लगाने की धमकी दी गई जिसकी शिकायत मैंने एनएचआरसी को दर्ज कराई है।”
गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर से लगे मुस्लिम घरों को खाली करने की नोटिस दिए जाने के मामले में DM से बात करने पर मेरे साथ अभद्रता की गई और अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए NSA लगाने की धमकी दी गई जिसकी शिकायत मैंने NHRC को दर्ज कराई है.@pbhushan1 @svaradarajan @seemamustafa pic.twitter.com/7CM0j1UzbG
— Masihuzzama Ansari (مسیح الزماں انصاری) (@ansari_masi) June 3, 2021
इंडिया टुमारो ने जिलाधिकारी के साथ हुई बातचीत की ऑडियो भी जारी किया। जिसमें सुना जा सकता है कि वो साम्प्रदायिक माहौल खराब करने के आरोप में मामला दर्ज करने की बात कह रहे हैं।
(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर भी फॉलो कर सकते हैं।)
Leave a Reply